राष्ट्रीय गणित दिवसः देश को श्रीनिवास रामानुजन जैसे गणितज्ञों की जरूरत

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 22, 2018 02:09 PM2018-12-22T14:09:33+5:302018-12-22T14:09:33+5:30

मौजूदा समय में विश्व में गणित के मामले में भारत काफी निचले पायदान पर पहुंच गया है. श्रीनिवास रामानुजन के जीवन चरित्न से हमारी शिक्षा व्यवस्था का खोखलापन भी उजागर होता है. 

National Mathematical Day: Country needs the mathematicians like Srinivasa Ramanujan | राष्ट्रीय गणित दिवसः देश को श्रीनिवास रामानुजन जैसे गणितज्ञों की जरूरत

राष्ट्रीय गणित दिवसः देश को श्रीनिवास रामानुजन जैसे गणितज्ञों की जरूरत

Highlightsहमारे देश में छात्न उच्चस्तरीय गणित के अध्ययन में कम ही रुचि दिखाते हैंरामानुजन की गणितीय प्रतिभा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके निधन के लगभग 98 वर्ष व्यतीत हो जाने के बाद भी उनकी बहुत सी प्रमेय अनसुलझी बनी हुई हैं.

शशांक द्विवेदी

आज पूरे विश्व में जब भी गणित की या गणित में योगदान की बात की जाती है तो श्रीनिवास रामानुजन का नाम प्रमुखता से लिया जाता है. विश्व स्तर पर गणित के क्षेत्न में उनका योगदान अतुलनीय है. गरीबी, सीमित संसाधनों और सरकारी लालफीताशाही के बावजूद उन्होंने अपनी विलक्षण प्रतिभा से दुनिया को चमत्कृत कर दिया था.   

प्राचीन समय से भारत गणितज्ञों की सरजमीं रहा है. भारत में आर्यभट्ट, भास्कर, भास्कर-द्वितीय और माधव सहित दुनिया के कई मशहूर गणितज्ञ पैदा हुए. उन्नीसवीं शताब्दी और उसके बाद में श्रीनिवास रामानुजन, चंद्रशेखर सुब्रमण्यम और हरीश चंद्र जैसे गणितज्ञ विश्व पटल पर उभरकर सामने आए. लेकिन मौजूदा समय में विश्व में गणित के मामले में भारत काफी निचले पायदान पर पहुंच गया है. श्रीनिवास रामानुजन के जीवन चरित्न से हमारी शिक्षा व्यवस्था का खोखलापन भी उजागर होता है. 

13 वर्ष की अल्पायु में रामानुजन ने अपनी गणितीय विश्लेषण की असाधारण प्रतिभा से अपने संपर्क के लोगों को चमत्कृत कर दिया, मगर भारतीय शिक्षा व्यवस्था ने उन्हें असफल घोषित कर बाहर का रास्ता दिखा दिया था. रामानुजन की पारिवारिक पृष्ठभूमि गणित की नहीं थी. परिवार में कोई उनका मददगार भी नहीं था. ऐसे में अपनी क्षमता को दुनिया के सामने लाने हेतु रामानुजन को अत्यधिक श्रम करना पड़ा था.

रामानुजन सन 1903 से 1914 के बीच, कैम्ब्रिज जाने से पहले, गणित की 3542 प्रमेय लिख चुके थे. उनकी इन तमाम नोटबुकों को बाद में ‘टाटा इंस्टीट्यूट आफ फंडामेंटल रिसर्च बाम्बे’ (मुंबई) ने प्रकाशित किया. इन नोट्स पर इलिनॉय विश्वविद्यालय के गणितज्ञ प्रो ब्रूस सी. बर्नाड्ट ने 20 वर्षो तक शोध किया और अपने शोध पत्न को पांच खंडों में प्रकाशित कराया. 

रामानुजन की गणितीय प्रतिभा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके निधन के लगभग 98 वर्ष व्यतीत हो जाने के बाद भी उनकी बहुत सी प्रमेय अनसुलझी बनी हुई हैं. उनकी इस विलक्षण प्रतिभा के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए भारत सरकार ने प्रत्येक वर्ष उनका जन्म दिवस 22 दिसंबर को  ‘राष्ट्रीय गणित दिवस’ के रूप में मनाने का फैसला किया है. इसका उद्देश्य गणित के विकास को प्रोत्साहित करने हेतु हर संभव प्रयास करना है.

हमारे देश में छात्न उच्चस्तरीय गणित के अध्ययन में कम ही रुचि दिखाते हैं. फलस्वरूप यहां गणित का गुणवत्तापूर्ण और समुचित विकास नहीं हो पा रहा है जबकि आज देश को बड़ी संख्या में गणितज्ञों की जरूरत है. इसके लिए हमें विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक और मूल्यांकन पद्धति में सुधार लाना होगा, प्रतिभाशाली छात्नों को प्रोत्साहित करना होगा, उन्हें संसाधन उपलब्ध कराने होंगे  ताकि वे शोध में महत्वपूर्ण योगदान दे सकें.

Web Title: National Mathematical Day: Country needs the mathematicians like Srinivasa Ramanujan

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