पोखरण परमाणु परीक्षण: वाजपेयी के अचंभित करने वाले फैसले ने भारत के प्रति विश्व के नज़रिये को बदल दिया था
By असीम | Published: May 11, 2018 03:49 PM2018-05-11T15:49:30+5:302018-05-11T15:50:50+5:30
परमाणु शक्ति के रूप में भारत को विकसित करना बीजेपी के एजेंडे में शामिल था लेकिन इतनी जल्दी इसको अंजाम दिया जायेगा इस कि कल्पना किसी को नहीं थी।
मई 11, 1998 को जब दूरदर्शन पर प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के लाइव टेलिकास्ट की घोषणा हुई तो पता नहीं था वाजपेयी जी क्या बोलने वाले हैं। ये की भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया है, इसकी तो बिल्कुल उम्मीद नहीं थी। सुगबुगाहट तो बहुत चल रहीं थीं। लेकिन सरकार सुरक्षित थी तो पिछली बार की तरह (सरकार गिरने वाली है या त्यागपत्र देने वाली हैं) किसी बड़े धमाके की उम्मीद नहीं थी।
आज जैसे हर घटना एक इवेंट बन जाती है, उस समय वाजपेयी का प्रेस वक्तव्य एक बड़ा इवेंट लग रहा था। जिस तरीके से ये पूरा कार्यक्रम किया जा रहा था लग रहा था कुछ बड़ा होने वाला है। पहली बार प्रधानमंत्री अपने घर के दालान पर कुछ बोलने वाले थे। बगल में भारत का तिरंगा लहरा रहा था और मुस्कुराते हुए प्रमोद महाजन खड़े थे। उस समय ट्विटर या सोशल मीडिया जैसा कुछ था नहीं तो ख़बरें इतनी तेज़ी से पहुँचती नहीं थीं।
अंततः जब वाजपेयी आये और बताया कि भारत ने 3.45 बजे परमाणु परीक्षण किए हैं तो सबके लिए चौंकाने वाली खबर थी। परमाणु शक्ति के रूप में भारत को विकसित करना बीजेपी के एजेंडे में शामिल था लेकिन इतनी जल्दी इसको अंजाम दिया जायेगा इसकी कल्पना किसी को नहीं थी।
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वाजपेयी ने इसके लिये हरी झंडी मार्च में विश्वास मत जितने के बाद ही दे दी थी। प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम और भाभा अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ चिदंबरम, जिनकी अगुवाई में पोखरण 2 को अंजाम दिया गया, ने बड़ी ही खुफिया तरीक़े से मिशन को पूरा किया। मिशन के लिए डॉ कलाम बने मेजर जनरल पृथ्वीराज बने वहीं चिदंबरम बने नटराज।
वैसे तो भारत ये परमाणु परीक्षण अप्रैल 1998 के अंत में ही कर सकता था। लेकिन डॉ चिदंबरम की बेटी की शादी थी और पिता की अनुपस्थिति बहुत सारे सवाल को जन्म देती। उसके बाद राष्ट्रपति विदेश के दौर पर थे और वो मई 10 को देश वापस लौट रहे थे। इसलिए मई 11, 1998 का दिन नियत किया गया।
पोखरण परमाणु परीक्षण की जानकारी वाजपेयी सरकार में उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, रक्षा मंत्री जॉर्ज फ़र्नान्डिस, वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा जसवंत सिंह और प्रमोद महाजन को थी। मई 11 के परीक्षण के बाद मई 13 को दो और परीक्षण किए गए। शुरू में तो कांग्रेस ने इसका समर्थन किया लेकिन बाद में पार्टी के कुछ नेताओं ने परिक्षण को लेकर प्रश्न किये जिसका जवाब वाजपेयी ने लोकसभा में बहस के दौरान दिया। वाजपेयी कांग्रेस को ये याद दिलाना नहीं भूले की जब इंदिरा गाँधी ने पोखरण में पहला परमाणु परिक्षण किया था तो विपक्ष ने उसका साथ दिया था।
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