विजय दर्डा का ब्लॉग: जावेद...लता...शबाना और पाकिस्तान !

By विजय दर्डा | Published: February 27, 2023 07:21 AM2023-02-27T07:21:46+5:302023-02-27T09:31:05+5:30

लाहौर के सातवें फैज महोत्सव में जावेद अख्तर ने पाकिस्तान को तीखे तेवर के साथ जो आईना दिखाया उसकी खूब चर्चा हो रही है. हिंदुस्तान में विरोधियों से भी तारीफें मिल रही हैं और पाकिस्तान में आलोचना का शिकार बनाया जा रहा है. वैसे इन सबसे अलग उन्होंने कई ऐसी बेबाक बातें भी कीं जिसकी हिम्मत विशाल हृदय वाला कोई सच्चा हिंदुस्तानी ही कर सकता है.

Vijay Darda Blog: Javed Akhtar reply to Pakistan and mention of Lata Mangeshkar and Shabana Azmi | विजय दर्डा का ब्लॉग: जावेद...लता...शबाना और पाकिस्तान !

पाकिस्तान में जावेद अख्तर के बेबाक बोल

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जिधर जाते हैं सब जाना उधर अच्छा नहीं लगता
मुझे पामाल रस्तों का सफर अच्छा नहीं लगता.

गलत बातों को खामोशी से सुनना हामी भर लेना
बहुत हैं फाएदे इस में मगर अच्छा नहीं लगता.

मशहूर गीतकार, शायर और पटकथा लेखक जावेद अख्तर का ये शेर उन पर ही सबसे ज्यादा मौजूं बैठता है! पाकिस्तान में उन्होंने जो तीखी बातें कीं वही उनकी शख्सियत है. वर्षों से मेरी उनसे दोस्ती है और मैं कह सकता हूं कि वे मुंह पे सच बोलते हैं चाहे वो कड़वा ही क्यों न हो! मशहूर शायर फैज अहमद फैज की याद में आयोजित होने वाले फैज महोत्सव में जावेद भाई पहले भी शिरकत करते रहे हैं. 

लाहौर में फैज के पोते आदिल हाशमी की मेजबानी में आयोजित सातवें फैज महोत्सव में एक दर्शक ने कटाक्ष के अंदाज में जावेद भाई से कहा कि हिंदुस्तान जाकर संदेश दीजिएगा कि पाकिस्तान एक सकारात्मक, मित्र और प्यार करने वाला देश है.

जावेद अख्तर की जगह कोई और होता तो कह देता- जी, जरूर! लेकिन उन्होंने कटाक्ष को पकड़ लिया और जो जवाब दिया वह लाजवाब था! जावेद अख्तर ने कहा- हकीकत यह है कि हम दोनों एक-दूसरे को इल्जाम न दें. अहम बात यह है कि जो गर्म है फिजा, वह कम होनी चाहिए. हम तो बम्बइया लोग हैं. हमने देखा वहां कैसे आतंकी हमला हुआ था. हमला करने वाले नार्वे या मिस्र से नहीं आए थे. वो लोग अभी भी आपके यहां (पाकिस्तान में) आजाद घूम रहे हैं. जावेद अख्तर यहीं नहीं रुके. 

उन्होंने तीखे तेवर के साथ आईना दिखा दिया कि हिंदुस्तान ने तो नुसरत फतेह अली खान और मेहदी हसन जैसे पाकिस्तानी कलाकारों का गर्मजोशी से स्वागत किया लेकिन पाकिस्तान ने लताजी का एक भी शो नहीं किया! इन बातों पर तालियां दबे हाथों से बजीं तो उन्होंने चुटकी ली कि तालियां तो बजा दीजिए!  

जावेद अख्तर ने जो कुछ भी कहा है वह वाकई हर हिंदुस्तानी के दिल की आवाज है. साउथ एशिया एडिटर्स फोरम के अध्यक्ष के नाते और संसदीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल होकर मुझे पाकिस्तान जाने के कई मौके मिले. एक बार तो हमारे साथ फिल्म अभिनेता शत्रुघन सिन्हा और पंजाब केसरी के तत्कालीन संपादक अश्विनी कुमार चोपड़ा भी थे. मैंने पाकिस्तान के तत्कालीन हुक्मरान परवेज मुशर्रफ से सीधे पूछ लिया था कि आपने कभी लताजी को क्यों नहीं बुलाया? मेहदी हसन हों, गुलाम अली हों, साबरी ब्रदर्स हों, नुसरत फतेह अली खान हों या फिर आबिदा परवीन, हिंदुस्तान ने सबको खूब इज्जत बख्शी! 

परवेज मुशर्रफ ने यह कह कर बात टाल दी कि हमारे पास इतना बड़ा मैदान ही नहीं है कि हम लताजी का कार्यक्रम करा सकें ! मुझे याद है कि लाहौर यात्रा के दौरान पत्रकारों ने मुझसे पूछा कि दोनों मुल्क एक साथ आजाद हुए, दोनों में क्या फर्क है? मैंने जवाब दिया कि हमारे पास गांधीजी हैं, आपके पास नहीं हैं! हमारे यहां स्वतंत्र प्रेस है, आपके यहां प्रेस की आजादी नहीं है. सबसे बड़ी बात कि हमारा कोई भी नेता अपना घर भरने के लिए देश नहीं बेचता. न ही किसी देश के इशारों पर काम करता है.

