वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः प्रदूषण नियंत्रण में दिल्ली आदर्श बनकर दिखाए
By वेद प्रताप वैदिक | Published: November 17, 2021 12:20 PM2021-11-17T12:20:49+5:302021-11-17T12:26:08+5:30
प्रदूषण के इस दौर में विदेश में कई मित्रों से बात हुई। लंदन, लॉस एंजिल्स, फ्लोरिडा, बर्लिन और ज्यूरिख में प्रदूषण-अंक 50 के आसपास है। चीन जैसे देश के शहरों में 100 से कम है।
पिछले दिनों जैसे ही दुबई पहुंचे, हवाई अड्डे पर ही लगा कि हम किसी नई दुनिया में आ गए। हम पिछले 8-10 दिन से हमारी प्यारी दिल्ली के गैस-चेंबर में बंद पड़े थे। हमारी कोशिश रहती थी कि अपने गुरुग्राम के घर में ही कैद रहें। सारे दरवाजे, खिड़कियां और उजालदान लगभग बंद ही रखते रहे और घर में रहते हुए भी मुखपट्टी (मास्क) लगाए रहते थे। हालांकि घर के बाहर और पीछे 20-22 बड़े पेड़ लगे हुए हैं और करीब 200 गमलों में तरह-तरह के पौधे लहलहा रहे हैं। फिर भी ऐसा लगता था कि घर के बाहर निकले तो कहीं जहर की नदी में गोता न लगाना पड़ जाए। सड़क के पार का दृश्य इतना धुंधला होता था कि कुछ देखा और न देखा एक बराबर हो जाता था। इसीलिए पिछले 10-12 दिन से घंटे भर का प्रात: भ्रमण का कार्यक्रम भी लगभग स्थगित रहा।
दुबई की सुबह भी लेकिन क्या सुबह है! इंटरनेट ने बताया कि यहां प्रदूषण अंक सिर्फ 48 है जबकि दिल्ली में वह 500 को छू रहा है। दिल्ली के कुछ इलाकों में रात के वक्त वह 1000 तक चला जाता था। कहा जा रहा है कि दुनिया के 30 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में 20 तो अकेले भारत में ही हैं और दिल्ली उनमें सबसे ज्यादा प्रदूषित है।
प्रदूषण के इस दौर में विदेश में कई मित्रों से बात हुई। लंदन, लॉस एंजिल्स, फ्लोरिडा, बर्लिन और ज्यूरिख में प्रदूषण-अंक 50 के आसपास है। चीन जैसे देश के शहरों में 100 से कम है। लेकिन हमारे दक्षिण एशिया के बड़े देशों की हालत खस्ता है। ध्यान रहे कि दिल्ली भारत की राजधानी है और इस शहर में एक मुख्यमंत्री और एक प्रधानमंत्री भी रहते हैं। जिस शहर में दो-दो सरकारें चल रही हों, उसकी इतनी दुर्दशा क्यों है? यह सवाल सर्वोच्च न्यायालय ने काफी कड़े शब्दों में उठाया है।
उम्मीद है कि दोनों सरकारें कुछ कड़े कदम उठाएंगी। 2019 में भारत के लगभग 17 लाख लोगों की मौत का कारण यह जहरीली हवा है। अकेले दिल्ली में 17500 लोग प्रदूषण के शिकार हुए हैं। सरकारें तो कुछ न कदम उठा रही हैं लेकिन असली काम आम जनता को करना है। जो लोग अपने घर के आसपास पेड़ लगा सकते हैं, वे लगाएं, वरना हर घर के सामने पौधों के दर्जनों गमले सजे होने चाहिए। हफ्ते में कुछ दिन कार और स्कूटर चलाने की बजाय पैदल, मेट्रो और बस का इस्तेमाल करें। किसान भाई पराली न जलाएं, इसका इंतजाम सरकार करे। कुछ दिन दिल्ली के लोग घरों से ही काम करने की आदत डालें। अभी कुछ दिनों तक सभा, सम्मेलन और जुलूस वगैरह स्थगित रखे जाएं। दिल्ली देश को सिखाए प्रदूषण-नियंत्रण!