नरेंद्र कौर छाबड़ा का ब्लॉग: बस थोड़ा सम्मान और अपनापन चाहते हैं बुजुर्ग

By नरेंद्र कौर छाबड़ा | Published: October 1, 2020 02:25 PM2020-10-01T14:25:10+5:302020-10-01T14:25:10+5:30

देश की आबादी की करीब 9 प्रतिशत संख्या वरिष्ठ नागरिकों की है. अर्थात हमारे देश में लगभग 11 करोड़ बुजुर्ग हैं. हेल्पेज इंडिया द्वारा जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि लगभग उनमें से पचास प्रतिशत बुजुर्ग आए दिन भूखे पेट सोते हैं.

Narendra Kaur Chhabra blog: Elders just want a little respect and belonging | नरेंद्र कौर छाबड़ा का ब्लॉग: बस थोड़ा सम्मान और अपनापन चाहते हैं बुजुर्ग

भारत में 2007 में माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण विधेयक संसद में पारित किया गया.

संयुक्त राष्ट्र ने विश्व में बुजुर्गो के प्रति हो रहे र्दुव्‍यवहार तथा अन्याय को समाप्त करने के लिए 14 दिसंबर 1990 को यह निर्णय लिया कि हर साल एक अक्तूबर को अंतर्राष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस के रूप में मनाकर हम उन्हें उनका सही स्थान दिलाने की कोशिश करेंगे. एक अक्तूबर 1991 से यह दिन विश्व भर में वृद्ध दिवस के रूप में मनाया जाता है. आज के वृद्ध समाज से लगभग कटे रहते हैं और इस बात से दु:खी रहते हैं कि जीवन के अनुभवों का उनके पास इतना बड़ा भंडार है लेकिन इसके बावजूद कोई न तो उनसे राय लेना चाहता है और न ही उनकी राय को महत्व ही देता है.

इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि पूरे परिवार पर बरगद की तरह छांव फैलाने वाला व्यक्ति वृद्धावस्था में अकेला, असहाय तथा बहिष्कृत सा जीवन जीता है. भारत में 2007 में माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण विधेयक संसद में पारित किया गया. इसमें माता-पिता के भरण-पोषण, वृद्धाश्रमों की स्थापना, चिकित्सा सुविधा की व्यवस्था और वरिष्ठ नागरिकों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा का प्रावधान किया गया है. लगभग सभी पश्चिमी देशों में आर्थिक समस्याओं से जूझते वृद्धों के लिए पर्याप्त पेंशन की व्यवस्था की गई है जिससे उनका खर्च आसानी से चल जाता है.

उनके सामने स्वास्थ्य संबंधी तथा अकेलेपन की समस्या है. वयस्क होने पर बच्चे अलग रहने लगते हैं और केवल विशेष अवसरों पर ही मिलने आते हैं. वृद्धों को लेकर जो गंभीर समस्याएं आज पैदा हुई हैं, वे अचानक ही नहीं हुई हैं. इसके लिए उपभोक्तावादी संस्कृति, बदलते सामाजिक मूल्य, नई पीढ़ी की सोच में परिवर्तन, बढ़ती महंगाई, व्यक्ति के अपने बच्चों और पत्नी तक सीमित हो जाने की प्रवृत्ति जैसे कारण हैं. भारत में वरिष्ठ नागरिकों को स्वास्थ्य बीमा योजनाओं, कर छूट, रेल व हवाई किराए में रियायतें जैसे लाभ प्रदान किए जाते हैं.

देश की आबादी की करीब 9 प्रतिशत संख्या वरिष्ठ नागरिकों की है. अर्थात हमारे देश में लगभग 11 करोड़ बुजुर्ग हैं. हेल्पेज इंडिया द्वारा जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि लगभग उनमें से पचास प्रतिशत बुजुर्ग आए दिन भूखे पेट सोते हैं. उन्हें राज्य सरकारों की ओर से जो पेंशन दी जा रही है, वह इतनी नाकाफी है कि उससे चार दिन भी गुजारा नहीं हो पाता.

वृद्धों को समाज में प्रमुखता मिलनी चाहिए जिससे उनके जीवन को सार्थकता का एहसास हो. उनकी सामाजिक कार्यो में संलिप्तता तथा सामाजिक कार्यो से जुड़ाव उनके जीवन को स्फूर्ति प्रदान करेंगे.

 

Web Title: Narendra Kaur Chhabra blog: Elders just want a little respect and belonging

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