निराधार है कांग्रेसी नेताओं का ये डर
By वेद प्रताप वैदिक | Published: October 17, 2018 02:03 AM2018-10-17T02:03:51+5:302018-10-17T02:03:51+5:30
सभी प्रधानमंत्रियों के ऐसे गुणों पर हमें जोर देना चाहिए, जो भारत के लोकतंत्र को मजबूत बनाएं। जो कांग्रेसी नेता इस बहुआयामी संग्रहालय का विरोध कर रहे हैं, उन्हें डर यह है कि इस योजना के तहत कहीं नरेंद्र मोदी को नेहरू से भी बड़ा बनाकर पेश नहीं कर दिया जाए?
नई दिल्ली के तीन मूर्ति के बंगले में जवाहरलाल नेहरू स्मारक संग्रहालय और पुस्तकालय है। इस संग्रहालय और पुस्तकालय को महत्वपूर्ण बनाने में मेरे साथी और अभिन्न मित्र स्व। डॉ। हरिदेव शर्मा का विशेष योगदान है। वे डॉ. लोहिया के अनन्य भक्त थे। जब तक वे जीवित रहे, वहां अक्सर मेरा जाना होता था। मेरे जैसे कुछ लोगों के सैकड़ों-हजारों पत्र और दस्तावेज भी वहां संकलित हैं। वहां नेहरूजी की स्मृति को चिरस्थायी बनाने की दृष्टि से अनेक कदम उठाए गए हैं। वह स्थान आधुनिक भारतीय इतिहास की धरोहर है।
अब उसके नए निदेशक शक्ति सिन्हा ने एक अद्भुत और नया प्रस्ताव रखा है। अब 25 एकड़ के उस बंगले के शेष 23 एकड़ में देश के सभी प्रधानमंत्रियों के संग्रहालय बनाए जाएंगे। उसका शिलान्यास भी हो चुका है। यदि ये संग्रहालय बनाकर नेहरूजी का महत्व घटाने की कोशिश हो तो यह बहुत ही गलत होगा लेकिन यदि नेहरूजी की छत्रछाया में शेष सभी प्रधानमंत्रियों की स्मृति-रक्षा हो सके तो न सिर्फ नेहरूजी का ऐतिहासिक महत्व बढ़ जाएगा बल्कितीन मूर्ति भवन की इस धरोहर में चार चांद लग जाएंगे।
चार दिग्गजों के नाम तो मैं आपको अभी गिना देता हूं। पहला लालबहादुर शास्त्री, दूसरा इंदिरा गांधी, तीसरा पी। वी। नरसिंहराव और चौथा अटल बिहारी वाजपेयी। इन चारों के अलावा भी जो प्रधानमंत्री हुए हैं, उनमें से भी सबसे मेरा परिचय और घनिष्ठता रही है। उनमें कई अद्भुत गुण थे, जिन्हें आज के और भविष्य के नेताओं को सीखना चाहिए।
वे सबको कैसे मालूम पड़ेंगे? कौन बताएगा उन्हें? सभी प्रधानमंत्रियों के ऐसे गुणों पर हमें जोर देना चाहिए, जो भारत के लोकतंत्र को मजबूत बनाएं। जो कांग्रेसी नेता इस बहुआयामी संग्रहालय का विरोध कर रहे हैं, उन्हें डर यह है कि इस योजना के तहत कहीं नरेंद्र मोदी को नेहरू से भी बड़ा बनाकर पेश नहीं कर दिया जाए? लेकिन यह डर, यह शंका बिल्कुल निराधार है।