निरंकार सिंह का ब्लॉग: समुद्री तूफानों की फेहरिस्त बढ़ने के लिए अनेक कारण जिम्मेदार
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 5, 2019 06:04 AM2019-05-05T06:04:10+5:302019-05-05T06:04:10+5:30
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रशांत महासागर में तापमान में हो रहे बदलाव की वजह से भी इस तरह के तूफानों में तेजी आ रही है. भारतीय मौसम विभाग के पूर्व महानिदेशक एलएस राठौर के अनुसार प्रशांत महासागर में तापमान में काफी बदलाव देखा जा रहा है. ऐसा पहले नहीं था.
निरंकार सिंह
समुद्री तूफान उन कुदरती आपदाओं में से एक है जिसे रोका तो नहीं जा सकता, लेकिन इसकी अग्रिम सूचना देकर समुद्र के तटवर्ती क्षेत्रों में जन-धन की क्षति से काफी हद तक बचाव किया जा सकता है. पिछले दिनों चक्रवाती तूफानी फनी ने ओडिशा के तटवर्ती क्षेत्रों में तबाही मचाई. लोगों के मन में यही सवाल उठ रहा है कि पहले तो नहीं आते थे ऐसे तूफान.
मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो इसके लिए बदलता मौसम जिम्मेदार है. प्रशांत महासागर में पैदा हो रहे तापमान में बदलाव को मौसम वैज्ञानिकों ने ‘ला-नीना’ का नाम दिया था. पायलिन सहित नारी और हईयान जैसे दूसरे तूफान भी प्रशांत महासागर के तापमान में उछाल की वजह से ही उठे थे. अंडमान में नम मौसम की वजह से इन तूफान में काफी तेजी पैदा हुई.
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रशांत महासागर में तापमान में हो रहे बदलाव की वजह से भी इस तरह के तूफानों में तेजी आ रही है. भारतीय मौसम विभाग के पूर्व महानिदेशक एलएस राठौर के अनुसार प्रशांत महासागर में तापमान में काफी बदलाव देखा जा रहा है. ऐसा पहले नहीं था.
अमूमन जब भी प्रशांत महासागर के तापमान में बदलाव दर्ज होता है तो उससे तेज हवाएं उत्पन्न होती हैं. अब ये बदलाव काफी जल्दी-जल्दी देखे जा रहे हैं. भारत के पूर्वी तट और बांग्लादेश में बार-बार तूफान आते क्यों हैं? इस बारे में नेशनल साइक्लोन रिस्क मिटिगेशन प्रोजेक्ट का कहना है कि उत्तरी हिंद महासागर से आने वाले तूफान दुनिया में आने वाले कुल तूफानों का सिर्फ सात फीसदी ही होते हैं. लेकिन पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के तटों पर इन तूफानों का असर सबसे गंभीर होता है.
मौसम विभाग का मानना है कि समुद्र तल छिछला होने की वजह से भारत के पूर्वी तट पर लहरें ऊंची उठती हैं. लेकिन भारत का पश्चिमी तट पूर्वी तट की तुलना में शांत है. 1891 से 2000 के बीच भारत के पूर्वी तट पर 308 तूफान आए. इसी दौरान पश्चिमी तट पर सिर्फ 48 तूफान आए. मौसम विभाग के मुताबिक पश्चिम बंगाल की खाड़ी के ऊपर बनने वाले तूफान या तो बंगाल की खाड़ी के दक्षिण पूर्व में बनते हैं या उत्तर पश्चिम प्रशांत सागर पर बनने वाले तूफानों के अंश होते हैं जो हिंद महासागर की ओर बढ़ते हैं.
उत्तर पश्चिम प्रशांत सागर पर बनने वाले तूफान वैश्विक औसत से ज्यादा होते हैं इसलिए बंगाल की खाड़ी पर भी ज्यादा तूफान बनते हैं. बंगाल की खाड़ी पर बनने वाले तूफान जमीन से टकराने के बाद कमजोर पड़ जाते हैं इसलिए ऐसा कम ही होता है कि अरब सागर तक पहुंचें. इसके अलावा बंगाल की खाड़ी की तुलना में अरब सागर ठंडा है इसलिए इस पर ज्यादा तूफान नहीं बनते.