वेदप्रताप वैदिक : कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक है महंगाई

By वेद प्रताप वैदिक | Published: October 9, 2021 07:43 AM2021-10-09T07:43:47+5:302021-10-09T07:45:24+5:30

कोरोना तो कम हो रहा है लेकिन महंगाई तेजी से बढ़ती जा रही है

reasons why inflation is more dangerous than Corona | वेदप्रताप वैदिक : कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक है महंगाई

फोटो-सोशल मीडिया

Highlightsकोरोना तो कम हो रहा है लेकिन महंगाई तेजी से बढ़ती जा रही है पेट्रोल के दाम 100 रु. और डीजल के 90 रु. लीटर पारखानेपीने की रोजमर्रा की चीजों के दाम भी आसमान छूने लगे

देश में कोरोना महामारी घटी तो अब महंगाई की महामारी से लोगों को जूझना पड़ रहा है. कोरोना घटा तो लोग घर की चारदीवारी से बाहर निकलकर बाहर जाना चाहते हैं लेकिन जाएं कैसे? 

पेट्रोल के दाम 100 रु. और डीजल के 90 रु. लीटर को पार कर गए. कार-मालिकों को सोचना पड़ रहा है कि कार बेच दें और बसों, मेट्रो या ऑटोरिक्शा से जाया करें! लेकिन उनके किराए भी आगे बढ़ते जा रहे हैं. 

पेट्रोल और डीजल की सीधी मार सिर्फ मध्यम वर्ग पर ही नहीं पड़ रही है, गरीब वर्ग भी परेशान है. तेल की कीमत बढ़ी तो खानेपीने की रोजमर्रा की चीजों के दाम भी आसमान छूने लगे हैं. सब्जियां तो फलों के दाम बिक रही हैं और फल ग्राहकों की पहुंच के बाहर हो रहे हैं. लोगों ने सब्जियां और फल खाना कम कर दिया लेकिन दालों के भाव भी दमघोंटू हो गए हैं.

आम आदमी की जिंदगी पहले ही दूभर थी, कोरोना ने उसे और दर्दनाक बना दिया है. सरकारी नौकरों, सांसदों और मंत्रियों के वेतन चाहे ज्यों के त्यों रहे हों लेकिन गैर-सरकारी कर्मचारियों, मजदूरों, घरेलू नौकरों की आमदनी तो लगभग आधी हो गई. उनके मालिकों ने कोरोना-काल में हाथ खड़े कर दिए. 

वे ही नहीं, इस आफतकाल में पत्नकारों-जैसे समर्थ लोगों की भी बड़ी दुर्दशा हो गई. कई छोटे-मोटे अखबार तो बंद ही हो गए. बेचारे दर्जियों और धोबियों की भी शामत आ गई. जब लोग अपने घरों में घिरे रहे तो उन्हें धोबी से कपड़े धुलाने और दर्जी से नए कपड़े सिलाने की जरूरत ही कहां रह गई? 

भवन-निर्माण का धंधा ठप होने के कारण लाखों मजदूर अपने गांवों में ही जाकर पड़े रहे. यही हाल ड्राइवरों का हुआ. बस मौज किसी की रही तो डॉक्टरों और अस्पताल मालिकों की रही. 

उन्होंने नोटों की बरसात डोली और मालामाल हो गए लेकिन वे डॉक्टर, वे नर्से और वे कर्मचारी हमेशा श्रद्धा के पात्न बने रहेंगे, जिन्होंने इस महामारी के दौरान मरीजों की लगन से सेवा की और उनमें से कइयों ने अपनी जान की परवाह भी नहीं की. 

वे मनुष्य के रूप में देवता थे. लेकिन यह न भूलें कि महंगाई के इस युग में लाखों ऐसे मरीज भी रहे, जिन्हें ठीक से दवा भी नसीब नहीं हुई. हजारों की जान इलाज के अभाव में चली गई. 

केंद्र और राज्य सरकारों ने कोरोना को काबू करने का भरसक प्रयत्न किया है लेकिन यदि वह इस महंगाई पर काबू नहीं कर सकीं तो मुनाफाखोर लोग उसे ले डूबेंगे. महंगाई की मार कोरोना की मार से ज्यादा खतरनाक सिद्ध होगी. 

कोरोना को तो भगवान का प्रकोप मानकर लोगों ने किसी तरह सह लिया लेकिन महंगाई का गुस्सा मुनाफाखोरों पर तो उतरेगा ही, सरकार को भी जनता नहीं बख्शेगी.

Web Title: reasons why inflation is more dangerous than Corona

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