लाइव न्यूज़ :

पंकज चतुर्वेदी का ब्लॉग: लुप्त होती क्षिप्रा नदी में क्यों उठ रही हैं चिंगारियां?

By पंकज चतुर्वेदी | Updated: April 10, 2021 13:35 IST

क्षिप्रा नदी का पौराणिक महत्व भी अत्यधिक है। हाल के दिनों में नदी से चिंगारियां उठने की घटना ने सभी को हैरान कर दिया।साथ ही कुछ लोग अंधविश्वास भी फैला रहे हैं।

Open in App

समुद्र मंथन के बाद देवता-असुर जब अमृत कलश को एक दूसरे से छीन रहे थे तब उसकी कुछ बूंदें धरती की जिन तीन नदियों में गिरीं उनमें से एक क्षिप्रा में कई बार धमाकों की आवाज के साथ चिंगारियां उठ रही हैं. 

भले ही इसको ले कर अफवाह, अंधविश्वास का माहौल गर्म है लेकिन असलियत यह है कि अपने अस्तित्व के लिए जूझ रही क्षिप्रा में समय से पहले गर्मी आने के बाद बढ़ी गंदगी की रासायनिक प्रक्रिया के कारण यह सब हो रहा है और इससे एक पावन नदी के सामने चुनौतियां और बढ़ गई हैं.

उज्जैन के जिस त्रिवेणी घाट पर  कुंभ स्नान के बड़े कार्यक्रम होते हैं, वहां गत 28 फरवरी के बाद कोई एक दर्जन बार छोटे पटाखे की तरह धमाके हुए और चिंगारियां उठीं. भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, ओएनजीसी आदि की टीम वहां पहुंचीं और पानी व उस स्थान की मिट्टी के नमूने उठाए तथा यह भी बता दिया गया कि नदी में कोई विस्फोटक पदार्थ नहीं मिला है. 

गौर करने वाली बात यह है कि धमाके की घटनाएं नदी में जिस स्थान पर हुई हैं वहां नदी बहुत उथली है.

यह एक कड़वी सच्चाई है कि क्षिप्रा सूखी रहती है. यही नहीं स्नान के समय क्षिप्रा में पानी के लिए नर्मदा का जल पाइप से लाया जाता है. विडंबना है कि जिस उज्जैन शहर का अस्तित्व और पहचान क्षिप्रा से है, वहां की सारी गंदगी क्षिप्रा को नाबदान बना देती है. जिस क्षिप्रा के जल में लाखों लोग सिंहस्थ के दौरान मोक्ष की कामना से डुबकियां लगाते हैं, उसकी असलियत सरकारी रिकार्ड है, जो उसके जल को आचमन लायक भी नहीं मानता. 

मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अक्तूबर-2017 में एक रिपोर्ट में बताया था कि क्षिप्रा नदी में रामघाट, गऊघाट और सिद्धवट पर नहाने योग्य तक पानी नहीं है. इसके अलावा त्रिवेणी के भी एक किमी क्षेत्र में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ा हुआ है. जबकि इन्हीं घाटों पर सोमवती व शनिश्चरी अमावस्या सहित अन्य प्रमुख पर्वो पर मुख्य स्नान होता है.

जहां धमाके हुए, उस त्रिवेणी घाट पर क्षिप्रा नदी का उज्जैन शहर में प्रवेश होता है. यहीं इसमें खान नदी मिलती है जो खुद बदतर हालात में है. मालवा की महिमामयी जीवन रेखा क्षिप्रा के जल को अविरल और पावन रखने के लिए अभी तक किए गए सभी प्रयास विफल रहे हैं. सन् 2016 से इसमें नर्मदा जल डाल कर जिलाने की योजनाएं चल रही हैं. 

सन् 2018 तक नदी को प्रदूषण मुक्त करने के नाम पर 715 करोड़ रु. फूंक दिए गए. वहीं इसमें नर्मदा का पानी लाने के लिए भी 422 करोड़ रु. खर्च हुए. सनद रहे कि नर्मदा का पानी यहां लाने के लिए इस्तेमाल बिजली के पंपों पर बिजली के बिल का खर्च 22 हजार रु. प्रति मिनट था.

