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वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: प्रज्ञा को निकाल बाहर करें

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: November 29, 2019 08:10 IST

जैसे अदालत ने गोडसे को दुनिया से निकाल बाहर किया था, प्रज्ञा को भाजपा और संसद से बाहर कर दिया जाना चाहिए 

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भोपाल से लोकसभा सदस्य प्रज्ञा ठाकुर ने एक बार फिर भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दाल पतली करवा दी है. वह कहती है कि उसने शहीद उधमसिंह की देशभक्ति पर संदेह करने को गलत बताया है लेकिन भाजपा, कांग्रेस और द्रमुक के नेता मान रहे हैं कि उसने नाथूराम गोडसे की देशभक्ति को सराहा है. 

जब द्रमुक के सांसद ए. राजा ने उस संशोधन का विरोध किया, जो पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिजन को सिर्फ पांच साल तक ही सुरक्षा देने का प्रावधान करता है, तब उन्होंने कहा कि गोडसे तो 32 साल से गांधी को मारने की सोच रहा था. (इसलिए महत्वपूर्ण लोगों को आजीवन सुरक्षा मिलनी चाहिए). इस पर प्रज्ञा ने कहा कि आप एक देशभक्त के लिए ऐसा नहीं कह सकते. 

यदि प्रज्ञा अब यह कहती है कि उसने ऐसा नहीं कहा तो तीन प्रश्न खड़े होते हैं. एक तो यह कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने प्रज्ञा के उस बयान को लोकसभा-कार्रवाई से बाहर क्यों निकलवाया? और फिर रक्षा मंत्नी राजनाथ सिंह और भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जगतप्रकाश नड्डा ने उसकी भर्त्सना क्यों की? 

तीसरा यह कि प्रज्ञा को रक्षा मंत्नालय की सलाहकार समिति से क्यों बाहर निकाला गया? जब प्रज्ञा ने ऐसी ही गलती अपने चुनाव के दौरान की थी, तब मैंने लिखा था कि उसकी उम्मीदवारी रद्द की जानी चाहिए, लेकिन आश्चर्य है कि दिग्विजय सिंह जैसे दिग्गज नेता को हराकर भोपाल के लोगों ने प्रज्ञा को जिता दिया. उस समय भाजपा के नेताओं ने उसे डांट पिलाई लेकिन उसे कुछ अक्ल नहीं आई. हालांकि नरेंद्र मोदी ने उसके इस अपराध को अक्षम्य बताया लेकिन उसने संसद के पटल पर दुबारा यह दुस्साहस किया. यदि प्रज्ञा गोडसे और गांधी के बारे में खूब पढ़े और उन्हें समझने के बाद माफी मांग ले तो और बात है, वरना बेहतर तो यह होगा कि जैसे अदालत ने गोडसे को दुनिया से निकाल बाहर किया था, प्रज्ञा को भाजपा और संसद से बाहर कर दिया जाना चाहिए. 

टॅग्स :नाथूराम गोडसे
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