ब्लॉग: गरीबी के कलंक को करना होगा दूर

By ललित गर्ग | Updated: October 17, 2024 08:18 IST2024-10-17T08:15:21+5:302024-10-17T08:18:16+5:30

वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक के अनुसार भारत में कुल 23 करोड़ गरीब हैं।

The stigma of poverty must be removed | ब्लॉग: गरीबी के कलंक को करना होगा दूर

ब्लॉग: गरीबी के कलंक को करना होगा दूर

अंतरराष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस हर साल 17 अक्तूबर को मनाया जाता है । इस दिन को मनाने की शुरुआत 17 अक्तूबर, 1987 को हुई थी। उस दिन पेरिस के ट्रोकाडेरो में एक लाख से ज्यादा लोग इकट्ठा हुए थे। इस दिन को मनाने का मकसद अत्यधिक गरीबी, हिंसा और भूख से पीड़ित लोगों को सम्मानित जीवन उपलब्ध कराना है। इस दिवस की 2024 की थीम है, ‘सामाजिक और संस्थागत दुर्व्यवहार को समाप्त करना, न्यायपूर्ण, शांतिपूर्ण और समावेशी समाज के लिए मिलकर कार्य करना।’

यह दिन गरीबी को कम करने के लिए सामूहिक कार्रवाई की जरूरत पर जोर देता है. इस दिवस का मकसद गरीबों के संघर्षों और उनकी चिंताओं को सुनना, उन्हें गरीबी से बाहर आने में मदद करना और अत्यधिक गरीबी में रहने वाले लोगों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए सामूहिक कार्रवाई के महत्व पर जोर देना भी है, जो गरीबी में रहने वाले लोगों और व्यापक समाज के बीच समझ और संवाद को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखता है।

गरीबी को खत्म करना सिर्फ गरीबों की मदद करना नहीं है-बल्कि हर महिला और पुरुष को सम्मान के साथ जीने का मौका देना है। गरीबी किसी व्यक्ति के मानवाधिकारों का हनन है। यह न केवल अभाव, भूख और पीड़ा का जीवन जीने की ओर ले जाती है, बल्कि मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रताओं के आनंद का भी बड़ा अवरोध है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 2022 के अंत तक विश्व की 8.4 प्रतिशत जनसंख्या या लगभग 67 करोड़ लोग, अत्यधिक गरीबी में रह रहे थे। अनुमान है कि वैश्विक जनसंख्या का लगभग 7 प्रतिशत अर्थात लगभग 57.5 करोड़ लोग 2030 तक भी अत्यधिक गरीबी में फंसे रह सकते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं उनकी सरकार ने वर्ष 2047 के आजादी के शताब्दी समारोह के लिए जो योजनाएं एवं लक्ष्य तय किए हैं, उनमें गरीबी उन्मूलन के लिए भी व्यापक योजनाएं बनाई गई हैं। विगत दस वर्ष एवं मोदी के तीसरे कार्यकाल में ऐसी गरीब कल्याण की योजनाओं को लागू किया गया है, जिससे भारत के भाल पर लगे गरीबी के कलंक को धोने के प्रयत्न हुए हैं। वर्ष 2005 से 2020 तक देश में करीब 41 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर आए हैं तब भी भारत विश्व में ऐसा देश है जहां गरीबी सर्वाधिक है।

वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक के अनुसार भारत में कुल 23 करोड़ गरीब हैं। यह स्पष्ट संकेत है कि तमाम कल्याणकारी योजनाओं के बावजूद गरीबी उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नए विचारों एवं कल्याणकारी योजनाओं पर विमर्श के साथ गरीबों के लिए आर्थिक स्वावलंबर-स्वरोजगार की आज देश को सख्त जरूरत है।

Web Title: The stigma of poverty must be removed

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