संपादकीयः राणा के प्रत्यर्पण से मजबूत होंगे अमेरिका से रिश्ते
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 16, 2019 01:49 AM2019-01-16T01:49:55+5:302019-01-16T01:49:55+5:30
दुनिया के सारे देशों का आतंक के मामले में एकजुट होना समय की मांग है. इसी के साथ आतंक को पालने-पोसने वालों को अलग-थलग भी किया जाना चाहिए. आतंकवाद मानवाधिकारों का सबसे बड़ा उल्लंघन है, क्योंकि यह निदरेष लोगों को निशाना बनाता है, बेगुनाहों को मारता है, यह किसी व्यक्ति या देश का ही नहीं, बल्कि मानवता का अपराधी है.
भारत के लिहाज से अच्छी खबर है कि मुंबई हमले के साजिशकर्ता आतंकी तहव्वुर राणा को जल्दी ही देश में लाया जा सकेगा. ट्रम्प प्रशासन द्वारा भारत सरकार के साथ सहयोग के कारण इस पाकिस्तानी-कैनेडियाई नागरिक के प्रत्यर्पण का काम आसान हुआ है. राणा की जेल की सजा दिसंबर 2021 में पूरी होने वाली है. मुंबई 26/11 हमले की साजिश के मामले में राणा को 2009 में गिरफ्तार किया गया था.
दुनिया के सारे देशों का आतंक के मामले में एकजुट होना समय की मांग है. इसी के साथ आतंक को पालने-पोसने वालों को अलग-थलग भी किया जाना चाहिए. आतंकवाद मानवाधिकारों का सबसे बड़ा उल्लंघन है, क्योंकि यह निदरेष लोगों को निशाना बनाता है, बेगुनाहों को मारता है, यह किसी व्यक्ति या देश का ही नहीं, बल्कि मानवता का अपराधी है.
भारत के साथ 40 से अधिक देशों की प्रत्यर्पण संधि है. बावजूद, पाकिस्तान जैसे कुछ देश आतंकवाद जैसे अतिगंभीर मसले को भी राजनीतिक चश्मे से देखते हैं. यह देश हाफिज सईद जैसे कुख्यात षडयंत्रकारी की सुरक्षित पनाहगाह बना हुआ है. यह भी गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए कि इन आतंकियों को आखिर वित्तपोषण कहां से होता है, जबकि इन आतंकियों का न तो अपना बैंक है, न हथियारों की अपनी फैक्ट्रियां ही हैं.
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को सुनिश्चित करना होगा कि आतंकवाद को अलग-अलग खांचों में डालकर न देखा जाए. धर्म सबको जोड़ने के लिए है, तोड़ने के लिए नहीं. संस्कृति सबका सम्मान करना सिखाती है. विश्व की समस्त संस्कृतियां और सभ्यताएं एक-दूसरे के लिए हों, न कि एक-दूसरे के विरुद्ध. सभी देशों को चाहिए कि वे अपनी धरती का इस्तेमाल मानवता विरोधी करतूतों के लिए न होने दें.
आतंकी राणा का प्रत्यर्पण भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों को और मजबूत करेगा, आतंकवाद विरोधी सहयोग को बढ़ावा देगा और भारतीयों के बीच अमेरिका की छवि को बेहतर भी बनाएगा. ट्रम्प प्रशासन ने 26/11 की 10वीं बरसी पर हमले में शामिल लोगों को न्याय के दायरे में लाने का अपना संकल्प दोहराया था और अब अमेरिका में 14 साल से सजा काट रहे राणा को भारत भेजने में सहयोग करके उन्होंने अपने संकल्प को पूरा करने की दिशा में कदम आगे बढ़ाया है. आतंक तो सबका साझा दुश्मन होता है, इसलिए उससे निपटने में भी किसी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए.