उमेश चतुर्वेदी का ब्लॉगः नागरिकता संशोधन कानून का विरोध 

By उमेश चतुर्वेदी | Published: January 16, 2019 08:11 AM2019-01-16T08:11:23+5:302019-01-16T08:11:23+5:30

नागरिकता संशोधन कानून बहुत व्यापक है. नौ जनवरी को इस बिल पर चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्नी राजनाथ सिंह ने असम और पूर्वोत्तर के दूसरे इलाकों में फैले भ्रम को दूर करने की कोशिश भी की. उन्होंने कहा कि इस बिल के तहत सिर्फ असम या पूर्वोत्तर पर जिम्मेदारी नहीं होगी.

Protest in Assam, Nagaland, Mizoram and Tripura against amendment citizenship law | उमेश चतुर्वेदी का ब्लॉगः नागरिकता संशोधन कानून का विरोध 

उमेश चतुर्वेदी का ब्लॉगः नागरिकता संशोधन कानून का विरोध 

नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ असम, नगालैंड, मिजोरम और त्रिपुरा में विरोध प्रदर्शन हुआ. 8 जनवरी को तो असम की पूरी बराक घाटी में हालात यह रहे कि इस विधेयक के पारित होने के खिलाफ एक भी दुकान नहीं खुली. नागरिकता कानून 1955 में संशोधन के लिए लाए गए नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध पर चर्चा से पहले इसके बारे में जानने की कोशिश करते हैं. 

इस विधेयक के लागू होने के बाद असम राज्य स्थित कोच राजभोगशी, ताइ आहोम, चोटिया, मतक, मोरान एवं चाय बागान से जुड़े समुदाय जहां अनुसूचित जनजाति (एसटी) की श्रेणी में शामिल कर दिए जाएंगे, वहीं  इस विधेयक के कानून बनने के बाद अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के मानने वाले अल्पसंख्यक समुदायों को भारत की नागरिकता आसानी से मिल सकेगी. मौजूदा प्रावधानों के तहत इन समुदायों के लोगों को लगातार 12 साल तक भारत में रहने के बाद ही नागरिकता मिलती थी. लेकिन नए प्रावधानों के मुताबिक यह अवधि बारह साल से घटाकर छह साल कर दी गई है.  

नागरिकता संशोधन कानून बहुत व्यापक है. नौ जनवरी को इस बिल पर चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्नी राजनाथ सिंह ने असम और पूर्वोत्तर के दूसरे इलाकों में फैले भ्रम को दूर करने की कोशिश भी की. उन्होंने कहा कि इस बिल के तहत सिर्फ असम या पूर्वोत्तर पर जिम्मेदारी नहीं होगी. गृह मंत्नी ने आरोप लगाया कि बिल पर भ्रांतियां फैलाने की कोशिश की जा रही है. बहरहाल, इस बिल के खिलाफ असम के विभिन्न समुदायों के उठ खड़े होने की वजह वहां आजादी के बाद से ही परेशानी की वजह रही घुसपैठ की समस्या है. वैसे भी असम और इलाके के दूसरे राज्यों में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों का मामला जबर्दस्त मसला रहा है. साल 2014 का आम चुनाव हो या 2016 का असम विधानसभा चुनाव, दोनों में यह बड़ा मुद्दा बना.  
 
विवाद की वजह यह है कि इस विधेयक में अवैध रूप से घुसने वालों के लिए आधार वर्ष 1971 की 24 मार्च की आधी रात से बढ़ाकर 2014 हो जाएगा. विरोध की वजह यही है. विरोधी दल नागरिकता संशोधन कानून में आधार वर्ष को 1971 से आगे बढ़ाने के विरोध में हैं. हालांकि केंद्र सरकार की दिक्कत यह है कि वह आधार वर्ष नहीं बढ़ाती है तो उसे असम के स्थानीय निवासियों को जवाब देना पड़ेगा, क्योंकि पिछले चुनाव में उसे जीत इसी वायदे को पूरा करने के लिए मिली है.

Web Title: Protest in Assam, Nagaland, Mizoram and Tripura against amendment citizenship law

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