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National Girl Child Day 2025: सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता पर देना होगा ध्यान 

By रमेश ठाकुर | Updated: January 24, 2025 11:40 IST

National Girl Child Day 2025: सुरक्षित वातावरण देने सहित तमाम तरह की जागरूकता फैलाई जाती है जिसमें सामाजिक और सरकारी, दोनों धड़े अपनी सहभागिता करते हैं.

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ठळक मुद्देकिशोरियों की तस्करी एक बड़ी चिंता का विषय है. लाखों की संख्या में बच्चियों को उनके अभिभावक स्कूलों में नहीं भेजते. केंद्र सरकार ने ‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ’ का नारा दिया है.

National Girl Child Day 2025: लड़कियों के साथ होने वाले भेदभाव को दूर करने के लिए देश में 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है. इस महत्वपूर्ण दिवस की शुरुआत केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा सन्‌ 2008 में हुई थी. ये तारीख इसलिए मुकर्रर की गई, क्योंकि इसी दिन यानी 24 जनवरी 1966 को इंदिरा गांधी ने पहली मर्तबा बतौर प्रधानमंत्री कार्यभार संभाला था. राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर पूरे देश में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जिनमें ‘सेव द गर्ल चाइल्ड’, ‘चाइल्ड सेक्स रेशियो’ व ‘चाइल्ड क्राइम प्रोटेक्शन’ अभियानों के अलावा बालिकाओं के स्वास्थ्य और उन्हें सुरक्षित वातावरण देने सहित तमाम तरह की जागरूकता फैलाई जाती है जिसमें सामाजिक और सरकारी, दोनों धड़े अपनी सहभागिता करते हैं.

किशोरियों की तस्करी एक बड़ी चिंता का विषय है. केंद्र सरकार ने हाल ही में संसद के शीतकालीन सत्र में  बताया था कि पूरे देश में अभी लाखों की संख्या में बच्चियों को उनके अभिभावक स्कूलों में नहीं भेजते. ये हाल तब है जब बच्चियों की शिक्षा पर केंद्र व राज्य सरकारें सजगता से लगी हुई हैं. बेटियों के सम्मान में केंद्र सरकार ने ‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ’ का नारा दिया है.

इससे बालिका लिंगानुपात में भी सुधार हुआ है. 2014 में बेटियों के जन्मानुपात का आंकड़ा 918 था, तो वहीं 2022-23 में ये आंकड़ा 933 तक जा पहुंचा. इस आंकड़े में हरियाणा अभी भी पिछड़ा हुआ है. देश की तरक्की में लड़कियों को लड़कों के कंधे से कंधा मिलाकर चलने की आजादी मिलनी चाहिए. उन्होंने अपनी काबिलियत को साबित करके भी दिखा दिया है.

रक्षा से लेकर खेल तक कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां बेटियां परचम न फहरा रही हों. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार भारत में सालाना लाखों की संख्या में बच्चियां लापता होती हैं, जिनमें से अधिकांश बच्चियों की उम्र महज 8-10 वर्ष होती है. गृह मंत्रालय के मुताबिक, साल 2019 से 2021 में 13.13 लाख गायब महिलाओं में ज्यादातर संख्या लड़कियों की रही.

वहीं, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अनुसार बीते 5 वर्षों में 2.75 लाख बच्चे गुम हुए जिनमें से 2.12 लाख सिर्फ लड़कियां थीं. लापता बच्चों के मामले में पश्चिम बंगाल अव्वल है जहां साल-2022 में 12,546 लड़कियां गुम हुईं. मध्य प्रदेश दूसरे नंबर पर है जहां 11,161 किशोरियां गायब हुईं. बाकी प्रदेशों के हाल भी अच्छे नहीं हैं. इसके अलावा बाल तस्करी, बाल विवाह और नाबालिगों के साथ यौन शोषण की घटनाएं भी कम नहीं हो रही हैं. इन्हें सामूहिक प्रयासों से ही मिलकर रोकना होगा.

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