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शोभना जैन का ब्लॉग: म्यांमार में लोकतंत्र के लिए भारत की भूमिका

By शोभना जैन | Updated: April 9, 2021 15:03 IST

पूर्वोत्तर में भारत के सामरिक हितों के मद्देनजर ही म्यांमार में लोकतंत्र बहाली के प्रयासों के साथ-साथ एक संतुलन सा बिठाते हुए ही संभवत: खून खराबे के आलम के बावजूद म्यांमार स्थित भारत के दूतावास ने गत 27 मार्च को नेपीडाव में म्यांमार सशस्त्र सेना दिवस सैन्य परेड में भाग लिया था.

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इस साल एक फरवरी को म्यांमार में हुए सैन्य तख्तापलट के बाद से सैन्य शासकों द्वारा वहां लोकतांत्रिक प्रक्रिया, राजनीतिक दमनचक्र और निहत्थे प्रदर्शनकारियों के खून-खराबे के बीच गत आठ मार्च को म्यांमार के मायित्किना शहर से सोशल मीडिया पर वायरल हुई एक हृदयविदारक तस्वीर ने दुनिया को वहां हो रही बर्बरता का एक ऐसा भयावह मंजर दिखाया जिससे दुनिया थर्रा उठी.

यह तस्वीर थी वहां की एक नन एन. रोज नु तावंग की, जो सशस्त्न पुलिस के सामने घुटने टेककर बैठी है और सैनिकों द्वारा पकड़े गए प्रदर्शनकारी बच्चों/ युवाओं को यातना देने और गोली मारने की बजाय उन्हें छोड़ने की गुहार कर रही है और इसके बदले में वह अपनी जान देने की बात कर रही है.

म्यांमार में निर्वाचित सरकार का तख्ता पलटे जाने के दो माह बाद भी वहां सेना का दमनचक्र जारी है और लोकतंत्न समर्थक सड़कों पर उतर कर सैन्य बल का जम कर विरोध कर रहे हैं.

भारत सहित अमेरिका, यूरोपीय देश, संयुक्त राष्ट्र, आसियान सभी देशों ने म्यांमार के घटनाक्र म पर गहरी चिंता जाहिर की है. सीमाओं से जुड़े पड़ोसी देश के इस घटनाक्रम को लेकर भारत गहरी चिंताओं के साथ पसोपेश की स्थिति में भी रहा है लेकिन जमीनी हालात के चलते शुरुआती सधी हुई सतर्क प्रतिक्रिया से कुछ आगे बढ़कर अब वह इस मामले के समाधान के लिए ‘रचनात्मक और संतुलित’ भूमिका निभाने का प्रयास कर रहा है.

भारत के लिए यह मानवीय त्नासदी पर आवाज उठाने के साथ क्षेत्नीय स्थिरता से जुड़ा अहम मुद्दा तो है ही लेकिन पूर्वोत्तर में भारत की सीमाएं म्यांमार से जुड़ी हुई हैं, जिससे सामरिक हित भी इस क्षेत्न से प्रभावित हो सकते हैं.

म्यांमार में बदलते सत्ता समीकरणों का लाभ उठा कर चीन लगातार क्षेत्र में क्षेत्रीय संतुलन बिगाड़ने के अपने एजेंडे पर चल रहा है. अगर म्यांमार घटनाक्रम के फौरी प्रभाव की बात करें तो हाल ही में पूर्वोत्तर में म्यांमार से शरणार्थियों के आने का सिलसिला शुरू हुआ, जिसके बाद मिजोरम सरकार को शरणार्थियों को वापस उनके देश भेजे जाने के केंद्र के आदेश को उससे वापस लेने का आग्रह करना पड़ा. मणिपुर में भी ऐसी ही स्थिति रही.

