प्रकाश बियाणी का ब्लॉग: जनता का सोना खरीदकर नोट छापने की तैयारी!
By Prakash Biyani | Published: May 15, 2020 01:16 PM2020-05-15T13:16:53+5:302020-05-15T13:16:53+5:30
खबर है कि इस बार नोट छापने के लिए सरकार प्रतिभूति के लिए जिन विकल्पों पर विचार कर रही है, उनमें शामिल हैं- हमारे घरों में संगृहीत सोना, रिजर्व बैंक का स्वर्ण और विदेशी मुद्रा भंडार. अनुमान लगाया जाता है कि भारतीय परिवारों के पास 1.5 ट्रिलियन डॉलर (करीब 105 लाख करोड़ रु पए) मूल्य का 24 से 25 हजार टन सोना है. भारतीय रिजर्व बैंक के पास 640 टन सोना और 416 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा है.
प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी ने कोरोना लॉकडाउन से प्रभावित अर्थव्यवस्था की रिपेयरिंग के लिए 20 लाख करोड़ रुपए का आत्मनिर्भर भारत अभियान लांच किया है. प्रधानमंत्नी की सोच है कि इतनी राशि योजनाबद्ध तरीके से खर्च या निवेश की जाए तो भारतीय अर्थव्यवस्था लोकल से ग्लोबल बन सकती है. पर लोगों के मन में सवाल हैं कि इतना पैसा आखिर आएगा कहां से? सरकार यदि नोट छापेगी तो महंगाई बढ़ेगी, यदि कर्ज लेगी तो वित्तीय घाटा बढ़ेगा?
इस सवाल का जवाब है कि सरकार लक्ष्य से ज्यादा कर्ज ले रही है और नोट भी छापने जा रही है. याद करें कि आम बजट में सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 7.8 लाख करोड़ कर्ज का लक्ष्य रखा था. कोरोना संकट के बाद सरकार लक्ष्य से 4.2 लाख करोड़ रुपए ज्यादा यानी 12 लाख करोड़ रुपए कर्ज ले रही है. आत्मनिर्भर भारत अभियान के लिए राशि जुटाने के लिए सरकार को नोट भी छापने होंगे, जिसकी प्रतिभूति होगी- देश का स्वर्ण और विदेशी मुद्रा भंडार.
1993 के पहले सरकार को अतिरिक्त धन की जरूरत होती थी तो सरकार समतुल्य राशि के ट्रेजरी बिल जारी करके रिजर्व बैंक को सौंपती थी जो उसके बदले नोट छाप देता था. इस विंडो ड्रेसिंग यानी सर्जरी की जगह मलहम पट्टी से ही वित्तीय घाटा कवर कर लिया जाता था. 1994 में यह सिस्टम बदला और अब सरकार को अतिरिक्त धन की जरूरत पड़ने पर प्रतिभूति जारी करना पड़ता है.
खबर है कि इस बार नोट छापने के लिए सरकार प्रतिभूति के लिए जिन विकल्पों पर विचार कर रही है, उनमें शामिल हैं- हमारे घरों में संगृहीत सोना, रिजर्व बैंक का स्वर्ण और विदेशी मुद्रा भंडार. अनुमान लगाया जाता है कि भारतीय परिवारों के पास 1.5 ट्रिलियन डॉलर (करीब 105 लाख करोड़ रु पए) मूल्य का 24 से 25 हजार टन सोना है. भारतीय रिजर्व बैंक के पास 640 टन सोना और 416 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा है.
इस भंडारण के 10 फीसदी हिस्से को भी प्रतिभूति में कन्वर्ट कर लें तो सरकार 20 लाख करोड़ रुपए के नए नोट जारी कर सकती है. खबर है कि सरकार बैंकों के जरिए भारतीय परिवारों का सोना बाजार मूल्य पर खरीदने की तैयारी कर रही है. सोने का सोर्स नहीं पूछा जाएगा.
यदि ऐसा हुआ तो वित्तीय घाटा और महंगाई बढ़ने के खतरे से बचते हुए सरकार देश की ब्लॉक असेट (संपदा) के बदले नए नोट छाप सकेगी. 20 लाख करोड़ रुपए का यह बंदोबस्त देश के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है. शर्त है कि हम और सरकार लक्ष्य भेद करें यानी देश आत्मनिर्भर हो जाए.