वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: विदेश नीति में मौलिक पहल की जरूरत, चीन और अमेरिका दोनों से सावधान रहे भारत

By वेद प्रताप वैदिक | Published: April 16, 2021 01:17 PM2021-04-16T13:17:13+5:302021-04-16T13:18:43+5:30

भारत को चीन और अमेरिका दोनों पर ही आंख बंदकर भरोसा नहीं करना चाहिए. इसलिए जरूरी है कि फैसले बेहद सावधानी से लिए जाएं.

Vedapratap Vedic Blog: India needs to be careful against China and America policy | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: विदेश नीति में मौलिक पहल की जरूरत, चीन और अमेरिका दोनों से सावधान रहे भारत

भारत को अमेरिका से भी सावधान रहने की जरूरत (फाइल फोटो)

अंतरराष्ट्रीय राजनीति का खेल कितना मजेदार है, इसका पता हमें चीन और अमेरिका के ताजा रवैयों से चल रहा है. चीन हमसे कह रहा है कि हम अमेरिका से सावधान रहें और अमेरिका कह रहा है कि हम चीन पर जरा भी भरोसा न करें. लेकिन मेरा मानना है कि भारत को चाहिए कि वह चीन और अमेरिका, दोनों से सावधान रहे. आंख मींचकर किसी पर भी भरोसा न करे.

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अखबार ने भारत सरकार को अमेरिकी दादागीरी के खिलाफ चेताया है. उसने कहा है कि अमेरिकी सातवें बेड़े का जो जंगी जहाज 7 अप्रैल को भारत के ‘अनन्य आर्थिक क्षेत्र’ में घुस आया है, यह अमेरिका की सरासर दादागीरी का प्रमाण है. जो काम पहले उसने दक्षिण चीनी समुद्र में किया, वह अब हिंद महासागर में भी कर रहा है. उसने अपनी दादागीरी के नशे में अपने दोस्त भारत को भी नहीं बख्शा. 

चीन की शिकायत यह है कि भारत ने अमेरिका के प्रति नरमी क्यों दिखाई? उसने इस अमेरिकी मर्यादा-भंग का डटकर विरोध क्यों नहीं किया? चीन का कहना है कि अमेरिका सिर्फ अपने स्वार्थो का दोस्त है. अपने स्वार्थो की खातिर वह किसी भी दोस्त को दगा दे सकता है. 

उधर अमेरिकी सरकार के गुप्तचर विभाग ने अपनी ताजा रपट में भारत के लिए चीन और पाकिस्तान को बड़ा खतरा बताया है. उसका कहना है कि चीन आजकल सीमा-विवाद को लेकर भारत से बात जरूर कर रहा है लेकिन चीन की विस्तारवादी नीति से ताइवान, हांगकांग, दक्षिण कोरिया और जापान आदि सभी तंग हैं. 

वह पाकिस्तान को भी उकसाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है. भारत की मोदी सरकार पाकिस्तानी कारस्तानियों को शायद बर्दाश्त नहीं करेगी. यदि किसी आतंकवादी ने कोई बड़ा हत्याकांड कर दिया तो दोनों परमाणुसंपन्न पड़ोसी देश युद्ध की मुद्रा धारण कर सकते हैं. 

चीन की कोशिश है कि वह भारत के पड़ोसी देशों में असुरक्षा की भावना को बढ़ा-चढ़ाकर बताए और वहां वह अपना वर्चस्व जमाए. वह पाकिस्तानी फौज की पीठ तो ठोंकता ही रहता है, आजकल उसने म्यांमार की फौज के भी हौसले बुलंद कर रखे हैं. उसने हाल ही में ईरान के साथ 400 बिलियन डॉलर का समझौता किया है और वह अफगान-संकट में भी सक्रिय भूमिका अदा कर रहा है जबकि वहां भारत मूकदर्शक बना हुआ है.

अब अमेरिका ने घोषणा की है कि वह 1 मई की बजाय 20 सितंबर 2021 को अपनी फौजें अफगानिस्तान से हटाएगा. ऐसी हालत में भारत के विदेश मंत्नालय को अधिक सावधान और सक्रिय होने की जरूरत है. हमारे विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर अनुभवी कूटनीतिज्ञ अफसर रहे हैं. विदेश नीति के मामले में भाजपा नेतृत्व से ज्यादा आशा करना ठीक नहीं है लेकिन जयशंकर कोई मौलिक पहल करेंगे तो भाजपा नेतृत्व उनके आड़े नहीं आएगा.

Web Title: Vedapratap Vedic Blog: India needs to be careful against China and America policy

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