ब्लॉग: मीठे जहर के कारोबार को रोकने के लिए सख्त कानून जरूरी

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: November 2, 2023 11:40 AM2023-11-02T11:40:26+5:302023-11-02T11:40:38+5:30

दीपावली के पूर्व प्राधिकरण के अधिकारी मिठाइयों के एक लाख नमूनों की जांच करेंगे जो इस विशाल देश में मिठाइयों की व्यापक खपत के हिसाब से बहुत कम है। हमारे देश में मिठाई का उपयोग सालभर चलता रहता है।

Strict laws are necessary to stop the trade of sweet poison | ब्लॉग: मीठे जहर के कारोबार को रोकने के लिए सख्त कानून जरूरी

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Highlights4000 से ज्यादा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे मिठाई बनाने और बेचने वालों पर कड़ी निगरानी रखें

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने दीपावली त्यौहार के दौरान मिठाइयों में मिलावट रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। उसने देशभर में तैनात अपने 4000 से ज्यादा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे मिठाई बनाने और बेचने वालों पर कड़ी निगरानी रखें, उनकी जांच करें और मिलावट का दोषी पाए जाने पर संबंधित कानून के तहत सख्त कार्रवाई करें। प्राधिकरण के निर्देश के बाद उसके अधिकारी विभिन्न राज्यों में मिठाइयों के नमूने इकट्ठे कर उनकी जांच करेंगे।

दीपावली के पूर्व प्राधिकरण के अधिकारी मिठाइयों के एक लाख नमूनों की जांच करेंगे जो इस विशाल देश में मिठाइयों की व्यापक खपत के हिसाब से बहुत कम है। हमारे देश में मिठाई का उपयोग सालभर चलता रहता है। हमारा देश त्यौहारों, रस्मों तथा परंपराओं का है। इसीलिए दुनिया में सबसे ज्यादा तरह की मिठाइयां भारत में ही बनती हैं और उनकी खपत भी विश्व में सबसे ज्यादा हमारे देश में ही होती है। सस्ती मिठाइयां बनाकर ऊंचे दामों में बेचने के लोभ में बड़े पैमाने पर मिलावटी मिठाइयां बनाने का चलन शुरू हो गया है।

नकली मिठाइयों के व्यापार का एक समानांतर जाल बिछा हुआ है जो कई हजार करोड़ रुपए का है। नकली मिठाई बनाने वालों को लोगों के स्वास्थ्य की कोई चिंता नहीं होती। मिठाइयों को नकली खोवा और दूध, घातक रसायन से बने रंगों से तथा अन्य नुकसानदेह सामग्री से बनाया जाता है। मिठाइयां बनाने में वाशिंग पाउडर तक का इस्तेमाल करने में हिचकिचाहट नहीं होती।मिठाइयों पर चांदी की वर्क जैसी दिखने वाली एल्युमीनियम की परत चढ़ाई जाती है। मिठाई बनाने में नकली घी का भी जमकर इस्तेमाल होता है।

नकली मिठाइयों के सेवन से जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसके बारे में समय-समय पर चेतावनी देते रहते हैं लेकिन हर गली-मोहल्ले में बिकने वाली मिठाई हो या बड़े ब्रांड के सहारे बिकने वाली मिठाइयां हों, आम आदमी उनकी असलियत का पता लगाने में असमर्थ रहता है। उसके लिए यह संभव भी नहीं है क्योंकि मिलावट की जांच एक तकनीकी प्रक्रिया है और उसके लिए विभिन्न उपकरणों की जरूरत पड़ती है। यह जिम्मेदारी केंद्र तथा राज्य सरकारों की है। राज्य स्तर पर अन्न एवं औषधि प्रशासन जैसे विभाग हर प्रदेश में बनाए गए हैं।

इनका काम मिलावटी खाद्य पदार्थों तथा औषधियों की रोकथाम रोकना है। ये विभाग सफेद हाथी बने हुए हैं। मिलावटी वस्तुओं की जांच करने के लिए लेबोरेटरी की संख्या भी कम है। मिलावट के खिलाफ मौजूदा कानून को सख्त बनाने का सुझाव सन् 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने मिलावटी मिठाई से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को दिया था। केंद्र सरकार ने इस संबंध में सिफारिश करने का दायित्व विधि आयोग को सौंपा था। विधि आयोग पांच वर्ष पूर्व ही मिलावट रोकने के लिए बने कानून को कठोर बनाने के संबंध में व्यापक सुझाव दे चुका है। 

लेकिन उन पर गंभीरता से अमल नहीं किया गया है. मिलावट करने वालों को दंडित करने के लिए राज्य स्तर पर प्रादेशिक सरकारों ने कानून बनाए हैं लेकिन अधिकांश राज्य में मिलावट अभी भी जमानती अपराध है और उसमें मामूली सजा का प्रावधान है। महाराष्ट्र, ओडिशा, प. बंगाल तथा उत्तर प्रदेश ही ऐसे राज्य हैं जिन्होंने खाद्य पदार्थों में मिलावट रोकने से संबंधित नया कानून बनाकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान किया है। 

महाराष्ट्र में यह कानून 2018 में बन गया था। ओडिशा, प. बंगाल तथा उत्तरप्रदेश में सख्त कानून बने आठ वर्ष हो चुके हैं। लेकिन कार्रवाई के दृष्टिकोण से देखा जाए तो अब तक किसी भी मिलावटखोर को उम्रकैद की सजा नहीं मिली है और न ही मिलावट के विरुद्ध कोई बड़ा अभियान चलाया गया है। त्यौहारों के मौसम में इस वर्ष देश के किसी भी हिस्से में मिलावटी मिठाइयों तथा खाद्य पदार्थों के विरुद्ध कोई बड़ा अभियान अब तक चलाया नहीं गया है। इससे पता चलता है कि मिलावट रोकने के प्रति प्रशासनिक मशीनरी कितनी उदासीन है। 

देश में विभिन्न बीमारियों से हर साल लाखों लोग प्राण गंवाते हैं. ये बीमारियां मिलावटी खाद्य पदार्थों की देन भी हो सकती हैं. मिठाई के नाम पर जहर के इस विनाशकारी कारोबार को रोकने के लिए कानूनों पर गंभीरता से अमल करने की जरूरत है। 

Web Title: Strict laws are necessary to stop the trade of sweet poison

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