ब्लॉग: पारदर्शी हो परीक्षा प्रणाली, ताकि खराब न हो युवाओं का भविष्य

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: June 13, 2024 10:56 AM2024-06-13T10:56:23+5:302024-06-13T10:57:45+5:30

वे इन परीक्षाओं के लिए महीनों से तैयारी करते हैं और जब पर्चे लीक होने या अन्य किसी धांधली के कारण परीक्षा निरस्त कर दी जाती है तब परीक्षार्थियों की सुनहरे भविष्य की अपेक्षा पर पानी फिर जाता है. 

The examination system should be transparent, so that the future of the youth is not spoiled | ब्लॉग: पारदर्शी हो परीक्षा प्रणाली, ताकि खराब न हो युवाओं का भविष्य

ब्लॉग: पारदर्शी हो परीक्षा प्रणाली, ताकि खराब न हो युवाओं का भविष्य

Highlightsपरीक्षा चाहे किसी भी उद्देश्य के लिए ली जा रही हो, उसमें हजारों-लाखों युवाओं का भविष्य दांव पर लगा होता है.उनकी सारी मेहनत बेकार चली जाती है और उन्हें नए सिरे से परीक्षा की तैयारी करनी पड़ती है. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने भी हाल ही में स्वीकार किया था कि नीट की परीक्षा में ग्रेस अंक देने में गड़बड़ी हुई है. 

देश के कई राज्यों में विभिन्न सरकारी पदों पर भर्ती एवं विविध पाठ्यक्रमों के लिए होने वाली प्रवेश परीक्षा में पर्चे लीक होने तथा अन्य किस्म की गड़बड़ियों की खबरों पर अब ज्यादा आश्चर्य नहीं होता लेकिन जब नीट-यूजी जैसी परीक्षाओं में कथित रूप से धांधली उजागर होती है तो समूची परीक्षा प्रणाली पर सवालिया निशाना लग जाते हैं. 

परीक्षा चाहे किसी भी उद्देश्य के लिए ली जा रही हो, उसमें हजारों-लाखों युवाओं का भविष्य दांव पर लगा होता है. वे इन परीक्षाओं के लिए महीनों से तैयारी करते हैं और जब पर्चे लीक होने या अन्य किसी धांधली के कारण परीक्षा निरस्त कर दी जाती है तब परीक्षार्थियों की सुनहरे भविष्य की अपेक्षा पर पानी फिर जाता है. 

उनकी सारी मेहनत बेकार चली जाती है और उन्हें नए सिरे से परीक्षा की तैयारी करनी पड़ती है. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने भी हाल ही में स्वीकार किया था कि नीट की परीक्षा में ग्रेस अंक देने में गड़बड़ी हुई है. 

यह गड़बड़ी तब सामने आई जब बड़ी संख्या में विद्यार्थियों को शत-प्रतिशत अंक आए. संदेह उस वक्त और गहरा हो गया जब एक ही परीक्षा केंद्र से कई विद्यार्थियों को शत-प्रतिशत अंक मिले. प्रारंभिक जांच से पता चला कि ग्रेस मार्क देने में पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया गया है या गंभीर किस्म की गड़बड़ी की गई है. 

मेडिकल प्रवेश के लिए होने वाली नीट-यूजी की परीक्षा में पर्चे लीक होने का आरोप लगाते हुए परीक्षा फिर से आयोजित करने का अनुरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नीट-यूजी जैसी प्रतिष्ठित तथा महत्वपूर्ण परीक्षा में पर्चे फूटने तथा अन्य किस्म की गड़बड़ियों पर सख्त रुख अपनाया और टिप्पणी की कि नीट-यूजी में सबकुछ पाकसाफ नहीं है. 

परीक्षा की शुचिता प्रभावित हुई है तथा अदालत को इस बात का जवाब चाहिए कि यह सब क्यों और कैसे हुआ? अदालत ने केंद्र सरकार तथा राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) से जवाब मांगा है. 

विद्यार्थियों के भविष्य को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले विद्यार्थियों की काउंसलिंग पर रोक नहीं लगाई है लेकिन न्यायालय के रुख से साफ है कि नीट-यूजी में कहीं न कहीं गंभीर किस्म की गड़बड़ी हुई है और वह मामले की जड़ तक जाकर विद्यार्थियों के भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहता है.

हाल के वर्षों में राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, बिहार, उत्तरप्रदेश तथा उत्तराखंड में पुलिस, पटवारी तथा अन्य पदों में भर्ती के लिए परीक्षाएं घोषित हुईं लेकिन पर्चे लीक हो जाने के कारण उन्हें निरस्त करना पड़ा. 

हाल के राजस्थान विधानसभा चुनाव में बार-बार पर्चा लीक होने की समस्या बड़ा चुनावी मुद्दा बना था. ताजा लोकसभा चुनाव में भी कई राज्यों खासकर उत्तर प्रदेश, हिमाचल, बिहार तथा राजस्थान में युवाओं के बीच पर्चा लीक होने की समस्या चुनावी मुद्दे के रूप में उभरी थी. ऐसा नहीं है कि पर्चा लीक होने या परीक्षा से जुड़ी अन्य गड़बड़ियों पर कार्रवाई नहीं होती लेकिन समस्या का समाधान आज तक नहीं हुआ. 

कुछ लोग पकड़े जाते हैं, उनसे पूछताछ होती है, कुछ दिनों के लिए वे पुलिस और न्यायिक हिरासत में रहकर आ जाते हैं, उसके बाद सबकुछ शांत हो जाता है. परीक्षा में पर्चे लीक करने, नकल करवाने या अन्य किस्म की धांधली करने के आरोप में आज तक शायद ही किसी को सजा हुई हो. परीक्षा में धांधलियां रोकने के लिए कानून भी बने हैं लेकिन वे कागजी शेर बनकर रह गए हैं. 

सवाल यह उठता है कि परीक्षा में पर्चे लीक करवाने या अन्य गड़बड़ियां करने वाले गिरोह के सूत्रधार कभी पकड़े क्यों नहीं जाते. कार्रवाई के नाम पर कुछ छुटभैये लोग ही जांच एजेंसियों के निशाने पर क्यों आते हैं.

राजस्थान में पिछले साल कुछ बड़े चेहरों पर कार्रवाई जरूर की गई थी, मगर वह दिखावा साबित हुई. जिन दो चेहरों को पकड़ा गया था, वे खुलेआम घूम रहे हैं और उनके विरुद्ध आज तक आरोपपत्र भी दाखिल नहीं हो सके हैं. मध्यप्रदेश का व्यापमं घोटाला देश ही नहीं दुनियाभर में चर्चित हुआ था. 

म.प्र. व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) के तहत ली जानेवाली प्रवेश परीक्षाओं में 11 साल पहले शर्मनाक घोटाला सामने आया था. पीएमटी की परीक्षा से जुड़े 20 नकली परीक्षार्थियों के पकड़े जाने के बाद घोटाला उजागर हुआ. इस मामले में जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ती गई, बड़ी संख्या में घोटाले से जुड़े लोगों की मौत हुई. 

घोटाले की असली सच्चाई आज तक पूरी तरह सामने नहीं आई है और न ही उसके बाद मध्यप्रदेश में परीक्षा संबंधी घोटाले रुके. देश में राज्य तथा केंद्र स्तर पर होनेवाली परीक्षाओं से जुड़े ढांचे में पूरी तरह बदलाव की जरूरत है. गड़बड़ी कानून बनाने से नहीं रुकेगी बल्कि समूची व्यवस्था को ही बदलना होगा.

Web Title: The examination system should be transparent, so that the future of the youth is not spoiled

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे