रहीस सिंह का ब्लॉग: पाकिस्तान बदलेगा या अपनी पुरानी राह पर ही चलेगा?

By रहीस सिंह | Published: July 21, 2019 07:00 AM2019-07-21T07:00:54+5:302019-07-21T07:00:54+5:30

पाकिस्तान द्वारा करतारपुर कॉरिडोर पर भारतीय पक्ष को स्वीकार करना और भारत के लिए अपना एयरोस्पेस ओपन करना कमोबेश यह संदेश देता है कि अब पुन: पाकिस्तान भारत से अपने संबंधों को बेहतर बनाना चाहता है या उसे भारत की जरूरत है.

Rahees Singh blog: Pakistan will change or run on its old path? | रहीस सिंह का ब्लॉग: पाकिस्तान बदलेगा या अपनी पुरानी राह पर ही चलेगा?

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की फाइल फोटो।

पिछले कुछ दिनों के अंदर पाकिस्तान ने कुछ ऐसे कदम उठाए या फिर पाकिस्तान के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कुछ दबाव बने जो यह संकेत देते हैं कि पाकिस्तान की आगे की राह कुछ बदली हुई होगी. लेकिन क्या वास्तव में ऐसा होगा? पाकिस्तान द्वारा करतारपुर कॉरिडोर पर भारतीय पक्ष को स्वीकार करना, अपने एयरोस्पेस को भारत के लिए खोलना, जो बालाकोट कार्रवाई के बाद बंद कर दिया गया था और हाफिज सईद की गिरफ्तारी को लेकर जो कदम उठाए हैं वे प्रथम दृष्ट्या सकारात्मक माने जा सकते हैं. लेकिन क्या इनके आधार पर यह मान लेना चाहिए कि पाकिस्तान का हृदय परिवर्तन हो रहा है?

यह प्रश्न इसलिए महत्वपूर्ण हो जाता है कि यह संभवत: पाकिस्तान के सहज या स्वाभाविक बदलाव का संकेत नहीं देते, बल्कि ऐसा लगता है कि ये उस पर पड़ रहे अंतर्राष्ट्रीय दबावों और आर्थिक रूप से मरते पाकिस्तान में नई सांसें डालने की आवश्यकता का परिणाम है. एक और महत्वपूर्ण विषय अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट ऑफ जस्टिस की तरफ से आया है. उसने कुलभूषण जाधव को लेकर जो निर्णय दिया है वह सही अर्थो में तो पाकिस्तान के लिए शर्मसार करने जैसा है. लेकिन क्या पाकिस्तान वास्तव में शर्म महसूस करेगा? क्या मान लिया जाए कि इमरान का न्यू पाकिस्तान अब सही दिशा में आगे बढ़ेगा या अभी भी उसकी राहें टेढ़ी-मेढ़ी होंगी?

पाकिस्तान द्वारा करतारपुर कॉरिडोर पर भारतीय पक्ष को स्वीकार करना और भारत के लिए अपना एयरोस्पेस ओपन करना कमोबेश यह संदेश देता है कि अब पुन: पाकिस्तान भारत से अपने संबंधों को बेहतर बनाना चाहता है या उसे भारत की जरूरत है. जहां तक मुंबई हमलों के अभियुक्त हाफिज सईद की गिरफ्तारी का सवाल है तो फिलहाल इसका श्रेय अमेरिका लेना चाह रहा है. पाकिस्तान की इस कार्रवाई पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ट्वीट कर कहा है कि ‘दस साल की तलाश के बाद मुंबई हमलों के कथित मास्टरमाइंड को पाकिस्तान में गिरफ्तार किया गया है.

पिछले दो साल से उसकी तलाश के लिए बड़ा दबाव बनाया गया था.’ लेकिन मुझे नहीं लगता कि पाकिस्तान ने सिर्फ अमेरिका या राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दबाव में आकर ऐसा कदम उठाया है. यहां दो कारण प्रतीत होते हैं. पहला यह कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान वा¨शंगटन दौरे पर जाने वाले हैं और वे अपनी पश्चिमी यात्र से पहले यह संदेश देना चाहते हैं कि वे चरमपंथियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रतिबद्ध हैं. लेकिन इससे भी बड़ा कारण है फाइनेंशियल टास्क फोर्स का भय. उल्लेखनीय है कि फाइनेंशियल टास्क फोर्स पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में शामिल कर चुका है और उसने पाकिस्तान को अक्तूबर तक का समय दिया है.

यदि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं करता है तो वह एफटीए की ब्लैक लिस्ट में शामिल कर लिया जाएगा. आर्थिक रूप से मरते हुए पाकिस्तान के लिए यह कदम ताबूत की अंतिम कील जैसा होगा. यही वजह है कि पाकिस्तान ने पिछले दिनों चरमपंथ को बढ़ावा देने वाले संगठनों की संपत्तियों और अकाउंट को जब्त और फ्रीज करने संबंधी कार्रवाइयां की थीं और उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी. 

जहां तक कुलभूषण जाधव के मामले में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) के निर्णय की बात है तो इसे भी हम भारत की कूटनीतिक विजय कह सकते हैं. अब देखना यह है कि पाकिस्तान आगे किस तरह की राह चुनता है. यानी वह नए मनोविज्ञान के साथ इन मसलों पर आगे बढ़ना चाहेगा या कुछ दिन के प्रहसन के बाद पुन: अपने पुराने खोल में वापस चला जाएगा. 

Web Title: Rahees Singh blog: Pakistan will change or run on its old path?

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