वरुण कपूर का ब्लॉग: फिशिंग हमले के बदलते तरीके

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 9, 2018 06:02 PM2018-12-09T18:02:41+5:302018-12-09T18:02:41+5:30

फिशिंग हमलों के लिए वर्तमान में नए-नए तरीकों का उपयोग किया जा रहा है। वास्तविक दुनिया के अपराधियों के विपरीत, साइबर ठग ज्यादा कल्पनाशील और रचनात्मक होते हैं।

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वरुण कपूर का ब्लॉग: फिशिंग हमले के बदलते तरीके

 फिशिंग हमलों के लिए वर्तमान में नए-नए तरीकों का उपयोग किया जा रहा है। वास्तविक दुनिया के अपराधियों के विपरीत, साइबर ठग ज्यादा कल्पनाशील और रचनात्मक होते हैं। इसका कारण एक तो यह है कि वे तकनीक के जानकार होते हैं, और दूसरा यह कि अपनी कुटिल योजनाओं की सफलता के लिए उन्हें रचनात्मकता की जरूरत पड़ती है। यदि वे पुरानी प्रक्रियाओं का ही बार-बार अनुसरण करेंगे तो आम नागरिक कभी न कभी उनके इरादों से सतर्क हो ही जाएंगे। इसलिए कुटिल साइबर ठग अपने तरीके बदलते रहते हैं, ताकि न सिर्फ नागरिकों को बेवकूफ बना सकें बल्कि सुरक्षा एजेंसियों को भी भ्रमित करने की कोशिश कर सकें। 

साइबर अपराध के लिए अपनाए जाने वाले नए तरीके प्राय: फिशिंग हमले से जुड़े होते हैं। चूंकि ऐसे हमले आम तौर पर नागरिकों की वित्तीय धोखाधड़ी से ही जुड़े होते हैं, कहा जा सकता है कि साइबर दुनिया में हर तरह के वित्तीय लेन-देन के दौरान नागरिकों को अत्यधिक सतर्कता बरतने की जरूरत है। एक चालाक साइबर अपराधी न सिर्फ अपनी तकनीक में परिवर्तन करता है, बल्कि निदरेष लोगों को फंसाने के लिए ताजा विषयों और मुद्दों का भी उपयोग करता है। ऐसे मुद्दे जनता की कल्पनाशीलता को पकड़ लेते हैं क्योंकि वे उनके विषय में सुन चुके होते हैं।  
ऐसे ही एक मामले के बारे में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने मुङो कुछ माह पूर्व बताया था। कुछ माह पूर्व विभिन्न सेवाओं के साथ आधार कार्ड को जोड़ने का मुद्दा आम था। आधार लिंकिंग को लेकर इतने सारे निर्देश थे कि आम नागरिक इससे भ्रमित हो सकते थे। पहले लोगों को अपने बैंक खाते को आधार से लिंक करने का निर्देश आया, इसके बाद पैन कार्ड को आधार कार्ड से लिंक करने का फरमान जारी हुआ और फिर मोबाइल सिम को आधार से लिंक करने के लिए कहा गया। इतने सारे निर्देश लोगों को दिग्भ्रमित कर रहे थे। 

इसी का फायदा उठाने की कोशिश साइबर अपराधी कर रहे थे। संबंधित पुलिस अधिकारी को एक बार फोन आया कि क्या उनका डेबिट कार्ड आधार कार्ड से लिंक है? वे अनुभवी पुलिस अधिकारी भी उलझन में पड़ गए। पैन कार्ड, बैंक खाता और सिम कार्ड को आधार से लिंक करने के निर्देशों के बीच, उन्हें लगा कि हो सकता है डेबिट कार्ड को भी लिंक कराने की जरूरत हो! वे झांसे में आ गए और तब साइबर ठगों ने उनसे एक-एक करके उनके कार्ड के डिटेल्स लेना शुरू किया। उसी दौरान अचानक पुलिस अधिकारी को लगा कि कुछ तो गड़बड़ है और उन्होंने सुरक्षा से संबंधित कुछ सवाल पूछे (आखिरकार वे पुलिसिया दिमाग वाले थे)। वे भाग्यशाली थे कि ऐन समय पर बच गए, लेकिन सभी ऐसे भाग्यशाली नहीं होते और अपनी गाढ़ी कमाई से हाथ धो बैठते हैं।  इसलिए, हमें साइबर अपराधियों की इस नई चाल को समझ कर उससे बचना चाहिए। साइबर दुनिया में किसी भी जानकारी की विश्वसनीय तरीके से पुष्टि करना बहुत जरूरी है।

Web Title: phishing attack changes, What is phishing

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