PM Modi In Tamil Nadu: तमिलनाडु से देश और दुनिया को संदेश, आखिर रामनवमी का दिन ही कार्यक्रम क्यों चुना गया होगा?
By अवधेश कुमार | Updated: April 15, 2025 05:15 IST2025-04-15T05:15:04+5:302025-04-15T05:15:04+5:30
PM Modi In Tamil Nadu: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं और उनकी सरकार लंबे समय से भारतीय संस्कृति, सभ्यता, अध्यात्म, समाज जीवन आदि में वैदिक काल की एकता के तत्वों को सामने लाकर दिशा देने की कोशिश कर रहे हैं.

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PM Modi In Tamil Nadu: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तमिलनाडु, विशेषकर रामेश्वरम की यात्रा, वहां के कार्यक्रम, भाषण आदि की जितनी गहन चर्चा देश में होनी चाहिए उतनी नहीं हुई. हमारे यहां राजनीति में तीखा विभाजन होने के कारण देश के सकारात्मक मुद्दे गौण हो जाते हैं और नकारात्मक, निहित स्वार्थ के तहत उठाए देश के लिए क्षतिकारक मुद्दे सर्वाधिक चर्चा में होते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं और उनकी सरकार लंबे समय से भारतीय संस्कृति, सभ्यता, अध्यात्म, समाज जीवन आदि में वैदिक काल की एकता के तत्वों को सामने लाकर दिशा देने की कोशिश कर रहे हैं.
सामान्य तौर पर देखें तो प्रधानमंत्री मोदी ने वहां पंबन पुल का उद्घाटन किया, रेलवे को हरी झंडी दी, रामेश्वरम धाम में पूजा किया तथा जनसभा को संबोधित किया. राजनीतिक दृष्टि से यह कार्यक्रम सामान्य माना जा सकता है. किंतु पूरी स्थिति समझने वाले इन कार्यक्रमों के दूरगामी गहरे प्रभाव की शक्ति को स्वीकार करेंगे. आखिर रामनवमी का दिन ही इस कार्यक्रम के लिए क्यों चुना गया होगा?
रामनवमी भारत की दृष्टि से इस वर्ष अत्यंत महत्वपूर्ण दिवस बन गया. एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रामेश्वरम द्वीप और मुख्यभूमि को जोड़ने वाले पंबन समुद्र पुल का उद्घाटन कर रहे थे तो दूसरी ओर अयोध्या में निश्चित समय पर सूर्य की किरणें ठीक रामलला के मस्तक पर तिलक लगा रही थीं. इसके साथ प्रधानमंत्री ने उपग्रह से सेतु समुद्र को स्वयं देखने के साथ संपूर्ण विश्व को दिखाया.
यह भारतीय सभ्यता, संस्कृति की कल्पनाशीलता और विज्ञान दोनों स्तरों पर उच्च सोपान का प्रमाण था. संपूर्ण दृश्य अद्भुत था. अगर तमिलनाडु को श्रीराम, श्रीकृष्ण, महादेव यानी शिव से अलग कर दें तो वहां बचेगा क्या? मोदी सरकार ने काशी तमिल संगमम आरंभ कर इस उत्तर और दक्षिण की अंतर्भूत एकता को ही प्रमाणित और साकार करने की पहल की है जिसके परिणाम आ रहे हैं.
तमिल के नाम पर अलगाववाद और सनातन विरोधी भावना भड़काने वाले आखिर इतिहास की सच्चाइयों को कैसे खारिज कर सकते हैं. केवल कहने की बजाय अगर प्रधानमंत्री स्तर के व्यक्ति साकार रूप में उन मंदिरों में जाते हैं, पूजा करते हैं, उनके बारे में बोलते हैं, सेतुबंध को उपग्रह से प्रदर्शित करते हैं तो भारत सहित संपूर्ण विश्व में इसका संदेश जाता है.
इससे विश्व समुदाय के अंदर यह भी स्थापित होता है कि एकता के ही विविध रूप के साथ भारत समृद्ध प्राचीन विरासत के साथ आधुनिक विकास, विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में भी समृद्धतम बन रहा है. ऐसे देश का ही भावनात्मक सम्मान विश्व समुदाय करता है, उसी की विश्वसनीयता भी स्थापित होती है.