पवन के. वर्मा का ब्लॉग: मतदाताओं के संदेश को समझो राजनीतिक दल

By पवन के वर्मा | Published: February 24, 2020 07:17 AM2020-02-24T07:17:30+5:302020-02-24T07:17:30+5:30

2019 के लोकसभा चुनाव में इसी दिल्ली के मतदाताओं ने नरेंद्र मोदी और भाजपा के पक्ष में भारी मतदान किया था. यह मतदान पैटर्न मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे अन्य राज्यों में भी देखा जा सकता है.

Pawan K. Varma's blog: Political parties facing the message of voters | पवन के. वर्मा का ब्लॉग: मतदाताओं के संदेश को समझो राजनीतिक दल

पवन के. वर्मा का ब्लॉग: मतदाताओं के संदेश को समझो राजनीतिक दल

अब जबकि दिल्ली विधानसभा चुनाव का कोलाहल शांत हो चुका है, परिणामों का विचारपूर्ण विश्लेषण किया जा सकता है क्योंकि राष्ट्रीय राजनीति  के लिए यह प्रभावकारी है.
स्पष्ट कहूं तो मैं इस मान्यता से असहमत हूं कि राज्य स्तर के और राष्ट्रीय चुनाव दो अलग-अलग चीजें हैं और एक का दूसरे से कोई लेना-देना नहीं होता. यह सच है कि लोगों ने विधानसभा और लोकसभा चुनावों में अलग-अलग तरीके से मतदान किया है. दिल्ली

खुद इस बात को साबित करती है. 2019 के लोकसभा चुनाव में इसी दिल्ली के मतदाताओं ने नरेंद्र मोदी और भाजपा के पक्ष में भारी मतदान किया था. यह मतदान पैटर्न मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे अन्य राज्यों में भी देखा जा सकता है.

लेकिन संपूर्ण पृथक्करण एक मिथक है. राज्य स्तर पर चुनाव में स्थानीय कारक हावी हो सकते हैं लेकिन राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों को दरकिनार नहीं किया जाता. उदाहरण के लिए दिल्ली में आम आदमी पार्टी की उपलब्धियां मतदाताओं की पसंद का प्रमुख कारण थीं,

लेकिन राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में गिरावट, जहां विकास दर कमजोर है, रोजगार के अवसर पैदा नहीं हो रहे हैं, व्यापार बढ़ नहीं रहा है, असंगठित क्षेत्र कराह रहा है और महंगाई एक नई ऊंचाई पर है, भी नतीजों पर असर डालने वाले कारक थे. इसके अलावा, दिल्ली का चुनाव अन्य राज्यों के चुनाव की तरह नहीं है. दिल्ली हमारे गणतांत्रिक देश की राजधानी है. भारत के सभी हिस्सों के लोग दिल्ली में रहते हैं और यहां जो कुछ भी होता है, उसकी गूंज दूर तक सुनाई देती है.  इसलिए दिल्ली भले एक पूर्ण राज्य नहीं है, इस पर देश की नजरें रहती हैं कि यहां कौन शासन करता है.

यह भी ध्यान में रखना होगा कि भाजपा ने यह चुनाव एक आम राज्य के चुनाव की तरह नहीं लड़ा था.   लगभग पूरा केंद्रीय मंत्रिमंडल किसी न किसी तरह से इसमें शामिल था. भाजपा के 200 से अधिक सांसदों को इस अभियान में लगाया गया था. इसलिए दिल्ली के चुनावी नतीजों पर विशेष रूप से विचार किया जाना चाहिए. भाजपा की रणनीति धार्मिक आधार पर मतदाताओं को ध्रुवीकृत करने की दिख रही थी. लेकिन मतदाताओं ने उसे नकार कर आम आदमी पार्टी के पक्ष में मतदान किया, जिसके मोटे तौर पर तीन मूल संदेश हैं.

पहला, लोग चाहते हैं कि राजनीतिक दल शासन केंद्रित हों और बयानबाजी व नारों से परे ठोस काम करें जिससे नागरिकों के जीवनस्तर में सुधार हो. दूसरा, लोग मध्यमार्गी विचारधारा वाली पार्टी चाहते हैं जो वाम और दक्षिण दोनों तरह की अतिवादिता से दूर हो. इस तरह की समरसता हमारी सभ्यता और लोकतांत्रिक मानस के मूल में है. तीसरा, लोग एक समावेशी सरकार चाहते हैं, जो समाज से अस्थिरता, कलह और द्वेष की भावना को समाप्त करे.

Web Title: Pawan K. Varma's blog: Political parties facing the message of voters

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