वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: चीन के चंगुल से बचा भारत

By वेद प्रताप वैदिक | Published: November 6, 2019 08:34 AM2019-11-06T08:34:12+5:302019-11-06T08:34:12+5:30

विश्व व्यापार का एक-तिहाई हिस्सा इसी बाजार में होगा. लगभग साढ़े तीन अरब लोग इन्हीं देशों में रहते हैं. इन देशों के बीच अब जो भी व्यापार होगा, उसमें से 90 प्रतिशत तक चीजें ऐसी होंगी, जिन पर कोई तटकर नहीं लगेगा. वे एक-दूसरे से चीजें मंगाकर तीसरे देशों को भी निर्यात कर सकेंगे. लेकिन भारत ने इस फैसले का बहिष्कार कर दिया, क्योंकि वह भारतीय बाजारों पर चीन का कब्जा नहीं होने देना चाहता है.

Ved Pratap Vedic blog: India escaped from the clutches of China | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: चीन के चंगुल से बचा भारत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। (फाइल फोटो)

पूर्वी एशिया के 16 देशों के संगठन (क्षेत्नीय व्यापक आर्थिक भागीदारी) में यदि भारत हां में हां मिलाता रहता तो उसकी अर्थव्यवस्था चौपट हो जाती. आसियान के 10 देशों व चीन, जापान, द. कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने बैंकाक में मिलकर फैसला किया कि वे भारत समेत इन 16 देशों का मुक्त व्यापार का एक साझा बाजार बनाएंगे यानी यह दुनिया का सबसे बड़ा साझा बाजार होगा.

विश्व व्यापार का एक-तिहाई हिस्सा इसी बाजार में होगा. लगभग साढ़े तीन अरब लोग इन्हीं देशों में रहते हैं. इन देशों के बीच अब जो भी व्यापार होगा, उसमें से 90 प्रतिशत तक चीजें ऐसी होंगी, जिन पर कोई तटकर नहीं लगेगा. वे एक-दूसरे से चीजें मंगाकर तीसरे देशों को भी निर्यात कर सकेंगे. लेकिन भारत ने इस फैसले का बहिष्कार कर दिया, क्योंकि वह भारतीय बाजारों पर चीन का कब्जा नहीं होने देना चाहता है. चीन में मजदूरी सस्ती है और उत्पादन पर सरकारी नियंत्नण है. वह अपने माल को खपाने के खातिर इतना सस्ता कर देगा कि उसके मुकाबले भारत के उद्योग-धंधों और व्यापार का भट्ठा बैठ जाएगा.

अभी तो चीन भारत को 60 अरब डॉलर का निर्यात ज्यादा कर रहा है, यदि भारत इस समझौते को मान लेता तो यह घाटा 200-300 अरब डॉलर तक जा सकता था. चीन का व्यापार अमेरिका से आजकल बहुत घट गया है. अब उसके निशाने पर भारत ही है. भारत ने इस समझौते से हाथ धो लिए, इससे उसे ज्यादा नुकसान नहीं होगा, क्योंकि आसियान के कई देशों के साथ उसके द्विपक्षीय व्यापारिक समझौते पहले से हैं और चीन से भी हैं.

भारत के इस साहसिक कदम पर विपक्षी दल इसलिए आक्षेप कर रहे हैं कि कुछ मंत्रियों ने इस समझौते पर जरूरत से ज्यादा आशावादिता दिखा दी थी. वैसे इन सभी देशों ने जो संयुक्त वक्तव्य जारी किया है, उसमें भारत को समझाने के दरवाजे खुले रखे हैं. भारत का उक्त कदम तात्कालिक दृष्टि से तो ठीक है लेकिन क्या हमारी सरकारें कभी अपनी शिथिलताओं पर भी गौर करेंगी? आजादी के 72 साल बाद भी हम इतने पिछड़े हुए हैं कि चीन के आर्थिक हमले से डरे रहते हैं!

Web Title: Ved Pratap Vedic blog: India escaped from the clutches of China

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