सियासी उलझनः मायावती किस पर भरोसा करें? गैर-भाजपाइयों का कितना नुकसान करेंगी?

By प्रदीप द्विवेदी | Published: October 30, 2020 07:59 PM2020-10-30T19:59:14+5:302020-10-30T19:59:14+5:30

नाराज मायावती अब सपा को सबक सिखाने के लिए बीजेपी को भी साथ दे सकती हैं. खबरें हैं कि बसपा सुप्रीमो मायावती का कहना है कि समाजवादी पार्टी को हराने के लिए उनकी पार्टी बीजेपी से भी हाथ मिला सकती है.

Uttar Pradesh bsp mayawati sp by election confusion trust non-BJP | सियासी उलझनः मायावती किस पर भरोसा करें? गैर-भाजपाइयों का कितना नुकसान करेंगी?

अब सवाल यह है कि बसपा इस उप-चुनाव में किसका नुकसान करेगी.

Highlightsकांग्रेस से तो पहले से ही नाराज हैं मायावती और पिछले लोकसभा चुनाव के बाद सपा से भी सियासी रिश्ता खत्म हो गया है.बसपा, गैर-भाजपाइयों का सियासी खेल खराब करने की रणनीति पर काम कर रही है. एक दर्जन से ज्यादा उम्मीदवार तो ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में हैं, जहां पहले से ही बीएसपी का राजनीतिक दबदबा है.

इन दिनों बसपा सुप्रीमो मायावती अजीब सियासी उलझन में हैं. अकेले सियासी संग्राम में पार पाना आसान नहीं है और बड़ा सवाल यह है कि- किस पर भरोसा करें.

कांग्रेस से तो पहले से ही नाराज हैं मायावती और पिछले लोकसभा चुनाव के बाद सपा से भी सियासी रिश्ता खत्म हो गया है. हालत यह है कि नाराज मायावती अब सपा को सबक सिखाने के लिए बीजेपी को भी साथ दे सकती हैं. खबरें हैं कि बसपा सुप्रीमो मायावती का कहना है कि समाजवादी पार्टी को हराने के लिए उनकी पार्टी बीजेपी से भी हाथ मिला सकती है.

जाहिर है, बसपा, गैर-भाजपाइयों का सियासी खेल खराब करने की रणनीति पर काम कर रही है. उधर, एमपी में भी 28 सीटों पर हो रहे उप-चुनाव में भी मायावती की बसपा ने दो दर्जन से ज्यादा सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए हैं, इनमें भी एक दर्जन से ज्यादा उम्मीदवार तो ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में हैं, जहां पहले से ही बीएसपी का राजनीतिक दबदबा है.

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में बसपा को जिन दो सीटों पर जीत मिली थी, वे भी इसी क्षेत्र की हैं. यही नहीं, कई अन्य सीटों पर भी बसपा उम्मीदवारों ने बेहतर प्रदर्शन किया था. अब सवाल यह है कि बसपा इस उप-चुनाव में किसका नुकसान करेगी.

पहली नजर में तो लगता है कि कांग्रेस का नुकसान अपेक्षाकृत ज्यादा होगा, क्योंकि ज्यादातर सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय होता नजर आ रहा है. बसपा की गैर-मौजूदगी में उसका मतदाता संभवतया कांग्रेस को फायदा पहुंचाता, लेकिन अब यह वोट बसपा को जा सकता है और कांग्रेस का नुकसान संभव है.

हालांकि, उप-चुनाव का सियासी समीकरण तो कई कारणों से उलझा हुआ है, इसलिए पक्के तौर पर यह कहना भी सही नहीं होगा कि इससे केवल कांग्रेस को ही नुकसान होगा, कांग्रेस से नाराज कुछ मतदाता बीजेपी की ओर जा सकते थे, लेकिन अब वे बसपा की ओर जा सकते हैं, मतलब- बीजेपी का भी नुकसान संभव है!

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