Pahalgam Terror Attack: कमांड रूम से सीधे मोर्चे पर पीएम मोदी?, कोई दिखावा नहीं और न ही बयानबाजी
By हरीश गुप्ता | Updated: May 15, 2025 05:38 IST2025-05-15T05:38:14+5:302025-05-15T05:38:14+5:30
Pahalgam Terror Attack Operation Sindoor: पीएम मोदी फोन पर अपना काम करते रहते हैं और नतीजों का इंतजार करते हैं. वह दूसरों को बोलने देते हैं, लेकिन कोई भ्रम न रहे-फैसले और दिशा वह स्वयं तय करते हैं.

photo-ani
Pahalgam Terror Attack Operation Sindoor: आज की राजनीति में जहां दिखावा जरूरी माना जाता है, मोदी की संकट से निपटने की शैली अलग है कम बोलना, सोच-समझकर बोलना, लेकिन पूरी तरह से नियंत्रण रखना. जब कोई संकट आता है, तो ज्यादातर नेता तुरंत माइक के सामने आ जाते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैमरे के बजाय कमांड रूम को ज्यादा पसंद करते हैं. उरी से लेकर बालाकोट तक, और हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी, मोदी की शैली एक जैसी रही पूरा नियंत्रण, कोई दिखावा नहीं और न ही बयानबाजी. जब उनके मंत्री, जनरल या अधिकारी जनता को जानकारी देते हैं, तब मोदी फोन पर अपना काम करते रहते हैं और नतीजों का इंतजार करते हैं. वह दूसरों को बोलने देते हैं, लेकिन कोई भ्रम न रहे-फैसले और दिशा वह स्वयं तय करते हैं.
6. Bholari — Pakistan’s newest airbase, the host of joint Pakistani-Chinese exercises — now lies redundant with a damaged aircraft hangar with possible aircraft damage as well. pic.twitter.com/t6yXDEt69G
— BJP (@BJP4India) May 14, 2025
अगर उन्होंने पहलगाम में निर्दोष लोगों की हुई नृशंस हत्याओं के बाद 20 दिनों तक मीडिया से दूर रहने का विकल्प चुना, सिवाय कुछ सार्वजनिक कार्यक्रमों के, तो 12 मई को उन्होंने अपना रुख बदल भी लिया. राष्ट्र को संबोधित किया और आतंक के खिलाफ अपनी ‘मोदी नीति’ सबके सामने रखी. अगले ही दिन वे आदमपुर एयरबेस पहुंचे और वहां मौजूद जवानों से मुलाकात की.
ये नया भारत है, जो ना सिर्फ आतंकियों को मिट्टी में मिलाता है, बल्कि उनके आकाओं को घर में घुसकर मारता है।
— BJP (@BJP4India) May 14, 2025
इसका सबूत दे रहे हैं #OperationSindoor के दौरान ध्वस्त हो चुके पाकिस्तान के 11 हवाई सैन्य ठिकाने... pic.twitter.com/IRps165SMf
मोदी की संकट प्रबंधन क्षमता उल्लेखनीय है. उन्होंने अधिकारियों, सेना प्रमुखों, मंत्रियों और अन्य लोगों के साथ 100 से अधिक बैठकें कीं. अगर प्रधानमंत्री कार्यालय से मिलने वाली रिपोर्ट पर भरोसा करें तो मोदी ने तीनों सेना प्रमुखों के साथ अलग-अलग और एक साथ बैठकर उनकी कार्ययोजना की बारीकी से जानकारी ली.
सभी साधनों का एक बार इस्तेमाल हो गया अब तो...! 🎯🚀
— BJP (@BJP4India) May 14, 2025
Bro cooked an entire nation and its propaganda with just one trip... 😎🔥 pic.twitter.com/r98Zoo5HOo
उन्होंने ऑपरेशन से जुड़े सभी लोगों को स्पष्ट रूप से बता दिया था कि मकसद यह संदेश देना है कि मोदी के नेतृत्व में भारत अब पहले जैसा नहीं रहा. हमला केवल आतंकी ठिकानों पर हो, पाकिस्तान के प्रतिष्ठानों पर नहीं.मोदी टीम का अनुमान था कि झड़प सात दिनों तक चलेगी. लेकिन पाकिस्तान चार दिनों में ही झुक गया.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के लिए भी यह ऐतिहासिक क्षण था क्योंकि मोदी ने उन्हें पूरी जिम्मेदारी सौंपी थी. विश्लेषकों का कहना है कि मोदी केंद्रीय नियंत्रण में विश्वास करते हैं. संवेदनशील क्षणों में टिप्पणी करने से बचते हैं. आज की राजनीति में जहां दिखावा जरूरी माना जाता है, मोदी की संकट से निपटने की शैली अलग है- कम बोलना, सोच-समझकर बोलना, लेकिन पूरी तरह से नियंत्रण रखना.
