ब्लॉग: अपने ही किनारों को खा रहे समुद्र! 2027 तक कटाव की रफ्तार हो जाएगी और भयावह

By पंकज चतुर्वेदी | Published: July 21, 2022 10:58 AM2022-07-21T10:58:34+5:302022-07-21T10:58:34+5:30

अप्रत्याशित रूप से धरती पर बढ़ते तापमान और उसके चलते तेजी से पिघलते ग्लेशियरों की वजह से समुद्र में जलस्तर बढ़ रहा है. आलम ये है कि अब सागर अपनी सीमाओं को तोड़ कर तेजी से बस्ती की ओर बढ़ रहा है.

Rising temperature and sea level rise effecting its shores! By 2027 situation will become more frightening | ब्लॉग: अपने ही किनारों को खा रहे समुद्र! 2027 तक कटाव की रफ्तार हो जाएगी और भयावह

अपने ही किनारों को खा रहे समुद्र! (प्रतीकात्मक तस्वीर)

मानसून कर्नाटक के समुद्री तट पर स्थित इलाकों के लिए नई आफत बन रहा है. पृथ्वी और विज्ञान मंत्रालय का एक अध्ययन बताता है कि राज्य की समुद्री रेखा के 22 फीसदी इलाके की जमीन धीरे-धीर पानी में जा रही है. दक्षिण कन्नड़ जिले की तो 45 प्रतिशत भूमि पर कटाव का असर  दिख रहा है. उडुपी और उत्तर कन्नड़ के हालात भी गंभीर हैं. 

धरती के अप्रत्याशित बढ़ते तापमान और उसके चलते तेजी से पिघलते ग्लेशियरों के चलते सागर की अथाह जल निधि अब अपनी सीमाओं को तोड़ कर तेजी से बस्ती की ओर भाग रही है. समुद्र की तेज लहरें तट को काट देती हैं और देखते ही देखते आबादी के स्थान पर नीले समुद्र का कब्जा हो जाता है. किनारे की बस्तियों में रहने वाले मछुआरे अपनी झोपड़ियां और पीछे  कर लेते हैं. कुछ ही महीनों में वे कई किलोमीटर पीछे खिसक आए हैं. 

अब आगे समुद्र है और पीछे जाने को जगह नहीं बची है. कई जगह पर तो समुद्र में मिलने वाली छोटी-बड़ी नदियों को सागर का खारा पानी हड़प कर गया है, सो इलाके में पीने, खेती और अन्य उपयोग के लिए पानी का टोटा हो गया है.

केरल के कोच्ची के शहरी इलाके चेलेन्नम में सैकड़ों घर अब समुद्र के ‘ज्वार-परिधि’ में आ गए हैं, यहां सदियों पुरानी बस्ती है लेकिन अब हर दिन वहां घर ढह रहे हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ केरल, त्रिवेंद्रम द्वारा किए गए और जून -22 में प्रकाशित हुए शोध में बताया गया है कि त्रिवेन्द्रम जिले में पोदियर और अचुन्थंग के बीच के 58 किलोमीटर के समुद्री तट का 2.62 वर्ग किलोमीटर हिस्सा बीते 14 सालों में सागर की गहराई में समा गया.

यह शोध बताता है कि सन 2027 तक कटाव की रफ्तार भयावह हो सकती है. वैसे इस शोध में एक बात और पता चली कि इसी अवधि में समुद्र के बहाव ने 700 मीटर नई धरती भी बनाई है.

ओडिशा में प्रसिद्ध बंदरगाह पारादीप के एर्सामा ब्लोक के सियाली समुद्र तट पर  खारे पानी का दायरा बढ़ कर गांवों के भीतर पहुंच गया है. करीबी जिला मुख्यालय जगतसिंह पुर में भी समुद्र के तेज बहाव से भूमि काटने का कुप्रभाव सामने आ रहा है.

Web Title: Rising temperature and sea level rise effecting its shores! By 2027 situation will become more frightening

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