वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः भारत का लोकतंत्र सबल कैसे हो?

By वेद प्रताप वैदिक | Published: February 12, 2022 10:09 AM2022-02-12T10:09:53+5:302022-02-12T10:12:21+5:30

किसी देश में लोकतंत्र है या नहीं है और कम है या ज्यादा है, यह नापने का जो पैमाना है, उसके पांच मानदंड हैं। पहला चुनाव प्रक्रिया, दूसरा सरकारी काम-काज, तीसरा राजनीतिक भागीदारी, चौथा राजनीतिक तथा सांस्कृतिक स्वतंत्रता और पांचवां नागरिक अधिकार।

Vedpratap Vaidik blog How India's democracy is strong | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः भारत का लोकतंत्र सबल कैसे हो?

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः भारत का लोकतंत्र सबल कैसे हो?

 दुनिया के किन-किन देशों में कैसा लोकतंत्र है, इसका सर्वेक्षण हर साल ब्लूमबर्ग नामक संस्था करती है। इस साल का उसका आकलन है कि दुनिया के 167 देशों में से सिर्फ 21 देशों को लोकतांत्रिक कह सकते हैं। 56 देश खुद को लोकतांत्रिक बताते हैं लेकिन वे लंगड़ाते हुए लोकतंत्र हैं। यानी दुनिया के ज्यादातर देश या तो तानाशाही में जी रहे हैं या फौजशाही में या पार्टीशाही में या परिवारशाही या राजशाही में। उन राष्ट्रों में आम जनता के मूल अधिकारों की परवाह करने वाला कोई नहीं है। न सरकार, न अदालत और न ही संसद। यह संतोष का विषय है कि भारत में नागरिकों के अधिकारों का जब भी उल्लंघन होता है तो सरकारें, संसद और अदालतें उनका संज्ञान लिए बिना नहीं रहतीं। भारत को गर्व है कि आज तक उसमें फौजी तख्ता-पलट की कोई कोशिश तक नहीं हुई जबकि हमारे पड़ोसी देशों में कई बार तख्ता-पलट हो चुके हैं। भारत के केंद्र और राज्यों में अक्सर सरकारें बदलती रहती हैं लेकिन ऐसा बुलेट से नहीं, बैलेट से होता है।
इसके बावजूद दुनिया के 167 राष्ट्रों की सूची में भारत का स्थान 46 वां क्यों है? वह पहला क्यों नहीं है? जो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, वह सबसे अच्छा भी क्यों नहीं है? जिन दस देशों के नाम इस सूची में सबसे ऊपर हैं, वे भारत के औसतन प्रांतों से भी छोटे हैं- जैसे नार्वे, न्यूजीलैंड, फिनलैंड, स्वीडन, आयरलैंड, ताइवान आदि। भारत गर्व कर सकता है कि चीन, जो कि जनसंख्या में उससे भी बड़ा है, वह घटिया लोकतंत्रों में 5 वें स्थान पर है। उसके पहले चार सीढ़ियां नीचे बैठे हैं- अफगानिस्तान, म्यांमार, उत्तर कोरिया और लाओस। अपने मित्र चीन से दो सीढ़ी ऊपर बैठा है, पाकिस्तान। इन राष्ट्रों में या तो तानाशाही का डंका पिट रहा है या फौज का।

किसी देश में लोकतंत्र है या नहीं है और कम है या ज्यादा है, यह नापने का जो पैमाना है, उसके पांच मानदंड हैं। पहला चुनाव प्रक्रिया, दूसरा सरकारी काम-काज, तीसरा राजनीतिक भागीदारी, चौथा राजनीतिक तथा सांस्कृतिक स्वतंत्रता और पांचवां नागरिक अधिकार। इन सब आधारों पर जांचने पर पता चला है कि अमेरिका जैसा समृद्ध राष्ट्र 26 वें स्थान पर है, भारत 46 वें पर और पाकिस्तान 104 वें स्थान पर है। सारी दुनिया की कुल आबादी में सिर्फ 6।4 प्रतिशत जनता ही स्वस्थ लोकतंत्रों में रहती है। दूसरे देशों का जो भी हाल हो, हम भारतीयों की इस खोजबीन में लगना चाहिए कि हमारे लोकतंत्र की बाधाएं क्या-क्या हैं? इन सवालों का जवाब कोई ढूंढ़े तो देश में सच्चा लोकतंत्र लाने में देर नहीं लगेगी।

Web Title: Vedpratap Vaidik blog How India's democracy is strong

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