पीयूष पांडे का ब्लॉग: झूठ के भी पांव होते हैं!
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: February 29, 2020 07:57 AM2020-02-29T07:57:50+5:302020-02-29T07:57:50+5:30
आप एक झूठ नागपुर में बैठकर व्हाट्सएप्प पर डालिए. थोड़ी देर में वही झूठ दिल्ली-मुंबई की सैर करते हुए कुछ और मिर्च-मसाले के साथ आपके पास बिन बताए उसी तरह पहुंच जाएगा, जिस तरह चुनाव के वक्त राजनेता वोटर के पास पहुंचते हैं.
झूठ के पांव नहीं होते. इस मुहावरे का अर्थ है कि झूठा आदमी अपनी बात पर खरा नहीं उतरता. इतनी सीधी बात के लिए टेढ़ा मुहावरा किसने बनाया, नहीं मालूम. लेकिन इस मुहावरे के शाब्दिक अर्थ पर गौर करें तो लगता है कि झूठ के पांव होते हैं. पांव क्या झूठ की बॉडी में बीएस-6 इंजन फिट होता है और इसीलिए झूठ सरपट दौड़ता है.
आप एक झूठ नागपुर में बैठकर व्हाट्सएप्प पर डालिए. थोड़ी देर में वही झूठ दिल्ली-मुंबई की सैर करते हुए कुछ और मिर्च-मसाले के साथ आपके पास बिन बताए उसी तरह पहुंच जाएगा, जिस तरह चुनाव के वक्त राजनेता वोटर के पास पहुंचते हैं.
झूठ फैलाना उतना ही आसान है, जितना चाय बनाना. चाय की रेसिपी की तर्ज पर पहले आप एक झूठ लीजिए. उसे दो-चार दिन यार दोस्तों की गप्पों की आंच पर धीमे-धीमे पकाइए. अब अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े करने के बजाय किसी ऐसे वीडियो को टुकड़े-टुकड़े में बांट दीजिए, जो आपके झूठ का जायका बढ़ा सके. झूठ की इस गर्मागर्म चाय में दूध-चीनी मिलाने के बजाय धर्म से जुड़े एक-दो छोटे झूठ और मिला दीजिए. फिर फेसबुक या व्हाट्सएप्प की केतली में डालकर परोस दीजिए. अब देखिए झूठ का कमाल.
झूठ का सेंसेक्स कभी डाउन नहीं होता. झूठ से विज्ञापन चलते हैं, बाजार चलता है. झूठ बिन वकालत नहीं. चुनाव में हर पार्टी, हर नेता हजार झूठ बोलते हैं. लेकिन जीतने के बाद कहा जाता है कि लोकतंत्न विजयी हुआ. मतलब यह कि झूठ पर नेता उसी तरह आश्रित हैं, जिस तरह विराट और रोहित पर भारतीय टीम आश्रित रहती है!
झूठ का इकबाल बुलंद होने पर सच के हिमायतियों ने साजिशन कई झूठ बोले हैं. मसलन - झूठ बोलना पाप है. ऐसा होता तो 99 फीसदी दुनिया नरक में सड़ रही होती. नरक का हाल वैसा होता, जैसा रेलवे के जनरल क्लास के डिब्बे का होता है, जहां 100 लोगों की जगह में हजार लोग सांस रोककर एक दूसरे पर चढ़े होते हैं.
स्वर्ग वैसे ही खाली-खाली होता, जैसे राष्ट्रीय पुरस्कार से पुरस्कृत फिल्म का थिएटर खाली होता है. झूठ के खिलाफ एक दूसरा झूठ है-झूठ बोले कौवा काटे. एक भी झूठा आज तक कौवा काटने के चलते अस्पताल नहीं पहुंचा. ऐसा होता तो अस्पतालों में एक वार्ड सिर्फ खद्दरधारियों के लिए आरक्षित होता. ये झूठ सत्यवादियों के असत्य धर्म में परिवर्तन के लिए है. आखिर झूठ ही वर्तमान का नया सच है. कामयाबी का अकाट्य फार्मूला है.