हाल के धमाकों को लेकर संभावना है कि सीवर या सड़ा पानी अधिक एकत्र होने से उत्पन्न मीथेन इसका कारण हो सकती है. एक बात और, घर की नालियों से निकले पानी और कारखानों के निस्तार में आमतौर पर क्षारीय तत्व अधिक होते हैं. 

जब नदी में अपना पानी लुप्त हो जाता है व पानी के नाम पर अशोधित ऐसे रसायन शेष रह जाते है जिसमें विभिन्न पदार्थ जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस और कार्बन एवं सोडियम, पोटैशियम, कैल्शियम और मैग्नीशियम शामिल हों तो इसमें चिंगारी उठना या छोटे धमाके होना संभव है. 

कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि नदी में मिल रहे जल में  कारखानों, गैराज से बहा डीजल, पेट्रोल, ग्रीस, डिटरजेंट, जल-मल है. मीथेन की परत जल के ऊपरी स्तर पर बढ़ जाने से भी आग लगती है.

जान लें कि यह महज कुछ रासायनिक क्रिया मात्र नहीं है, यह क्षिप्रा के खत्म होने की चेतावनी है.  क्षिप्रा और उसकी सहायक नदियों में मिल रहे गंदे नालों का पानी प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह है. 

क्षिप्रा के जल को गंदा करने में सबसे बड़ी भूमिका खान नदी की है. खान कभी एक साफ-सुथरी नदी थी लेकिन इंदौर के विस्तार का खामियाजा इसी ने भुगता. यहां के कल-कारखानों और गटर का मल-जल इसमें इतना गिरा कि खान को नदी कहना ही बंद करना पड़ा.

कालिदास की रचनाओं में बताया गया है कि नदी के तट पर सघन वन थे लेकिन आज तो यहां दूर-दूर तक वीरान ही दिखता है. असल में क्षिप्रा में जलागमन इसके तट पर लहलहाते वनों से बरसाती पानी के माध्यम से होता था और अब नदी का पूरा जल ग्रहण क्षेत्र कांक्रीट से पटा हुआ है. जंगल बचे नहीं और पानी की आवक के नाम पर गंदी नालियों का ही अस्तित्व शेष है.

टॅग्स :उज्जैनमध्य प्रदेश
Open in App

संबंधित खबरें

कारोबारभोपाल-इंदौर मेट्रो रेल परियोजनाः संचालन और रखरखाव के लिए 90 67 करोड़ रुपये, अपर नर्मदा, राघवपुर और बसानिया परियोजनाओं के लिए 1,782 करोड़ रुपये

भारतमहाभियोग प्रस्ताव लाने वाले पाक-साफ हैं 107 सांसद?, न्यायमूर्ति जीआर स्वामीनाथन ने क्या किया गलती?, पूर्व न्यायाधीश केके त्रिवेदी का सवाल

भारतBJP New President News: नड्डा की जगह क्या शिवराज सिंह चौहान बनेंगे भाजपा के नए अध्यक्ष?, भोपाल और दिल्ली आवास पर सुरक्षा बढ़ाई?

भारतमध्यप्रदेश: अटल जी की 100वीं जन्म जयंती पर शून्य से शतक कार्यक्रम 21 को, उपराष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री करेंगे शिरकत

क्राइम अलर्ट11 दिसंबर को शादी और 10 दिसंबर को एक ही दुपट्टे से फंदा लगाकर आत्महत्या, प्यार करते थे भारती और रवि कुशवाहा, रिश्ते में थे चचेरे भाई बहन

भारत अधिक खबरें

भारतYear Ender 2025: चक्रवात, भूकंप से लेकर भूस्खलन तक..., विश्व भर में आपदाओं ने इस साल मचाया कहर

भारतAadhaar card update: आधार कार्ड से ऑनलाइन फ्रॉड से खुद को रखना है सेफ, तो अभी करें ये काम

भारतदिल्ली में 17 दिसंबर को ‘लोकमत पार्लियामेंटरी अवॉर्ड’ का भव्य समारोह

भारतछत्तीसगढ़ को शांति, विश्वास और उज्ज्वल भविष्य का प्रदेश बनाना राज्य सरकार का अटल संकल्प: 34 माओवादी कैडरों के आत्मसमर्पण पर बोले सीएम साय

भारतकौन हैं ऋतुराज सिन्हा?, नितिन नबीन की जगह दी जाएगी बड़ी जिम्मेदारी