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ब्लॉग: विवादास्पद जीत के बाद रूस में और मजबूत हुए पुतिन

By शोभना जैन | Updated: March 21, 2024 12:35 IST

रूस के राष्ट्रपति पद के लिए हाल ही में (15-17 मार्च) संपन्न हुए चुनाव के पहले ही जिस तरह से चुनाव के नतीजे आने की उम्मीद की जा रही थी

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ठळक मुद्देपुतिन दिसंबर 1999 से रूस का नेतृत्व कर रहे हैंइस चुनाव के बाद वे 2030 तक रूस के राष्ट्रपति रह सकते हैंप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत की निष्पक्ष भूमिका के अनुरूप पुतिन को विजय की बधाई दी

रूस के राष्ट्रपति पद के लिए हाल ही में (15-17 मार्च) संपन्न हुए चुनाव के पहले ही जिस तरह से चुनाव के नतीजे आने की उम्मीद की जा रही थी, ठीक उन्हीं आशाओं के अनुरूप रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन पांचवीं बार राष्ट्रपति चुन लिए गए हैं।

हालांकि पुतिन भारी बहुमत से चुनाव तो जीत गए, लेकिन उनकी जीत लगातार सवालों के घेरे में है, और जिस तरह से ये चुनाव हुए हैं, चुनावों की विश्वसनीयता को लेकर वहां की ‘एकतरफा व्यवस्था’ और पुतिन की कठोर शासन शैली को अगर दोषी ठहराया जा रहा है तो शासन तंत्र और उनके समर्थक उनकी एक कद्दावर छवि और लोकप्रियता का प्रतीक मान रहे हैं।

पुतिन को 88 प्रतिशत मत भले ही मिले हों, लेकिन एक तरह से बिना किसी विपक्षी नेता के हुए इन चुनावों को लेकर सवाल उठना स्वाभाविक है। पुतिन के सामने इस चुनाव में दिखावे स्वरूप सिर्फ तीन उम्मीदवार थे। यूक्रेन युद्ध का विरोध करने वाले किसी भी व्यक्ति को पुतिन के खिलाफ चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी गई थी। उनके सामने जो तीन उम्मीदवार थे वो तीनों ही क्रेमलिन की ओर से खड़े किए गए लोग थे।

जब उनकी जीत हुई और कुल वोट का 87.97 फीसदी हिस्सा पुतिन को मिला तो पुतिन ने कहा कि रूस का लोकतंत्र कई पश्चिमी देशों के लोकतंत्र से कहीं ज्यादा मजबूत है। पुतिन की जीत की छाया सीधे-सीधे यूक्रेन युद्ध पर दिखाई देगी, और इसे दुनिया भर में यूक्रेन युद्ध पर पुतिन को देश में मिले समर्थन के द्योतक के रूप में पेश किया जा रहा है।

इस विजय की घोषणा होने के बाद पुतिन ने कहा- अब रूस और भी ज्यादा ताकतवर और प्रभावशाली बनेगा। उन्होंने रूस-नाटो विवाद को लेकर भी चर्चा करते हुए कहा- ‘अगर अमेरिकी नेतृत्व वाला सैन्य संगठन नाटो और रूस आमने-सामने हुए तो दुनिया तीसरे विश्व युद्ध से एक कदम दूर होगी। मुझे नहीं लगता कि कोई भी ऐसा कुछ चाहेगा।

चीन और उत्तर कोरिया जैसे देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने जहां इस विजय पर पुतिन को बधाई दी, वहीं अमेरिका, यूक्रेन और नाटो गठबंधन के देशों ने इसे निष्पक्ष चुनाव नहीं बताते हुए ‘छद्म’ कहा और कहा कि पुतिन ने अपने राजनीतिक विरोधियों को जेलों में डाल रखा है और अन्य को चुनाव लड़ने से रोका. उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत की निष्पक्ष भूमिका के अनुरूप पुतिन को विजय की बधाई दी

और कहा कि वह दोनों देशों के बीच समय की कसौटी पर खरी उतरी विशेष व सामरिक साझीदारी को और मजबूत करने के लिए उनके साथ आगे काम करने की उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहे हैं। पुतिन दिसंबर 1999 से रूस का नेतृत्व कर रहे हैं। इस चुनाव के बाद वे 2030 तक रूस के राष्ट्रपति रह सकते हैं।

टॅग्स :रूसचीनPMOनरेंद्र मोदी
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