वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: कोरोना संकट में आरोप-प्रत्यारोप के बजाय जिम्मेदारी दिखाएं नेता
By वेद प्रताप वैदिक | Published: April 23, 2021 11:42 AM2021-04-23T11:42:19+5:302021-04-23T11:44:00+5:30
कोरोना संकट से देश में स्थिति बिगड़ती जा रही है. ऐसे में ये समय है कि सभी आरोप-प्रत्यारोप छोड़ इस महामारी से निपटने के लिए एक साथ आएं।
ऑक्सीजन की कमी के कारण नासिक के अस्पताल में हुई 24 लोगों की मौत दिल दहलाने वाली है. ऑक्सीजन की कमी की खबरें देश के कई शहरों से आ रही हैं. कई अस्पतालों में मरीज सिर्फ इसी की वजह से दम तोड़ रहे हैं.
कोरोना से रोज हताहत होनेवालों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि कई देशों के नेताओं ने अपनी भारत-यात्रा स्थगित कर दी है. कुछ देशों ने भारतीय यात्रियों के आने पर प्रतिबंध लगा दिया है.
लाखों लोग डर के मारे अपने गांवों की तरफ दुबारा भाग रहे हैं. नेता लोग भी डर गए हैं. वे तालाबंदी और रात्रि-कर्फ्यू की घोषणाएं कर रहे हैं लेकिन बंगाल में उनका चुनाव अभियान जारी है.
ममता बनर्जी ने बयान दिया है कि ‘कोविड तो मोदी ने पैदा किया है.’ इससे बढ़कर गैर-जिम्मेदाराना बयान क्या हो सकता है? यदि मोदी चुनावी लापरवाही के लिए जिम्मेदार हैं तो उनसे ज्यादा खुद ममता जिम्मेदार हैं. ममता यदि हिम्मत करतीं तो मुख्यमंत्री के नाते चुनावी रैलियों पर प्रतिबंध लगा सकती थीं. उन्हें कौन रोक सकता था?
यह ठीक है कि बंगाल में कोरोना का प्रकोप वैसा प्रचंड नहीं है, जैसा कि वह मुंबई और दिल्ली में है लेकिन वहां की चुनाव-रैलियों ने सारे देश को यही संदेश दिया है कि भारत ने कोरोना पर विजय पा ली है, डरने की कोई बात नहीं है.
जब हजारों-लाखों की भीड़ बिना मुखपट्टी और बिना शारीरिक दूरी के धमाचौकड़ी कर सकती है तो लोग बाजारों में क्यों नहीं घूम सकते हैं, कारखानों में काम क्यों नहीं कर सकते हैं, अपनी दुकानें क्यों नहीं चला सकते हैं और यात्राएं क्यों नहीं कर सकते हैं?
उन्हें भी बंगाल की भीड़ की तरह बेपरवाह रहने का हक क्यों नहीं है? लोगों की यह लापरवाही ही अब वीभत्स रूप धारण करती जा रही है. इस जनता के जले पर वे लोग नमक छिड़क रहे हैं, जो रेमडेसिवीर का इंजेक्शन 40 हजार रु. और ऑक्सीजन का सिलेंडर 30 हजार रु. में बेच रहे हैं.
ऐसे कालाबाजारियों को सरकार ने पकड़ा जरूर है लेकिन वह इन्हें तत्काल कठोरतम सजा क्यों नहीं देती ताकि वह कालाबाजारी करने वालों के लिए सबक बने. जहां तक ऑक्सीजन की कमी का सवाल है, देश में पैदा होनेवाली कुल ऑक्सीजन का कुछ प्रतिशत ही अस्पतालों में इस्तेमाल होता है.
सरकार और निजी कंपनियां चाहें तो कुछ ही घंटों में सारे अस्पतालों को पर्याप्त ऑक्सीजन मुहैया हो सकती है. इसी तरह कोरोना के टीके यदि मुफ्त या सस्ते और सुलभ हों तो इस महामारी को काबू करना कठिन नहीं है. यह सही समय है, जब जनता आत्मानुशासन, अभय और आत्मविश्वास का परिचय दे. यह भी जरूरी है कि नेतागण कोरोना को लेकर दंगल करना बंद करें.