इन्हीं तमाम वजहों से म्यांमार में तख्तापलट के बाद भारत ने अपनी शुरुआती प्रतिक्रि या में अपने पड़ोसी मित्न देश में घटे इस घटनाक्र म पर बेहद सधे शब्दों में बयान जारी किया. इसमें सेना की सीधे तौर पर निंदा के उल्लेख से बचते हुए भारत के विदेश मंत्नालय ने म्यांमार की स्थिति पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि वो स्थिति पर नजर रख रहा है. विदेश मंत्नालय ने तब अपने बयान में कहा था कि ‘म्यांमार का घटनाक्र म चिंताजनक है.

म्यांमार में लोकतांत्रिक परिवर्तन की प्रक्रिया को भारत ने हमेशा अपना समर्थन दिया है. हमारा मानना है कि कानून का शासन और लोकतांत्रिक प्रक्रि या को बरकरार रखना चाहिए. हम स्थिति पर नजर रख रहे हैं.’ लेकिन इस सप्ताह भारत की प्रतिक्रिया इस बारे में ज्यादा स्पष्ट नजर आई और यह खासी अहम है. 

भारत ने इस मुद्दे के समाधान के लिए अपनी ‘रचनात्मक और संतुलित भूमिका’ की बात कही है. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी. एस. त्रिमूर्ति और विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची के इस बारे में दिए गए बयान पहले के बयानों से कुछ अलग भारत की रचनात्मक और संतुलित भूमिका पर जोर दे रहे हैं.

बागची ने संवाददाताओं के एक सवाल के जवाब में भारत की भूमिका स्पष्ट करते हुए कहा कि ‘मैं सपष्ट तौर पर कह रहा हूं कि हम हिंसा का विरोध करते हैं. हमारा मत है कि कानून सम्मत शासन हो. हम म्यांमार में लोकतंत्न बहाली के पक्ष में हैं. हम सभी राजनीतिक बंदियों की रिहाई का आग्रह करते हैं और ‘आसियान’ के प्रयासों सहित वहां मौजूदा स्थिति के समाधान के किसी भी प्रयास का समर्थन करते हैं. भारत इस मामले में एक रचनात्मक और संतुलित भूमिका के प्रयास बतौर सम्बद्ध अंतर्राष्ट्रीय वार्ताकारों तथा सुरक्षा परिषद से बात करता रहेगा.’ 

पूर्वोत्तर में भारत के सामरिक हितों के मद्देनजर ही म्यांमार में लोकतंत्र बहाली के प्रयासों के साथ-साथ एक संतुलन सा बिठाते हुए ही संभवत: खून खराबे के आलम के बावजूद म्यांमार स्थित भारत के दूतावास ने गत 27 मार्च को नेपीडाव में म्यांमार सशस्त्र सेना दिवस सैन्य परेड में भाग लिया था.

परेड समारोह में चीन, रूस सहित आठ देशों ने हिस्सा लिया. इस बारे में उठे सवालों पर भारत ने कहा भी कि म्यांमार में हमारा दूतावास काम कर रहा है और दूतावास के नियमित दायित्व के चलते ही दूतावास के रक्षा सचिव ने समारोह में हिस्सा लिया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि इसका ज्यादा अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए. वैसे भी पूर्वोत्तर के उग्रवादियों से निपटने में म्यांमार की सेना भारत की सेना को सहयोग देती रही है.

बहरहाल, म्यांमार भारत का एक ऐसा मित्न पड़ोसी देश है जिसकी शांति, स्थिरता न केवल द्विपक्षीय रूप से बल्किइस क्षेत्न के लिए बहुत अहम है. जरूरी है कि भारत सहित म्यांमार के मौजूदा घटनाक्रम से चिंतित/ प्रभावित सभी सम्बद्ध पक्ष ऐसा माहौल बनाने में सहयोग दें जिससे म्यांमार के नेता और वहां के सैन्य अधिकारी मिल कर इस समस्या को सुलझा सकें.

टॅग्स :म्यांमारभारत
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