लाइव न्यूज़ :

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: यूक्रेन मामले को लेकर भारत की तटस्थता

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: February 28, 2022 13:00 IST

रूस ने शीतयुद्ध-काल में भारत का लगभग हर मुद्दे पर समर्थन किया है. गोवा और सिक्किम के भारत में विलय का सवाल हो, कश्मीर या बांग्लादेश का मुद्दा हो, परमाणु बम का मामला हो- रूस ने हमेशा खुलकर भारत का समर्थन किया है.

Open in App

यूक्रेन को पानी पर चढ़ाकर अमेरिका और यूरोपीय राष्ट्र अब उसके साथ झूठी सहानुभूति प्रकट कर रहे हैं. सुरक्षा परिषद में अमेरिका ने रूस की निंदा का प्रस्ताव रखा तो उसे क्या यह पता नहीं था कि उसका प्रस्ताव औंधे मुंह गिर पड़ेगा? 

अभी तो सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यों में से 11 ने ही उसका समर्थन किया था, यदि पूरी सुरक्षा परिषद यानी सभी 14 सदस्य भी उसका समर्थन कर देते तो भी वह प्रस्ताव गिर जाता, क्योंकि रूस तो उसका निषेध (वीटो) करता ही. 

वर्तमान अमेरिकी प्रस्ताव पर तीन राष्ट्रों- भारत, चीन और यूएई ने परिवर्जन (एब्सटैन) किया यानी वे तटस्थ रहे. इसका अर्थ क्या हुआ? यही कि ये तीनों राष्ट्र रूसी हमले का न समर्थन करते हैं और न ही विरोध करते हैं. चीन ने अमेरिकी प्रस्ताव का विरोध नहीं किया, यह थोड़ा आश्चर्यजनक है, क्योंकि इस समय चीन तो अमेरिका का सबसे कड़क विरोधी राष्ट्र है. 

रूस तो उम्मीद कर रहा होगा कि कम से कम चीन तो अमेरिकी निंदा-प्रस्ताव का विरोध जरूर करेगा. जहां तक भारत का सवाल है, उसका रवैया उसके राष्ट्रहित के अनुकूल है. वह रूस-विरोधी प्रस्ताव का समर्थन कैसे करता? अमेरिका और नाटो राष्ट्रों के साथ बढ़ते हुए संबंधों के बावजूद आज भी भारत को सबसे ज्यादा हथियार देनेवाला राष्ट्र रूस ही है. 

रूस वह राष्ट्र है, जिसने शीतयुद्ध-काल में भारत का लगभग हर मुद्दे पर समर्थन किया है. गोवा और सिक्किम के भारत में विलय का सवाल हो, कश्मीर या बांग्लादेश का मुद्दा हो, परमाणु बम का मामला हो- रूस ने हमेशा खुलकर भारत का समर्थन किया है जबकि यूक्रेन ने संयुक्त राष्ट्र में जब भी भारत से संबंधित कोई महत्वपूर्ण मामला आया, उसने भारत का विरोध किया है. चाहे परमाणु-परीक्षण का मामला हो, कश्मीर का हो या सुरक्षा परिषद में भारत की सदस्यता का मामला हो, यूक्रेन ने भारत-विरोधी रवैया ही अपनाया है. 

भारत ने उससे जब भी यूरेनियम खरीदने की पहल की, वह उसे किसी न किसी बहाने टाल गया. ऐसी हालत में भारत यूक्रेन को रूस के मुकाबले ज्यादा महत्व कैसे दे सकता था? उसने खुलेआम रूस का साथ नहीं दिया, यह अपने आप में काफी रहा.

टॅग्स :रूस-यूक्रेन विवादरूसयूक्रेनसंयुक्त राष्ट्रअमेरिकाचीन
Open in App

संबंधित खबरें

विश्व1 जनवरी 2026 से लागू, 20 और देशों पर यात्रा प्रतिबंध?, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की घोषणा, देखिए सूची

विश्वसोशल मीडिया बैन कर देने भर से कैसे बचेगा बचपन ?

विश्वऔकात से ज्यादा उछल रहा बांग्लादेश

विश्वChile New President: 35 वर्षों के बाद दक्षिणपंथी सरकार?, जोस एंतोनियो कास्ट ने कम्युनिस्ट उम्मीदवार जेनेट जारा को हराया

भारतलद्दाख मोर्चे पर अब भारतीय सैनिकों का मुकाबला चीनी रोबोट सिपाहियों से, एलएसी पर तैनात रोबोट सिपाही

भारत अधिक खबरें

भारतLokmat National Conclave 2025: बिहार चुनाव पर मनोज झा की दो टूक, फ्री स्कीम से बिगड़ रहा चुनावी संतुलन

भारतLokmat National Conclave 2025: चुनावों के दौरान मुफ्त की स्कीम देने पर मनोज झा ने दी प्रतिक्रिया, बोले- "चुनाव अब निष्पक्ष चुनाव जैसा नहीं रहा"

भारतBJP ने तेजस्वी यादव पर कसा तंज, जारी किया पोस्टर; लिखा- "तेजस्वी यादव ‘लापता’, ‘पहचान: 9वीं फेल"

भारतभवानीपुर विधानसभा क्षेत्रः 45,000 मतदाताओं के नाम काटे?, सीएम ममता बनर्जी लड़ती हैं चुनाव, घर-घर जाएगी TMC

भारत3 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों की मसौदा मतदाता सूची में 12.32 करोड़ मतदाताओं के नाम, 27 अक्टूबर को 13.36 करोड़ लोग थे शामिल, 1 करोड़ से अधिक बाहर