वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: पाकिस्तान के साथ सुधरेंगे संबंध?

By वेद प्रताप वैदिक | Published: March 24, 2021 11:49 AM2021-03-24T11:49:13+5:302021-03-24T11:50:02+5:30

नए अमेरिकी रक्षा मंत्री सिर्फ भारत और अफगानिस्तान आए, पाकिस्तान नहीं गए, इससे पाकिस्तान को पता चल गया है कि उसका वह सामरिक महत्व अब नहीं रह गया है जो शीतयुद्ध के दौरान था.

Vedapratap Vedic's blog: Will relations improve with Pakistan? | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: पाकिस्तान के साथ सुधरेंगे संबंध?

सांकेतिक तस्वीर (फाइल फोटो)

भारत और पाकिस्तान के प्रतिनिधि सिंधु जल बंटवारे के संबंध में आजकल दिल्ली में बैठक कर रहे हैं. पिछले दो-ढाई वर्ष में दोनों देशों के बीच तनाव का जो माहौल रहा है, उसके बावजूद इस बैठक का होना यही संकेत दे रहा है कि पाकिस्तान की फौज और नेताओं को जमीनी असलियत का भान होने लगा है या फिर कोई मध्यस्थ उन्हें बातचीत के लिए प्रेरित कर रहा है.

यह संकेत इसलिए भी पुष्ट होता है कि प्रधानमंत्री इमरान खान और सेनापति कमर जावेद बाजवा, दोनों ने ही भारत के साथ बातचीत के बयान दिए हैं. उसके पहले दोनों देशों के फौजी अफसरों ने सीमांत पर शांति बनाए रखने की भी घोषणा की थी.

जहां तक जमीनी हकीकत का सवाल है, पाकिस्तान कोरोना वायरस की लड़ाई भी अन्य देशों के दम पर लड़ रहा है. वहां महंगाई और बेरोजगारी ने सरकार की नाक में दम कर रखा है. विरोधी दल इमरान खान सरकार को उखाड़ने के लिए एक हो गए हैं.

सिंध, बलूच और पख्तून इलाकों में तरह-तरह के आंदोलन चल रहे हैं. पहले की तरह अमेरिका पाकिस्तान को अपने गुट के सदस्य जैसा भी नहीं समझता है. वह अफगानिस्तान से निकलने में उसका सहयोग जरूर चाहता है लेकिन नए अमेरिकी रक्षा मंत्री सिर्फ भारत और अफगानिस्तान आए, पाकिस्तान नहीं गए, इससे पाकिस्तान को पता चल गया है कि उसका वह सामरिक महत्व अब नहीं रह गया है जो शीतयुद्ध के दौरान था.

चीन के साथ उसकी नजदीकी भी अमेरिका के अनुकूल नहीं है. ऐसी स्थिति में पाकिस्तान के लिए व्यावहारिक विकल्प यही रह गया है कि वह भारत से बात करे. इस बात को आगे बढ़ाने में संयुक्त अरब अमीरात की भूमिका भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है. हालांकि दोनों देश इस बारे में मौन हैं.

यूएई के विदेश मंत्नी शेख अब्दुल्ला बिन जायद भारतीय विदेश मंत्नी जयशंकर और अजित डोभाल के साथ-साथ पाकिस्तानी नेताओं के भी सतत संपर्कमें हैं. भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्नी 30 मार्च को दुशाम्बे में होनेवाले एक सम्मेलन में भी भाग लेंगे और ऐसी घोषणा भी हुई है कि शंघाई सहयोग संगठन द्वारा आयोजित होने वाली आतंकवाद-विरोधी सैन्य-परेड में भारत भी भाग लेगा.

यह परेड पाकिस्तान में होगी. ऐसा पहली बार होगा. यह सिलसिला बढ़ता चला जाए तो कोई आश्चर्य नहीं कि इमरान खान के कार्यकाल में ही भारत-पाक संबंधों में स्थायी सुधार की नींव रख दी जाए. सबसे पहले दोनों देशों को अपने-अपने राजदूतों की वापसी करनी चाहिए और दोनों प्रधानमंत्रियों को कम से कम फोन पर तो सीधी बात करनी चाहिए.

Web Title: Vedapratap Vedic's blog: Will relations improve with Pakistan?

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे