शशांक द्विवेदी का ब्लॉग: भारत के तरकश में जुड़ा एक और बड़ा तीर

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: September 10, 2020 02:30 PM2020-09-10T14:30:19+5:302020-09-10T14:30:19+5:30

प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में ये भारत की ऊंची छलांग है क्योंकि दुश्मन देश इसे डिटेक्ट नहीं कर सकते, ये परमाणु बम की तरह युद्ध में गेम चेंजर है. इसमें दुश्मन को रिएक्ट करने का मौका ही नहीं मिलेगा.

Shashank Dwivedi's blog: India's first hypersonic missiles successfully Explained | शशांक द्विवेदी का ब्लॉग: भारत के तरकश में जुड़ा एक और बड़ा तीर

प्रतीकात्मक तस्वीर

एक बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए भारत ने हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक का सफल परीक्षण कर लिया है, जो हवा में ध्वनि की गति से छह गुना तेज गति से दूरी तय करने में सक्षम है. अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चौथा ऐसा देश बन गया है, जिसने खुद की हाइपरसोनिक तकनीक विकसित कर ली है और इसका सफलतापूर्वक परीक्षण भी कर लिया है.

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ओडिशा तट के पास डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम कॉम्प्लेक्स से मानव रहित स्क्रैमजेट हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट का सफल परीक्षण किया. हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली के विकास को आगे बढ़ाने के लिए यह परीक्षण एक बड़ा कदम है. इस तकनीक के सफल परीक्षण के बाद ध्वनि की रफ्तार से छह गुना ज्यादा तेज चलने वाली मिसाइलें बन सकेंगी. अगले पांच साल में भारत अपनी पहली हाइपरसोनिक मिसाइल तैयार कर सकता है. 

वास्तव में स्वदेश में विकसित ‘हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी निदर्शक यान (एचएसटीडीवी) का सफल प्रायोगिक उड़ान परीक्षण बहुत महत्वपूर्ण है, जिससे भविष्य में लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइल प्रणाली और हवाई रक्षा प्रणाली को मजबूती मिलने की उम्मीद है. एचएसटीडीवी को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने विकसित किया है, जो हाइपरसोनिक प्रणोदन प्रौद्योगिकी पर आधारित है.

असल में एचएसटीडीवी की सफल प्रायोगिक उड़ान के साथ भारत ने अत्यधिक जटिल प्रौद्योगिकी को प्राप्त करने में अपनी सामर्थ्य का प्रदर्शन किया है जो घरेलू रक्षा उद्योग के साथ भागीदारी में अगली पीढ़ी के हाइपरसोनिक यान निर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में काम करेगी. प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में ये भारत की ऊंची छलांग है क्योंकि दुश्मन देश इसे डिटेक्ट नहीं कर सकते, ये परमाणु बम की तरह युद्ध में गेम चेंजर है. इसमें दुश्मन को रिएक्ट करने का मौका ही नहीं मिलेगा.

हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर वेहिकल को न सिर्फ हाइपरसोनिक और लॉन्ग रेंज क्रूज मिसाइल्स के वेहिकल की तरह इस्तेमाल किया जा सकेगा, बल्कि इसके कई सिविलियन फायदे भी हैं. इससे छोटे सैटेलाइट्स को कम लागत में लॉन्च किया जा सकता है.

हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी के आधार पर भारत अगले कुछ सालों में मिसाइल के क्षेत्र में दुनिया का सबसे ताकतवर देश भी बन सकता है. कुल मिलाकर पहले इंटरसेप्टर मिसाइल फिर ब्रह्मोस जैसी सुपरसोनिक मिसाइल और अब हाइपरसोनिक मिसाइल के सफल परीक्षण से भारत का सामरिक रक्षा तंत्र काफी मजबूत हुआ है.

Web Title: Shashank Dwivedi's blog: India's first hypersonic missiles successfully Explained

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