Omicron scare: अफ्रीकी देशों में मिले कोरोना के नए वेरिएंट, दुनिया भर में चिंता, नकेल कसने की जरूरत
By योगेश कुमार गोयल | Published: December 3, 2021 06:48 PM2021-12-03T18:48:08+5:302021-12-03T18:49:08+5:30
Omicron scare: जयपुर के एक निजी स्कूल में 12 बच्चे, पंजाब के दो अलग-अलग स्कूलों में 27 से ज्यादा बच्चे, तेलंगाना के एक शिक्षण संस्थान में 30 से ज्यादा छात्न व शिक्षक संक्रमित पाए गए हैं.
Omicron scare: देश में कोरोना की तीसरी लहर की कमजोर होती आशंका के बीच अफ्रीकी देशों में मिले कोरोना के नए वेरिएंट बी.1.1.529 ने फिर से चिंता का माहौल बना दिया है.
कोरोना वायरस को पूरी दुनिया में अलग-अलग रूपों में कहर बरपाते करीब करीब दो साल हो गए हैं और इसने लाखों लोगों को अपना शिकार बनाने के अलावा लगभग सभी देशों की अर्थव्यवस्था को भी बुरी तरह प्रभावित किया है. बी.1.1.529 वैरिएंट को टीका प्रतिरोधी तथा कोरोना का अभी तक सबसे खतरनाक वैरिएंट बताया जा रहा है, जो इम्युनिटी को तेजी से मात देने में कुशल है.
यूके स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी के मुख्य चिकित्सा सलाहकार डॉ. सुसान हॉपकिंस का कहना है कि कोरोना का यह वैरिएंट दुनियाभर में प्रमुख डेल्टा स्ट्रेन सहित अन्य किसी भी वैरिएंट के मुकाबले बदतर होने की क्षमता रखता है. बोत्सवाना के अलावा दक्षिण अफ्रीका, हांगकांग, इजराइल, जर्मनी, ब्रिटेन सहित कई देशों में इसके मामले सामने आ चुके हैं.
यही कारण है कि वायरस के इस रूप को भारत सहित लगभग सभी प्रमुख देशों द्वारा गंभीरता से लिया जा रहा है और कई देशों द्वारा दक्षिण अफ्रीका की विमान यात्ना पर प्रतिबंध लगाया गया है. डेल्टा वैरिएंट जितना करीब 100 दिनों में फैला था, ओमीक्रॉन उतना 15 दिनों में ही फैल चुका है अर्थात यह डेल्टा के मुकाबले करीब सात गुना तेजी से फैल रहा है.
बी.1.1.529 वैरिएंट के सामने आने के बाद वैज्ञानिक चेतावनी दे रहे हैं कि टीकों के प्रति अधिक प्रतिरोधी वायरस के नए स्वरूपों की संख्या बढ़ सकती है और ऐसे में कोरोना के गंभीर लक्षण वाले मामलों में वृद्धि हो सकती है. भले ही एम्स निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया अभी तीसरी लहर की आशंकाओं से इंकार कर रहे हैं किंतु जिस प्रकार दुनियाभर में ओमिक्रॉन के मामले बढ़ रहे हैं.
ऐसे में भारत में भी इसके मामले बढ़ते हैं तो ये तीसरी लहर का बड़ा कारण बन सकते हैं. भारत ने लापरवाहियों के चलते कोरोना की दूसरी लहर के दौरान तबाही का जो मंजर देखा है, ऐसे में अभी से ठोस कदम उठाए जाने की सख्त जरूरत है ताकि हालात फिर से भयावह न होने पाएं. दरअसल, हमारे यहां कोरोना को लेकर लगभग सभी पाबंदियां अब केवल कागजों तक ही सीमित दिखती हैं.
लापरवाहियों का ही नतीजा है कि कर्नाटक के एक मेडिकल कॉलेज में हुई फ्रेशर पार्टी के चलते 10 दिनों के भीतर कोरोना संक्रमण के 281 मामले सामने आ चुके हैं, ओडिशा के एक मेडिकल कॉलेज में 60 से ज्यादा छात्न और शिक्षक संक्रमित मिले हैं, जयपुर के एक निजी स्कूल में 12 बच्चे, पंजाब के दो अलग-अलग स्कूलों में 27 से ज्यादा बच्चे, तेलंगाना के एक शिक्षण संस्थान में 30 से ज्यादा छात्न व शिक्षक संक्रमित पाए गए हैं. शादी-ब्याह इत्यादि अन्य आयोजनों में पहले जैसी ही भीड़ और असावधानियां देखी जा रही हैं, ऐसी लापरवाहियों के खतरनाक परिणाम हो सकते हैं.