हकीकत यही है कि पाकिस्तानी अवाम भले ही दोस्ती की बात करे लेकिन हुक्मरानों की पूरी दुकानदारी ही हिंदुस्तान के विरोध पर चल रही है. यदि यह चाशनी उन्होंने अवाम को चटाना बंद कर दिया तो भूखे मुल्क में विद्रोह हो जाना तय है. आज वहां आटे के लिए कतारें लग रही हैं. हर ओर हाहाकार की स्थिति है. यह बात की जा रही है कि भारत को मदद करनी चाहिए लेकिन बिलावल जैसे बचकानी राजनीति करने वाले नेता आग उगलने से बाज नहीं आ रहे हैं. तो, दोस्ती का पैगाम ठिकाने पर पहुंचे कैसे? 

आप देखिए कि जावेद भाई पाकिस्तान से रवाना हुए और वहां का एक एक्टर प्रोड्यूसर एजाज असलम कितनी बदतमीज बातें कर रहा है..! असलम ने ट्वीट किया- ‘जावेद अख्तर के दिल में इतनी नफरत है तो उन्हें यहां नहीं आना चाहिए था. हमने तब भी आपको सुरक्षित यहां से जाने दिया. आपकी बकवास को ये हमारा जवाब है. उन्हें पाकिस्तान आतंकी देश लगता है तो क्यों वे हमारे मुल्क आए?’ किसी मेहमान के बारे में बात करने की यह कोई भाषा होती है? ऐसी ही भाषा के कारण पाकिस्तान आज दोजख में पहुंच गया है. अल्लाह रहम करे!

चलिए, अब जावेद अख्तर की कुछ और बातों की बात करें जो उन्होंने फैज महोत्सव में कीं. एंकर ने किसी अनजान दर्शक के हवाले से एक सवाल उछाला कि शबाना आजमी से दोस्ती ज्यादा है या मोहब्बत ज्यादा है? उन्होंने अपने शायराना अंदाज में बड़ी अच्छी बात कही और उनके शब्दों पर गौर करिएगा कि वो पाकिस्तानी समाज को क्या सीख देकर आए. उन्होंने कहा कि वो मोहब्बत मोहब्बत ही नहीं जिसमें दोस्ती न हो और वो दोस्ती सच्ची नहीं जिसमें इज्जत न हो! वो इज्जत झूठी जिसमें इख्तियार न दिया जाए. वो मुस्कुराए और बोले- हमारी दोस्ती इतनी अच्छी कि शादी भी कुछ नहीं बिगाड़ पाई! 

जावेद भाई ने कहा- दो इंसान एक-दूसरे के साथ तभी खुश रह सकते हैं जब एहसास और खुद्दारी का एहतराम करें. ऐसा नहीं होगा तो कम से कम एक तो नाखुश रहेगा ही. सदियों तक एक नाखुश रहा है. एक-दूसरे की इज्जत करना सीखना चाहिए. आदतें बिगड़ी हुई हैं. बहुत तकलीफ होगी लेकिन सुधर जाइए!

उनका इशारा महिलाओं की तरफ था जिन्हें रीति-रिवाजों के नाम पर घर की चारदीवारी में कैद रखना चाहते हैं. महिलाओं को केवल उपभोग की वस्तु समझ रहे हैं. उन्होंने बड़ी गहरी बात कही कि ये दुनिया इंसानों का क्लब है और किसी के पास भी इसकी स्थायी सदस्यता नहीं है. जो पहले आए थे उन्होंने बहुत सी चीजें ईजाद कीं जिनका लाभ हमें मिल रहा है. कम से कम हम इस क्लब को बर्बाद तो न करें! संभव हो तो कुछ अपना भी योगदान देकर जाएं! जावेद अख्तर ने भाषा पर भी सवाल खड़े किए और कहा कि उर्दू खालिस हिंदी जुबान है और असली नाम हिंदवी है. यह दिल की भाषा है. इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं.  

जावेद भाई! विचारों की ऐसी विशालता किसी हिंदुस्तानी के पास ही हो सकती है जिसके लिए वसुधैव कुटुम्बकम जीवन का सूत्र है. दुख होता है जब कुछ लोग आपको भी अपना शिकार बनाने की कोशिश करते हैं. बहरहाल, आपका ही एक गीत मुझे याद आ रहा है...

पंछी नदिया पवन के झोंके/कोई सरहद ना इन्हें रोके.
सरहदें इंसानों के लिए हैं/सोचो तुमने और मैंने क्या पाया इंसां हो के...!

Web Title: Vijay Darda Blog: Javed Akhtar reply to Pakistan and mention of Lata Mangeshkar and Shabana Azmi

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