वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: कश्मीर अब पूरी तरह खुल जाए
By वेद प्रताप वैदिक | Updated: February 17, 2020 19:33 IST2020-02-17T19:33:00+5:302020-02-17T19:33:00+5:30
वास्तव में ये प्रतिबंध इसलिए लगाए गए थे कि इन्हें नहीं लगाया जाता तो इस बात की आशंका थी कि अनुच्छेद 370 खत्म करने का डटकर विरोध होता, हिंसा और तोड़फोड़ होती और उसके फलस्वरूप कश्मीर की घाटी खून से लाल हो जाती. सैकड़ों लोग मारे जाते. इस दृष्टि से प्रतिबंध लगाना ठीक ही रहा. हमारी सरकार में अब तक इतना साहस आ जाना चाहिए कि वह कश्मीर में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को भी जाने दे. पत्नकारों को भी पूरी छूट मिलनी चाहिए.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। (फाइल फोटो)
कश्मीर में लगे प्रतिबंधों पर यूरोपीय संघ का रवैया थोड़ा नरम पड़ा है. चीन, तुर्की और मलेशिया- जैसे देशों को छोड़ दें तो दुनिया के लगभग सभी प्रमुख राष्ट्रों ने अगस्त में कश्मीर से अनुच्छेद 370 के विशेष प्रावधान को हटाने के कदम को भारत का आंतरिक मामला माना है. लेकिन अनेक प्रमुख देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने मानव अधिकारों के हनन का सवाल लगातार उठाया है. भारत के भी कई नेताओं और संगठनों ने कश्मीरी जनता पर लगे प्रतिबंधों के खिलाफ लगातार आवाज उठाई है.
भारत सरकार ने इस बार 25 देशों के राजनयिकों को कश्मीर भेजकर अपनी आंखों से वहां की स्थिति देखने का इंतजाम किया था. उनके द्वारा भेजी गई रपट के आधार पर ही यूरोपीय संघ की आधिकारिक प्रवक्ता वर्जिनी हेनरिकसन ने कश्मीर की स्थिति में सुधार पर थोड़ा संतोष जाहिर किया है लेकिन साथ ही यह भी कहा है कि बाकी प्रतिबंधों को भी जल्दी से जल्दी हटाया जाए.
वास्तव में ये प्रतिबंध इसलिए लगाए गए थे कि इन्हें नहीं लगाया जाता तो इस बात की आशंका थी कि अनुच्छेद 370 खत्म करने का डटकर विरोध होता, हिंसा और तोड़फोड़ होती और उसके फलस्वरूप कश्मीर की घाटी खून से लाल हो जाती. सैकड़ों लोग मारे जाते. इस दृष्टि से प्रतिबंध लगाना ठीक ही रहा. हमारी सरकार में अब तक इतना साहस आ जाना चाहिए कि वह कश्मीर में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को भी जाने दे. पत्नकारों को भी पूरी छूट मिलनी चाहिए.
प्रतिबंधों के कारण कश्मीरी लोगों को बहुत नुकसान भुगतना पड़ा है. सरकार उसकी भरपाई करने की कोशिश भी कर रही है. लेकिन अब कश्मीर के पुराने मुख्यमंत्रियों तथा कुछ अन्य नेताओं को रिहा करने में देरी ठीक नहीं है. उन पर नए आरोप लगाकर उन्हें कैद में रखना उचित नहीं है. यदि सरकार का यह दावा सही है कि कश्मीर की स्थिति अब सहज होती जा रही है तो उसे सारे प्रतिबंध वहां से तुरंत हटा लेना चाहिए. अभी ठंड इतनी है कि कोई बड़ा जन-आंदोलन भी नहीं चल सकता. सरकार अगर देर करेगी तो उसे ही यह कदम भारी पड़ सकता है.