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Parliament Security Breach: संसद सुरक्षा चूक, कमियां दूर करके विकसित करना चाहिए अचूक सुरक्षा तंत्र

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: December 15, 2023 11:12 IST

Parliament Security Breach: लोगों ने सदन में रंगीन धुआं फैला दिया. कुछ सांसदों ने मिलकर इनमें से एक को घेरा और पकड़ लिया और बाद में इन दोनों को सुरक्षाकर्मियों ने हिरासत में ले लिया.

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ठळक मुद्दे पहली नजर में यह घटना किसी आतंकवादी साजिश की तरह लग रही थी.सीधे प्रसारण में इनमें से एक व्यक्ति सदन की बेंचों के ऊपर भागता हुआ दिखाई दिया.संसद भवन में कई स्तरों का सुरक्षा इंतजाम है.

Parliament Security Breach: संसद पर साल 2001 में हुए हमले की बरसी के दिन एक बार फिर संसद में हुई सुरक्षा चूक के फुटेज देखकर देशवासी स्तब्ध थे. सबकी जुबान पर एक ही सवाल था कि ऐसा कैसे हो गया? पहली नजर में यह घटना किसी आतंकवादी साजिश की तरह लग रही थी.

पिछली चूक के कारण पांच आतंकवादी संसद परिसर में घुसने में कामयाब हो गए थे. राहत की बात है कि यह मामला पिछली बार की तरह नहीं था, लेकिन चूक तो गंभीर ही मानी जाएगी, भले ही यह हरकत सनसनी फैलाने के उद्देश्य से या ध्यान आकर्षण करने के लिए की गई हो. ये सुरक्षा चूक उस समय हुई जब लोक सभा के शून्यकाल के दौरान दर्शक दीर्घा से दो लोग कूदकर सदन में आ गए.

इन लोगों ने सदन में रंगीन धुआं फैला दिया. कुछ सांसदों ने मिलकर इनमें से एक को घेरा और पकड़ लिया और बाद में इन दोनों को सुरक्षाकर्मियों ने हिरासत में ले लिया. लोकसभा के उस समय के सीधे प्रसारण में इनमें से एक व्यक्ति सदन की बेंचों के ऊपर भागता हुआ दिखाई दिया. इस घटना को सुरक्षा में एक बड़ी चूक इसलिए माना जा रहा है क्योंकि संसद भवन में कई स्तरों का सुरक्षा इंतजाम है.

यह जांच का विषय है कि कैसे कोई विजिटर कनस्तर लेकर सुरक्षा व्यवस्था की आंखों में धूल झोंकते हुए सदन में प्रवेश कर सका. अंदेशा जताया जा रहा है कि सब कुछ पूरी प्लानिंग के साथ किया गया था. यह बड़ी चिंता का विषय है. नए संसद भवन की दर्शक दीर्घा में पहुंच पाना आसान नहीं है. सबसे पहले संसद के किसी राजपत्रित अधिकारी या सांसद से प्रवेश पास के लिए सिफारिश करवानी पड़ती है.

संसद में जाने का केवल यही एकमात्र तरीका है. आवेदक का इंटेलिजेंस चेक होता है. संसद में आने वाले दर्शकों का कई जगह फिजिकल चेक होता है, शरीर की तलाशी ली जाती है, मेटल डिटेक्टर से गुजरना होता है. बताया जाता है कि संसद परिसर को सुरक्षा की कई परतों से मजबूत किया गया है.

देश की सबसे महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक संस्था की सुरक्षा के लिए बनी  संसद सुरक्षा सेवा और सीआरपीएफ, आईटीबीपी, दिल्ली पुलिस, विशेष सुरक्षा समूह, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड और इंटेलिजेंस ब्यूरो मिलकर काम करते हैं. सुरक्षा के गंभीर उल्लंघन के बाद जो सवाल खड़े हो रहे हैं वे ये हैं कि ये लोग मेटल डिटेक्टर वाली कड़ी सुरक्षा व्यवस्था को कैसे भेद पाए?

क्या तलाशी ठीक से नहीं ली गई या पास जारी करते समय ठीक से जांच-पड़ताल नहीं की गई थी? यदि रंगीन धुएं की जगह जहरीली गैस होती तो क्या होता? क्या सुरक्षा कर्मियों की सही ट्रेनिंग नहीं हुई थी? ये सुरक्षा उल्लंघन गंभीर खामियों को उजागर करते हैं.

तमाम कमियों को दूर करते हुए तत्काल एक अचूक सुरक्षा तंत्र विकसित किया जाना चाहिए. इस चूक के जिम्मेदार लोगों का पता लगाकर उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. क्योंकि इस चूक से देश-विदेश में अच्छा संदेश नहीं जाएगा. 

टॅग्स :संसदसंसद शीतकालीन सत्र
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