ब्लॉग: सीबीआई की राजनीतिक और संवैधानिक मुश्किलें
By शशिधर खान | Published: March 16, 2022 09:06 AM2022-03-16T09:06:34+5:302022-03-16T09:09:45+5:30
मेघालय में नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) की सरकार है, जो केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठजोड़ में शामिल है. इसके बावजूद सीबीआई को मेघालय में सरकारी योजना में घपला मामले की जांच करने से रोक दिया गया.
सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) को भ्रष्टाचार के मामले की जांच की इजाजत नहीं देने वाला मेघालय नौवां राज्य है. यह मामला मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा के भाई जेम्स पी. के. संगमा के भ्रष्टाचार में लिप्त होने का है, जिसकी जांच के लिए सीबीआई को मिली सामान्य अनुमति वापस ले ली गई.
मेघालय में नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) की सरकार है, जो केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठजोड़ में शामिल है. इसके बावजूद सीबीआई को मेघालय में सरकारी योजना में घपला मामले की जांच करने से रोक दिया गया.
सीबीआई को किसी भी राज्य में भ्रष्टाचार के मामले की जांच के लिए प्रवेश की इजाजत रहती है. मगर कोई राज्य सरकार यह इजाजत वापस ले ले तो केंद्रीय जांच एजेंसी को हर एक मामले की अलग से राज्य सरकार के पास जांच की अनुमति के लिए आवेदन करना पड़ता है.
मेघालय का मामला ताजा है. इसके पहले 8 राज्य अपने यहां प्रवेश से सीबीआई को रोक चुके हैं. सबके अलग-अलग राजनीतिक पेंच हैं, मगर सारे मामले भ्रष्टाचार से जुड़े हैं.
इसके साथ-साथ संवैधानिक कारण भी हैं. अगर कोई राज्य सरकार सीबीआई को किसी मामले की जांच की अनुमति मांगने पर भी न दे तो सीबीआई के पास राज्य पर दबाव डालने का संवैधानिक अधिकार है या नहीं, यह मामला उलझा हुआ है.
यह उलझन कानूनी है. सीबीआई ऐसे संवैधानिक हथियार से लैस नहीं है, जिसका इस्तेमाल किसी राज्य सरकार के खिलाफ कर सकती है. इसलिए सीबीआई का दावा वहां आकर कमजोर पड़ जाता है, जहां कोई राज्य सरकार इस केंद्रीय जांच ब्यूरो के संवैधानिक अधिकार पर उंगली उठा देती है.
आजादी के अमृत महोत्सव में भी भारत की शीर्ष जांच एजेंसी सीबीआई दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टैब्लिशमेंट एक्ट (डीएसपीईए), 1946 से संचालित होती है. यह एक्ट संसद से पास अन्य कानूनों की तरह नहीं है, जो राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद प्रभावी और लागू होता है.
संघीय ढांचे के अंतर्गत पूरे देश में लागू होने वाले किसी भी कानून के लिए यही संवैधानिक प्रक्रिया अपनाई जाती है. डीएसपीईए, 1946 के अंतर्गत ही यह प्रावधान है कि किसी भी राज्य में किसी अपराध की जांच शुरू करने से पहले सीबीआई को उस राज्य से अनुमति लेनी होगी.
जबकि दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टैब्लिशमेंट एक्ट, 1946 से संबंधित बिल आज तक संसद से पारित नहीं हुआ, न ही इस पर राष्ट्रपति की मुहर है. यह संवैधानिक और विवादित तथ्य है, जिसका स्पष्ट जवाब सीबीआई या केंद्र सरकार के पास नहीं है.