वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: कोरोना महामारी के बीच भारत की हालत अभी भी बेहतर

By वेद प्रताप वैदिक | Published: April 30, 2021 02:13 PM2021-04-30T14:13:15+5:302021-04-30T14:15:54+5:30

कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच भारत में स्थिति अभी तेजी से ठीक होने की उम्मीद है। अन्य देशों से तुलना करें तो भारत जैसे विशाल देश में हालात अभी भी काबू मे हैं।

Vedapratap Vedic's blog: India condition still better amid Corona epidemic | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: कोरोना महामारी के बीच भारत की हालत अभी भी बेहतर

भारत में कोरोना से खराब हुए हालात जल्द ठीक होने की उम्मीद (फाइल फोटो)

कोरोना के पहले दौर के बाद भारत की सरकारों और जनता ने जो लापरवाही की थी, उसे अब सारा देश भुगत रहा है. इस वक्त कोरोना से एक दिन में हताहत होनेवालों की संख्या भारत में सबसे ज्यादा हो गई है. 

यह बहुत दुखद है लेकिन इस गणित का दूसरा पहलू भी है. वह यह है कि पिछले साल से अब तक भारत में 2 करोड़ से कम लोगों को कोराना हुआ है और उनमें करीब 2 लाख लोगों की मौत हुई है. देश की लगभग 140 करोड़ की आबादी में मौत का यह प्रतिशत सिर्फ तुर्की से ज्यादा है जबकि अमेरिका, यूरोप और अन्य महाद्वीपों के कई देशों में यह प्रतिशत भारत से दुगुना-तिगुना है. 

अमेरिका में 5.7 लाख, ब्राजील में 3.9 लाख और मेक्सिको में 2.15 लाख लोग मरे हैं. वे देश भारत के मुकाबले कितने छोटे हैं. ऐसा तब है जबकि उनमें से कई देशों में चिकित्सा-सुविधाएं भारत से कहीं बेहतर और सुलभ हैं.

यदि भारत में कुंभ का मेला और पांच राज्यों की बड़ी-बड़ी चुनावी सभाएं नहीं होतीं और करोड़ों लोग सावधानियां बरतते तो भारत दुनिया के सामने एक आदर्श उपस्थित कर सकता था. लेकिन जो हो गया, सो हो गया, अब हमें आगे की सुध लेनी चाहिए. हमारे सर्वोच्च न्यायालय और कई उच्च न्यायालय काफी सक्रियता दिखा रहे हैं. 

कई बार उनकी भाषा और राय अतिवादी-सी लगती हैं लेकिन कोरोना के युद्ध में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता. मद्रास हाईकोर्ट की आलोचना का ही शायद यह परिणाम है कि चुनाव आयोग ने चुनाव परिणाम आने के बाद होनेवाली रैलियों और सभाओं पर रोक लगा दी है. 
दिल्ली उच्च न्यायालय ने कोरोनाग्रस्त जजों के लिए अशोक होटल में इलाज की विशेष व्यवस्था करनेवाली दिल्ली सरकार को काफी आड़े हाथों लिया है. उसने दिल्ली में चल रही दवाइयों और इंजेक्शनों की कालाबाजारी पर भी दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है. लेकिन मेरी समझ में नहीं आता कि प्राणरक्षक चीजों की कालाबाजारी करनेवाले राक्षसों में से एक को भी अब तक फांसी पर क्यों नहीं लटकाया गया है? 

नौजवानों को भी अब टीका लगेगा लेकिन इतने टीके हैं कहां? टीकों की संख्या और कीमतों पर भी काफी विभ्रम फैला हुआ है. केंद्र सरकार इस मामले पर सख्त रवैया क्यों नहीं अपनाती?

अब तक हमारी सरकार पड़ोसी देशों को टीके देकर वाहवाही लूट रही थी लेकिन अब चीन भी इस मैदान में उतर आया है. उसने दक्षिण एशियाई राष्ट्रों को टीका देने के लिए दूर-सम्मेलन किया है. उसमें भारत, भूटान और मालदीव के अलावा सभी देशों ने भाग लिया है. 

यह ठीक है कि समर्थ देशों का भरपूर सहयोग भारत को मिल रहा है लेकिन अब भी लोग महामारी-संहिता का उल्लंघन कर रहे हैं और पुलिस को करोड़ों रु. जुर्माने में भर रहे हैं.

Web Title: Vedapratap Vedic's blog: India condition still better amid Corona epidemic

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