वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: भारतीय प्रधानमंत्री के भाषण कैसे हों?
By वेद प्रताप वैदिक | Published: November 28, 2018 12:07 PM2018-11-28T12:07:14+5:302018-11-28T12:07:14+5:30
अब आप ही बताइए कि इन दोनों खबरों को एक साथ पढ़कर आप भी सोच में पड़ जाएंगे या नहीं? मनमोहनजी ने जो सलाह मोदी को दी है, उस सलाह की जरूरत क्या और भी नेताओं को मोदी से भी ज्यादा नहीं है? मोदी के निंदक भी मानते हैं कि मोदी के प्रहारों में कुछ दम होता है जबकि कुछ अन्य नेताओं का बोला हुआ लौटकर उन पर ही भारी पड़ जाता है.
आज दो खबरों पर मेरा ध्यान एक साथ गया. एक तो पूर्व प्रधानमंत्नी डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा नरेंद्र मोदी को दी गई इस सलाह पर कि आप याद रखें कि आप सारे भारत के प्रधानमंत्नी हैं (सिर्फ भाजपा के नहीं). प्रधानमंत्नी के भाषणों में एक मर्यादा होनी चाहिए. उनका स्तर होना चाहिए. मनमोहन सिंहजी का इशारा मोदी के उन भाषणों की ओर था, जो वे आजकल चुनावी सभाओं में देते हैं. दूसरी खबर, जिसने मेरा ध्यान खींचा, वह यह है कि प्रधानमंत्नी कार्यालय अब मोदी के सभी भाषणों का एक बड़ा संग्रह छापने वाला है, कई खंडों में!
अब आप ही बताइए कि इन दोनों खबरों को एक साथ पढ़कर आप भी सोच में पड़ जाएंगे या नहीं? मनमोहनजी ने जो सलाह मोदी को दी है, उस सलाह की जरूरत क्या और भी नेताओं को मोदी से भी ज्यादा नहीं है? मोदी के निंदक भी मानते हैं कि मोदी के प्रहारों में कुछ दम होता है जबकि कुछ अन्य नेताओं का बोला हुआ लौटकर उन पर ही भारी पड़ जाता है.
जो भी हो, प्रधानमंत्नी तो लोग कुछ महीनों या कुछ वर्षो के लिए बनते हैं. उनके भाषणों को इकट्ठा करके छापना तो सरकार के करोड़ों रु. की शुद्ध बर्बादी है. प्रधानमंत्रियों को जो भाषण उनके नौकरशाह लिखकर दे देते हैं, उनमें से शायद कुछेक छापने लायक हों, क्योंकि उनमें सरकारी नीतियों का विवरण होता है, लेकिन वे इतने उबाऊ होते हैं कि उन्हें पढ़ने के लिए किताब कौन खरीदेगा?
नेहरू और नरसिंहराव की बात जाने दें, जो अपना भाषण खुद लिखते थे या लिखे हुए को खुद सुधारते थे. बाकी प्रधानमंत्रियों में कौन ऐसे हैं, जिनके भाषण छपने लायक हैं या पैसे खर्च करके पढ़ने लायक हैं? मोदी के भाषणों को ठीक-ठाक करके छापने के लिए जो संपादक-मंडल बना है, उसमें मेरे एक प्रतिभाशाली सहपाठी हैं और एक अभिन्न मित्न हैं. मुङो डर है कि उनके कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी आ गई है. पता नहीं, उन्होंने इसके लिए हां क्यों भर दी? उनकी प्रतिष्ठा दांव पर लग गई है. मैं उनकी सफलता की कामना करता हूं.