पवन के. वर्मा का ब्लॉग: विभाजन नहीं, शांति और सद्भाव के साथ विकास की जरूरत

By पवन के वर्मा | Published: December 29, 2019 07:34 AM2019-12-29T07:34:44+5:302019-12-29T07:34:44+5:30

अपनी नागरिकता साबित करने के लिए सही दस्तावेज जुटाने की कवायद का गरीबों और समाज के कमजोर वर्गो पर ज्यादा बोझ पड़ता है, विशेष रूप से महिलाओं पर. हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लोग इसमें शामिल हैं.

Pawan K. Varma's blog: No division, peace and harmony need development | पवन के. वर्मा का ब्लॉग: विभाजन नहीं, शांति और सद्भाव के साथ विकास की जरूरत

पवन के. वर्मा का ब्लॉग: विभाजन नहीं, शांति और सद्भाव के साथ विकास की जरूरत

Highlightsपहला, यह हिंदू बनाम मुस्लिम परिदृश्य नहीं है. यह सच है कि मुस्लिम बड़ी संख्या में प्रदर्शन कर रहे हैं, क्योंकि सीएए-एनआरसी से वे ही सर्वाधिक प्रभावित होंगे. एनआरसी नागरिकों पर ही नागरिकता साबित करने का बोझ डालता है.

सीएए-एनआरसी के खिलाफ लगातार जारी विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए, कुछ चीजों को स्पष्ट करने की आवश्यकता है. यह जरूरी है, क्योंकि पक्षपातपूर्ण राजनीतिक उद्देश्यों और संगठित दुष्प्रचार के लिए इन विरोध प्रदर्शनों का इस्तेमाल कर लिए जाने की पूरी संभावना है. इसलिए प्रत्येक फोरम का इस्तेमाल करना महत्वपूर्ण है ताकि विरोध के बिंदुओं को समझा जा सके और लोग दिग्भ्रमित न हों तथा चीजों को सही परिप्रेक्ष्य में देख सकें.

पहला, यह हिंदू बनाम मुस्लिम परिदृश्य नहीं है. यह सच है कि मुस्लिम बड़ी संख्या में प्रदर्शन कर रहे हैं, क्योंकि सीएए-एनआरसी से वे ही सर्वाधिक प्रभावित होंगे. लेकिन हिंदू भी सड़क पर हैं. एनआरसी नागरिकों पर ही नागरिकता साबित करने का बोझ डालता है. यह अत्यधिक दमनकारी बोझ है, जैसा कि असम में एनआरसी की त्रुटिपूर्ण कवायद ने दिखाया है, जिसमें हिंदू और मुस्लिम दोनों प्रभावित हुए हैं. 

अपनी नागरिकता साबित करने के लिए सही दस्तावेज जुटाने की कवायद का गरीबों और समाज के कमजोर वर्गो पर ज्यादा बोझ पड़ता है, विशेष रूप से महिलाओं पर. हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लोग इसमें शामिल हैं. सीएए-एनआरसी योजना का डिजाइन ऐसा है कि इससे विशेषाधिकार प्राप्त व्यक्तियों के बनिस्बत आम आदमी अधिक परेशान हो सकते हैं. 

इस प्रकार देश की विशाल जनसंख्या इस कवायद से प्रभावित होगी. यह उत्पीड़न सभी धर्म के लोगों को ङोलना पड़ सकता है. गरीबों को - और दुनिया में गरीबों की सबसे बड़ी संख्या हमारे यहां है -   भारी कठिनाई का सामना करना पड़ेगा.

सीएए नागरिकता देने में धार्मिक आधार पर भेदभाव करता है, जिसमें मुसलमानों को बाहर रखा गया है, जो संविधान के प्रावधानों के खिलाफ है. धार्मिक विभाजनों से परे नागरिक कह रहे हैं कि वे स्थानीय सामाजिक संघर्ष, उथल-पुथल, अशांति और कलह नहीं चाहते हैं. 

वे शांति और सद्भाव के साथ रहते हुए सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य सेवा, रोजगार और रोटी, कपड़ा, मकान जैसी बुनियादी सुविधाएं पाना चाहते हैं. वे चाहते हैं कि सरकार वास्तविक प्राथमिकताओं पर ध्यान दे, जिसमें अर्थव्यवस्था की गंभीर स्थिति, भयावह कृषि संकट, बढ़ती महंगाई और रोजगार संकट शामिल है.  

दूसरा, यह कहना जानबूझकर मामले को विकृत करना है कि सभी विरोध प्रदर्शन हिंसक रहे हैं. छात्रों ने मोमबत्तियां लेकर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने मूक मोर्चा निकाला है. वे नई दिल्ली में इंडिया गेट पर संविधान की प्रस्तावना पढ़ने के लिए एकत्र हुए हैं. मुंबई में हजारों लोगों ने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया. हमने ऐसे दृश्य देखे हैं जहां छात्रों ने गांधीेगीरी करते हुए पुलिसकर्मियों को गुलाब के फूल भेंट किए हैं. 

जहां हिंसा हुई है वह निश्चित रूप से निंदनीय है. किसी को भी कानून हाथ में लेने या सार्वजनिक अथवा निजी संपत्ति को क्षति पहुंचाने का अधिकार नहीं है. लेकिन यह कहना कि सभी छात्रों ने ऐसा किया है, झूठ है. यह भी खेदजनक है कि सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत जिस महान संस्था के प्रमुख हैं, उसकी राजनीतिक तटस्थता की प्रकृति को भूल गए और मामले में एक पक्षपातपूर्ण टिप्पणी कर दी.

जब देश उथल-पुथल में होता है तो तथ्य और कल्पनाएं धुंधला जाते हैं. झूठ को सच्चाई के रूप में रखा जाता है और सच्चई को झूठ कहकर खारिज कर दिया जाता है. यह प्रत्येक जागरूक नागरिक का कर्तव्य है कि वह तथ्य और सच्चाई को पहचाने. सत्यमेव जयते.

Web Title: Pawan K. Varma's blog: No division, peace and harmony need development

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