वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: मौलिक अधिकारों का हनन
By वेद प्रताप वैदिक | Published: June 13, 2019 03:33 PM2019-06-13T15:33:41+5:302019-06-13T15:33:41+5:30
एक संन्यासी को ऐसे प्रस्ताव पर बुरा लगना स्वाभाविक है लेकिन वह एक पार्टी का नेता, जनता का प्रतिनिधि और मुख्यमंत्री भी है. गुस्से में आकर एक पत्रकार को गिरफ्तार करना तो अपनी छवि को विकृत करना है.
उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बारे में एक ट्वीट पर पत्रकार प्रशांत कनौजिया को उप्र की पुलिस ने दिल्ली आकर गिरफ्तार कर लिया था. सर्वोच्च न्यायालय ने इस पत्रकार को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया और कहा कि उप्र सरकार की यह कार्रवाई नागरिकों के मूल अधिकारों का उल्लंघन है. क्या किया था ऐसा कनौजिया ने, जिसके कारण उसे गिरफ्तार कर लिया गया था? उन्होंने किसी महिला के उस वीडियो को ट्वीट कर दिया था जिसमें उसने दावा किया था कि उसने योगी के साथ शादी करने का प्रस्ताव भेजा है.
यह ठीक है कि किसी संन्यासी को शादी का प्रस्ताव भेजना बिल्कुल बेहूदा बात है लेकिन यह कोई पहली बार नहीं हुआ है. हमारे कई विश्वप्रसिद्ध संन्यासियों को भी इस तरह के प्रस्ताव आते रहे हैं लेकिन उन्होंने प्रस्तावकों को हंसकर टाल दिया है. यदि किसी महिला ने ऐसा प्रस्ताव रख भी दिया है तो उसका योगी बुरा मानने की बजाय उसे यह कह सकते थे कि बहन, यह असंभव है. हो सकता है कि उस महिला ने अज्ञानतावश या मोहवश या जानबूझकर यह प्रस्ताव रखा हो. हर स्थिति में उसे हवा में उड़ा दिया जाना चाहिए था लेकिन उस प्रस्ताव को दुबारा ट्वीट करने वाले पत्रकार को जेल भिजवाना तो उस प्रस्तावक औरत की नादानी से भी अधिक गंभीर गलती है.
एक संन्यासी को ऐसे प्रस्ताव पर बुरा लगना स्वाभाविक है लेकिन वह एक पार्टी का नेता, जनता का प्रतिनिधि और मुख्यमंत्री भी है. गुस्से में आकर एक पत्रकार को गिरफ्तार करना तो अपनी छवि को विकृत करना है.
सार्वजनिक जीवन में ऐसे कई क्षण आते हैं, जब उत्तेजित होने की बजाय हास्य-व्यंग्य की मुद्रा धारण करना बेहतर होता है. पिछले दिनों पद्मावती फिल्म पर मेरे लेख पर उत्तेजित होकर कई लोगों ने मुझ पर तीव्र वाक-प्रहार किए. मैंने उसे लिखा कि ‘तुमने मुझे कितना सुंदर तोहफा दिया है. उसके बाद ऐसे लोगों का कोई जवाब नहीं आया. उसकी बोलती बंद हो गईं.