संपादकीयः जनादेश का सम्मान करें राजनीतिक दल 

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 15, 2019 02:29 AM2019-01-15T02:29:28+5:302019-01-15T02:29:28+5:30

शक्ति परीक्षण के पहले दोनों ही पक्षों ने अपने तरकश के सारे तीर आजमाए. भाजपा ने कांग्रेस-जद (एस) विधायकों को तोड़ने की कोशिश की मगर कामयाब नहीं हुई. कांग्रेस-जद (एस) ने भी भाजपा के कुछ विधायकों को अपने पाले में करने का प्रयास किया था मगर उसे भी कामयाबी नहीं मिली.

Political Parties Respect Mandate of people congress bjp jds lok sabha election | संपादकीयः जनादेश का सम्मान करें राजनीतिक दल 

संपादकीयः जनादेश का सम्मान करें राजनीतिक दल 

कर्नाटक और मध्य प्रदेश में कांग्रेस तथा भाजपा के बीच शह एवं मात का खेल चल रहा है. दोनों ही राज्यों में भाजपा चुनाव हारने के बावजूद सत्तारूढ़ दलों को तगड़ी टक्कर देने की स्थिति में है. कर्नाटक में कांग्रेस ने जनता दल (एस) के साथ आनन-फानन में गठबंधन कर 104 सीटें जीतने वाली भाजपा को सत्ता में कुछ ही दिन टिकने दिया था. बी.एस. येदियुरप्पा के नेतृत्व में भाजपा ने सात माह पूर्व सरकार तो बना ली थी मगर वह सदन में बहुमत नहीं साबित कर सकी. 

शक्ति परीक्षण के पहले दोनों ही पक्षों ने अपने तरकश के सारे तीर आजमाए. भाजपा ने कांग्रेस-जद (एस) विधायकों को तोड़ने की कोशिश की मगर कामयाब नहीं हुई. कांग्रेस-जद (एस) ने भी भाजपा के कुछ विधायकों को अपने पाले में करने का प्रयास किया था मगर उसे भी कामयाबी नहीं मिली. कांग्रेस-जद (एस) तथा भाजपा ने एक आजाद एवं लोकतांत्रिक मुल्क में जनता द्वारा निर्वाचित अपने-अपने विधायकों को रिसोर्ट की चहारदीवारी के भीतर रखने का खेल खेला. तब से अब तक कर्नाटक में राजनीतिक अस्थिरता की तलवार लटक रही है. 

जहां तक मध्य प्रदेश का सवाल है तो 230 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस 114 सीटें हासिल कर स्पष्ट बहुमत से दो सीटें दूर रह गई. भाजपा हार गई मगर 109 सीटें जीतकर वह कांग्रेस सरकार की स्थिरता के लिए लगातार चुनौती बनी हुई है. म.प्र. विधानसभा के अध्यक्ष पद के चुनाव में मुख्यमंत्री कमलनाथ के सामने अपने विधायकों को एकजुट रखने के साथ-साथ मंत्री पद न मिलने से नाराज सपा, बसपा तथा निर्दलीय विधायकों को साथ रखने की चुनौती थी. 

सदन में पलड़ा भारी होने के बावजूद कांग्रेस आश्वस्त नहीं थी क्योंकि भाजपा का खेमा भी सक्रिय था. म.प्र. में सत्ता पाने की भाजपा की आकांक्षा अभी भी खत्म नहीं हुई है. भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने रविवार को एक बयान देकर इसका स्पष्ट संकेत भी दे दिया. विजयवर्गीय का कहना है कि अगर ऊपर से हरी झंडी मिल जाए तो 15 दिन में म.प्र. में सत्ता पलट सकती है. म.प्र. में विधानसभा अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष के चुनाव के साथ ही राजनीतिक तूफान फिलहाल शांत लगता है मगर वह कभी भी फिर सक्रिय हो सकता है. 

इस वक्त सरगर्मी कर्नाटक में फिर तेज हो गई है. भाजपा पर कांग्रेस अपने विधायकों को तोड़ने की कोशिश करने का आरोप लगा रही है. राज्य में हाल ही में मंत्रिमंडल में फेरबदल के बाद कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ विधायक तथा नेता नाराज हैं. भाजपा इसी असंतोष को भुनाने का प्रयास कर रही है मगर वह भी सशंकित है. उसने अपने तमाम विधायकों को गुरुग्राम (हरियाणा) के एक रिसोर्ट में भेज दिया है. 

राजनीति में नैतिकता का तकाजा यही है कि तमाम राजनीतिक दल जनादेश का सम्मान करें. किसे सत्ता में रहना चाहिए और किसे बेदखल करना चाहिए, यह अधिकार लोकतांत्रिक व्यवस्था में सिर्फ जनता का है. राजनीतिक दल अगर अस्थिरता फैलाने का प्रयास करेंगे तो न केवल विकास अवरुद्ध होगा बल्कि उससे जनादेश का भी अपमान होगा.

Web Title: Political Parties Respect Mandate of people congress bjp jds lok sabha election