ब्लॉग: उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के लिए जागरूक करना जरूरी

By योगेश कुमार गोयल | Published: December 24, 2021 03:50 PM2021-12-24T15:50:18+5:302021-12-24T15:50:18+5:30

अगर आप एक उपभोक्ता हैं और किसी भी प्रकार के शोषण के शिकार हुए हैं तो अपने अधिकारों की लड़ाई लड़कर न्याय पा सकते हैं। शोषण से मुक्ति पाने के लिए सबसे जरूरी है कि आप जो भी वस्तु, सेवा अथवा उत्पाद खरीदें, उसकी रसीद अवश्य लें।

national consumer day 2021 its necessary to aware of consumers for their rights | ब्लॉग: उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के लिए जागरूक करना जरूरी

उपभोक्ताओं के विभिन्न हितों और उनके अधिकारों की सुरक्षा के लिए देश में प्रतिवर्ष 24 दिसंबर को ‘राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस’ मनाया जाता है।

उपभोक्ताओं के विभिन्न हितों और उनके अधिकारों की सुरक्षा के लिए देश में प्रतिवर्ष 24 दिसंबर को ‘राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस’ मनाया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना, उनके हितों के लिए बनाए गए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियमों तथा उनके अंतर्गत आने वाले कानूनों की जानकारी देना है।

दरअसल ऑनलाइन खरीददारी हो या ऑफलाइन, ग्राहकों को कई बार सामान की गड़बड़ी अथवा अन्य प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है और इसी तरह की समस्याओं से उन्हें निजात दिलाने तथा उपभोक्ता अधिकारों के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से उपभोक्ता दिवस मनाया जाता है।

हालांकि वर्ष 2020 तक विभिन्न ई-कॉमर्स साइटों से ऑनलाइन खरीददारी को लेकर उपभोक्ताओं को कोई संरक्षण प्राप्त नहीं था लेकिन उपभोक्ता संरक्षण कानून-2019 (कंजुमर प्रोटेक्शन एक्ट-2019) में ई-कॉमर्स को भी दायरे में लाकर उपभोक्ताओं को और मजबूती देने का प्रयास किया गया।

पुराना उपभोक्ता संरक्षण कानून करीब साढ़े तीन दशक पुराना हो चुका था, जिसमें समय के साथ बड़े बदलावों की जरूरत महसूस की जा रही थी। इसीलिए ग्राहकों के साथ अक्सर होने वाली धोखाधड़ी को रोकने और उपभोक्ता अधिकारों को ज्यादा मजबूती प्रदान करने के लिए 20 जुलाई 2020 को ‘उपभोक्ता संरक्षण कानून-2019’ (कंजुमर प्रोटेक्शन एक्ट-2019) लागू किया गया, जिसमें उपभोक्ताओं को किसी भी प्रकार की ठगी और धोखाधड़ी से बचाने के लिए कई प्रावधान शामिल हैं।

राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस वास्तव में उपभोक्ताओं को उनकी शक्तियों और अधिकारों के बारे में जागरूक करने का महत्वपूर्ण अवसर है। भारत में उपभोक्ता आंदोलन की शुरूआत मुंबई में वर्ष 1966 में हुई थी। 

तत्पश्चात् पुणे में वर्ष 1974 में ग्राहक पंचायत की स्थापना के बाद कई राज्यों में उपभोक्ता कल्याण के लिए संस्थाओं का गठन किया गया। इस प्रकार उपभोक्ता हितों के संरक्षण की दिशा में यह आंदोलन आगे बढ़ता गया।

तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पहल पर 9 दिसंबर 1986 को उपभोक्ता संरक्षण विधेयक पारित किया गया, जिसे राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद 24 दिसंबर 1986 को देशभर में लागू किया गया। पिछले कई वर्षो से भारत में प्रतिवर्ष इसी दिन राष्ट्रीय उपभोक्ता संरक्षण दिवस मनाया जा रहा है। 

यह दिवस मनाए जाने का मूल उद्देश्य यही है कि उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाए और अगर वे धोखाधड़ी, कालाबाजारी, घटतौली इत्यादि के शिकार होते हैं तो वे इसकी शिकायत उपभोक्ता अदालत में कर सकें।

उपभोक्ता संरक्षण कानून में स्पष्ट उल्लेख है कि प्रत्येक वह व्यक्ति उपभोक्ता है, जिसने किसी वस्तु या सेवा के क्रय के बदले धन का भुगतान किया है या भुगतान करने का आश्वासन दिया है और ऐसे में किसी भी प्रकार के शोषण अथवा उत्पीड़न के खिलाफ वह अपनी आवाज उठा सकता है तथा क्षतिपूर्ति की मांग कर सकता है। 

खरीदी गई किसी वस्तु, उत्पाद अथवा सेवा में कमी या उसके कारण होने वाली किसी भी प्रकार की हानि के बदले उपभोक्ताओं को मिला कानूनी संरक्षण ही उपभोक्ता अधिकार है।

छोटी-बड़ी समस्याओं का सामना जीवन में कभी न कभी हम सभी को करना पड़ता है लेकिन अधिकांश लोग अपने अधिकारों की लड़ाई नहीं लड़ते। इसका प्रमुख कारण यही है कि देश की बहुत बड़ी आबादी अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति अनभिज्ञ है। हालांकि जब शिक्षित लोग भी अपने उपभोक्ता अधिकारों के प्रति उदासीन नजर आते हैं तो हैरानी होती है। 

अगर आप एक उपभोक्ता हैं और किसी भी प्रकार के शोषण के शिकार हुए हैं तो अपने अधिकारों की लड़ाई लड़कर न्याय पा सकते हैं। कोई वस्तु अथवा सेवा लेते समय हम धन का भुगतान तो करते हैं पर बदले में उसकी रसीद नहीं लेते। शोषण से मुक्ति पाने के लिए सबसे जरूरी है कि आप जो भी वस्तु, सेवा अथवा उत्पाद खरीदें, उसकी रसीद अवश्य लें। 

यदि आपके पास रसीद के तौर पर कोई सबूत ही नहीं है तो आप अपने मामले की पैरवी सही ढंग से नहीं कर पाएंगे। पिछले कुछ वर्षो में ऐसे अनेक मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें उपभोक्ता अदालतों से उपभोक्ताओं को पूरा न्याय मिला है लेकिन आपसे यह अपेक्षा तो होती ही है कि आप अपनी बात अथवा दावे के समर्थन में पर्याप्त सबूत पेश करें।

उपभोक्ता अदालतों की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि इनमें लंबी-चौड़ी अदालती कार्रवाई में पड़े बिना ही आसानी से शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। यही नहीं, उपभोक्ता अदालतों से न्याय पाने के लिए किसी प्रकार के अदालती शुल्क की आवश्यकता नहीं पड़ती है और मामलों का निपटारा भी शीघ्र होता है।

Web Title: national consumer day 2021 its necessary to aware of consumers for their rights

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