शोभना जैन का ब्लॉगः चीन की चौधराहट के बीच ‘क्वाड’ में भारत की बढ़ती भागीदारी
By शोभना जैन | Published: October 12, 2020 02:45 PM2020-10-12T14:45:21+5:302020-10-12T14:45:21+5:30
जापान की राजधानी टोक्यो में हाल ही में ‘क्वाड’ यानी दुनिया के चार ताकतवर देशों अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई.
जापान की राजधानी टोक्यो में हाल ही में ‘क्वाड’ यानी दुनिया के चार ताकतवर देशों अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई. हालांकि समूह की यह दूसरी बैठक थी लेकिन बदली क्षेत्नीय और अंतरराष्ट्रीय परिस्थितयों विशेष तौर पर कोविड दौर में चीन की बढ़ती चौधराहट और दबदबे के चलते बैठक में हुए विचार-विमर्श से माना जा सकता है कि यह बैठक क्वाड (क्वाडिलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग) के अब मात्न एक विचार से आगे एक और विश्वसनीय व सार्थक गठबंधन की ओर बढ़ने की दिशा में एक अहम मोड़ बन सकती है. विशेष तौर पर भारत के खिलाफ चीन की निरंतर बढ़ती आक्रामकता के मद्देनजर इस बैठक में भारत की बढ़ती भागीदारी एक दूरगामी रणनीति का संकेत मानी जा सकती है, लेकिन यह भी साफ है कि भारत काफी संभल कर सतर्कता से कदम आगे बढ़ा रहा है. इस बैठक में विदेश मंत्नी एस. जयशंकर ने चीन का नाम लिए बिना ही कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्न को हम साझा मूल्यों के साथ जीवंत और लोकतांत्रिक देशों के रूप में, सामूहिक रूप से एक स्वतंत्न, मुक्त और समावेशी बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं. विदेश मंत्नी ने यह भी कहा कि हम चारों देश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भौगोलिक संप्रभुता का आदर करने और विवादों का शांतिपूर्ण समाधान निकालने को लेकर प्रतिबद्ध हैं. निश्चित तौर पर एलएसी पर चीन के साथ जारी सैन्य तनाव को देखते हुए भी भारत के लिए इस बैठक की खास
अहमियत है.
दरअसल ‘क्वाड’ समूह को हिंद प्रशांत क्षेत्न में विशेष रूप से उन देशों का महत्वपूर्ण समर्थन मिल रहा है जो चीन के बढ़ते दबदबे या यूं कहें दखल से चिंतित हैं. इस बैठक में जहां अमेरिका ने अपने सहयोगियों से चीन के खिलाफ एकजुट होने की अपील की और चीन पर सीधा तीखा निशाना साधा, वहीं हालांकि बाकी तीन देशों ने चीन का नाम न लेते हुए बयान जारी किए, लेकिन उनके भाषण और उसके बाद जारी बयानों का इशारा साफ था, जिसमें नए विश्व परिप्रेक्ष्य में इस अप्रिय स्थित से निबटने के लिए एक साझी रणनीति बनाने की मंशा जाहिर थी. पिछले कई वर्षो से हिंद प्रशांत क्षेत्न की भौगोलिक स्थिति खासी अहम होती जा रही है. चीन की बढ़ती आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए स्वतंत्न और मुक्त हिंद-प्रशांत पहल पर जोर दिया जा रहा है. भारत ने बैठक में कहा भी कि वह नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. साथ ही पारदर्शिता, अंतरराष्ट्रीय समुद्रों में नौवहन की स्वतंत्नता, क्षेत्नीय अखंडता और संप्रभुता के लिए सम्मान और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए भी प्रतिबद्ध है. इस बैठक का एक अन्य सकारात्मक पक्ष यह भी रहा कि चारों देशों ने इस बैठक में कहा कि वह हिंद प्रशांत क्षेत्न में आपसी रणनीतिक समझ-बूझ को बढ़ाएंगे.
इन देशों की हिंद-प्रशांत समुद्री क्षेत्न को दुनिया के सभी देशों के लिए एक समान अवसर वाले क्षेत्न के तौर पर आगे बढ़ाने की रणनीति रही है. दूसरा मुख्य मुद्दा चारों देशों की अगुवाई में एक नई वैश्विक सप्लाई चेन स्थापित करना है. देखा जाए तो इन दोनों मुद्दों का सीधा संबंध चीन से है. वैसे भी अर्थव्यवस्था की बात करें तो क्वाड के सदस्यों में शामिल अमेरिका विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जापान तीसरी और भारत पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था है. ऑस्ट्रेलिया भी एक विकसित देश है. प्रयास यह है कि इतनी बड़ी सामूहिक ताकतें मिल कर दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था यानी चीन के बढ़ते असर और उस पर निर्भरता को कम करने का प्रयास करें, चीन पर निर्भरता कम करने के लिए दूसरे देशों या ब्लॉक के साथ मिलकर सप्लाई चेन को बेहतर बनाया जा सके.
अभी तक भारत क्वाड को लेकर सतर्कतापूर्ण रवैया अपनाए हुए था लेकिन जिस तरह से चीन भारत के खिलाफ आक्रामकता निरंतर बढ़ा रहा है, लगता है भारत अब अपनी मजबूत स्थित के मद्देनजर क्वाड में अपनी भागीदारी को मजबूत करने की दिशा में सहयोग देने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. नजर इस बात पर रहेगी कि एक विचार, जो इन चार देशों के बीच 2004 में आया और 2007 में जो पनपा, चीन की बढ़ती चौधराहट के बीच आगे अब वह क्या एक नया संस्थागत और सार्थक रूप लेता है? वैसे इस बार इन देशों ने हर वर्ष क्वाड बैठक करने का नीतिगत फैसला भी किया, जो आगे बढ़ने की दिशा में सकारात्मक कदम माना जा रहा है.