पर्दे के पीछे काम करने वाला नेता
2014 से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बने अजित डोभाल को अक्सर ‘चुपचाप काम करने वाला जनरल’ और ‘मोदी की सुरक्षा नीति का शिल्पकार’ माना जाता है. पर्दे के पीछे काम करने के लिए पहचाने जाने वाले अजित डोभाल ने मोदी की आक्रामक और सक्रिय राष्ट्रीय सुरक्षा नीति को आकार देने में अहम भूमिका निभाई है.
ये नया भारत है, घर में घुसकर मारता है!
— BJP (@BJP4India) May 14, 2025
पाकिस्तान के 9 टेररिस्ट कैम्पों को ध्वस्त कर,
आतंकियों के पनाहगारों पर भारत ने किया करारा प्रहार...#OperationSindoorpic.twitter.com/Iyzsg3YWzc
उरी (2016), बालाकोट (2019) और हाल का ऑपरेशन सिंदूर (7 मई) इस बात का संकेत हैं कि भारत अब पहले की तरह संयम नहीं बरतता. भले ही डोभाल का सार्वजनिक रूप से नाम न लिया जाए, लेकिन उनका असर साफ दिखाई देता है. पाकिस्तान के दशकों का अनुभव, खासतौर पर गुप्त ऑपरेशनों और मनोवैज्ञानिक रणनीतियों में माहिर होने के कारण, अजित डोभाल मोदी की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में बेहद अहम बन गए हैं. इसी वजह से उन्हें भारत का जेम्स बॉन्ड भी कहा जाता है.
अपनी बहादुरी और जोखिम उठाने की क्षमता के कारण अजित डोभाल को कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया. यह शांति काल में दिया जाने वाला अशोक चक्र के बाद दूसरा सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार है. वह यह सम्मान पाने वाले पहले पुलिस अधिकारी बने.
दिलचस्प बात यह है कि डोभाल और मोदी की पहली भेंट कब और कहां हुई, इसका कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है. माना जाता है कि यह मुलाकात तब हुई जब डोभाल विवेकानंद अंतरराष्ट्रीय फाउंडेशन के निदेशक बने.
कमांडर जो पीछे हट गया
पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर संकट को ठीक से समझ नहीं सके.पहलगाम हमले के बाद भारत द्वारा उठाए गए सख्त कदम के बाद मुनीर ने एक बड़ा फैसला लिया जो अब उनके लिए भारी पड़ता दिख रहा है. शुरू में उन्होंने नियंत्रण रेखा पर हवाई हमलों और सैनिकों की तैनाती बढ़ाने की इजाजत दे दी.
इतिहास में दर्ज हो गई ये तारीख... #OperationSindoor से हिल गई आतंक के पनाहगारों की नींव!
— BJP (@BJP4India) May 14, 2025
मिट्टी में मिल गए 100 से अधिक खूंखार आतंकी। pic.twitter.com/cGDAggUgYG
उन्हें लगा था कि पहले की तरह इस बार भी पश्चिमी देश भारत पर दबाव डालेंगे और चीन चुपचाप पाकिस्तान का साथ देगा. लेकिन हुआ उल्टा. पाकिस्तान अकेला रह गया. चीन ने दूरी बना ली और अमेरिका ने ट्रम्प की सख्त नीति के तहत पाकिस्तान को चेतावनी दी कि अगर वो बाज नहीं आया तो आर्थिक मदद और कूटनीतिक समर्थन दोनों रोक दिए जाएंगे.
जब जनरल मुनीर को यह समझ आया कि पाकिस्तान की सेना की ताकत सीमित है और ज्यादा टकराव बड़ा युद्ध छेड़ सकता है, तो उन्होंने अपने अफसर को भारत से तुरंत युद्धविराम की बात करने को कहा. भले ही मुनीर अब भी सेना प्रमुख हैं, लेकिन उनकी पकड़ अब पहले जैसी मजबूत नहीं रही. यह घटना दिखाती है कि पाकिस्तान की रणनीति कमजोर है और जनरल मुनीर की साख भी हिल गई है.