प्रमोद भार्गव का ब्लॉग: सस्ती दवाओं से दुनिया को निरोगी बनाएगा भारत

By प्रमोद भार्गव | Updated: April 28, 2022 15:03 IST2022-04-28T15:03:50+5:302022-04-28T15:03:50+5:30

भारत अभी 206 देशों में दवाओं का निर्यात करता है. भारत ने हाल में यूएई और ऑस्ट्रेलिया से द्विपक्षीय व्यापार समझौता किया है, इससे भारत से दवाओं का निर्यात बढ़ जाएगा.

Pramod Bhargava blog: India will make world healthy with cheap medicines | प्रमोद भार्गव का ब्लॉग: सस्ती दवाओं से दुनिया को निरोगी बनाएगा भारत

सस्ती दवाओं से दुनिया को निरोगी बनाएगा भारत

महंगी दवाओं के चलते इलाज न करा पाने वाले दुनिया के करोड़ों गरीब मरीजों के लिए भारत हमदर्द बनने जा रहा है. बड़ी मात्रा में सस्ती जेनेरिक दवाओं का निर्माण एवं विश्वव्यापी वितरण करके भारत देशी फार्मा उद्योग को तो बढ़ावा देगा ही, निर्यात भी बढ़ाएगा. फार्मा विशेषज्ञ पदोन्नति परिषद् के मुताबिक वर्ष 2021-22 में भारत ने 24.47 अरब डाॅलर की दवाओं का निर्यात किया था जिसके 2030 तक 70 अरब डॉलर तक पहुंच जाने की उम्मीद है. 

फिलहाल भारत का कुल दवा बाजार 47 अरब डॉलर का है. इसमें 22 अरब डॉलर का व्यापार देश के भीतर ही होता है. फिलहाल भारत सस्ती यानी जेनेरिक दवाओं के वैश्विक सकल निर्यात में 20 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखता है. दुनिया में लगने वाली 60 प्रतिशत वैक्सीन का सप्लायर भी भारत है. इस नाते भारत वर्तमान में भी वैश्विक दवाखाना कहलाता है.

वर्तमान में दुनिया के 206 देशों में भारत दवाओं का निर्यात करता है. इनमें जेनेरिक दवाएं तो कम हैं, ब्रांडेड दवाओं का निर्यात ज्यादा होता है. लेकिन हाल ही में भारत ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और ऑस्ट्रेलिया से जो द्विपक्षीय व्यापार समझौता किया है, उसके तहत भारत से दवाओं का निर्यात बढ़ जाएगा. ऑस्ट्रेलिया को भारत अभी एक वर्ष में 34 करोड़ डॉलर की दवाएं निर्यात करता है, जो एक अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा. 

यूएई के बाजार से भारतीय दवाएं अफ्रीका के देशों में जाएंगी. दक्षिण अमेरिका के देश भी भारत की सस्ती दवाओं के लिए अपने द्वार खोल रहे हैं. यूक्रेन से लड़ाई के चलते पश्चिमी व नाटो देशों ने रूस को अनेक प्रकार की दवाएं देने पर रोक लगा दी है इसलिए अब रूस भारत से दवाएं मांग रहा है. 

यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और कनाडा के साथ भी ऐसे कारोबारी समझौते हुए हैं, जो भारत की जेनेरिक दवाएं खरीदेंगे. इन दवाओं के निर्यात में कोई कमी न आए, इस दृष्टि से रसायन एवं खाद मंत्रालय ने 35 एक्टिव फार्मास्युटिकल्स इंग्रेडिएंट्स (एपीआई) इकाइयों को उत्पादन बढ़ाने की अनुमति दे दी है. पीएलआई योजना के तहत 53 एपीआई को भी उत्पादन के लिए चिन्हित किया गया है, इस मकसद पूर्ति के लिए 32 नए संयंत्र लगाए गए हैं. 

इन संयंत्रों में दवा निर्माण के लिए कच्चा माल तैयार किया जाएगा. फिलहाल भारत दवा संबंधी 2.8 अरब डॉलर के कच्चे माल का आयात चीन से करता है. इसके बदले में 4.8 अरब डाॅलर की एपीआई और दवा निर्माण के अन्य कच्चे माल का निर्यात भी करता है.

कोविड की पहली लहर में जब चीन की वुहान प्रयोगशाला से निकलकर दुनिया में हाहाकार मच रहा था, तब इससे निपटने का दुनिया के पास कोई उपाय नहीं था. लेकिन भारतीय चिकित्सकों ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन जिसे एचसीक्यू कहा जाता है, उसे इस संक्रमण को नष्ट करने में सक्षम पाया. भारत में पहली लहर का संक्रमण इसी दवा के उपचार से खत्म किया गया. 

यह दवा इतनी सफल रही कि अमेरिका सहित दुनिया के डेढ़ सौ देशों में इस दवा की आपूर्ति भारत ने की थी़। अब तक वनस्पतियों की जो जानकारी वैज्ञानिक हासिल कर पाए हैं, उनकी संख्या लगभग ढाई लाख है. इनमें से 50 प्रतिशत उष्णकटिबंधीय वन-प्रांतरों में उपलब्ध हैं. 

भारत में 81 हजार वनस्पतियां और 47 हजार प्रजातियों के जीव-जंतुओं की पहचान सूचीबद्ध है़.  आयुर्वेद में 5 हजार से भी ज्यादा वनस्पतियों का गुण व दोषों के आधार पर मनुष्य जाति के लिए क्या महत्व है, विस्तार से विवरण है. हमारे प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में जिन 84 लाख जीव-योनियों का विवरण है, उनमें 10 लाख वनस्पतियां और 52 लाख इतर जीव-योनियां बताई गई हैं. 

साथ ही स्पष्ट किया गया है कि इन्हीं योनियों में से असंख्य जीवात्माएं प्रत्येक क्षण जीवन-मरण का क्रम जारी रखे हुए हैं और यही सारे लोक में फैली हैं. ब्रिटिश वैज्ञानिक रॉबर्ट एम. ने जीव व वनस्पतियों की दुनिया में कुल 87 लाख प्रजातियां बताई हैं, इनमें जीवाणु, विषाणु शामिल नहीं हैं.

Web Title: Pramod Bhargava blog: India will make world healthy with cheap medicines

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