लाइव न्यूज़ :

नामवर सिंह (1926-2019): कोई पचास साल से नामवर के न आगे कोई हुआ और न पीछे

By अभिषेक श्रीवास्तव | Updated: February 20, 2019 10:08 IST

नामवर सिंह का जन्म 28 जुलाई 1926 को वाराणसी के जीयनपुर गाँव में हुआ था। 19 फ़रवरी 2019 को नई दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में उन्होने आखिरी साँस ली।

Open in App
ठळक मुद्देएक लेखक और एक व्‍यक्ति के बतौर नामवर सिंह की शख्सियत का मेयार इतना बड़ा था कि वे जीते जी हिंदी के बरगद बने रहे।हिंदी आलोचना की दुनिया में प्रो. हजारी प्रसाद द्विवेदी के शिष्य रहे नामवर ने रामविलास शर्मा के जीते जी अपना एक स्‍वतंत्र मुकाम बना लिया था।

हिंदी के वयोवृद्ध शीर्ष आलोचक प्रो. नामवर सिंह नहीं रहे। मंगलवार की रात उनका देहांत हो गया। पिछले ही महीने उन्‍हें ब्रेन स्‍ट्रोक हुआ था और फालिज पड़ा था, लेकिन किसी तरह उन्‍होंने खुद को बचा लिया था। उन्‍हें जानने और चाहने वाले हालांकि उसी समय से आसन्‍न बुरी खबर की आशंका में थे जो आज सुबह आंख खुलते ही उन्‍हें मिली।

एक लेखक और एक व्‍यक्ति के बतौर नामवर सिंह की शख्सियत का मेयार इतना बड़ा था कि वे जीते जी हिंदी के बरगद बने रहे। कोई पचास साल से नामवर के न आगे कोई हुआ और न पीछे, जबकि कोई तीस साल से तो उन्‍होंने कलम ही नहीं उठायी और ज्ञान की मौखिक परंपरा  का निर्वहन करते रहे। वे बोलते थे और लोग उसे लिपिबद्ध कर-कर के किताब निकालते थे।

हिंदी आलोचना की दुनिया में प्रो. हजारी प्रसाद द्विवेदी के शिष्य रहे नामवर ने रामविलास शर्मा के जीते जी अपना एक स्‍वतंत्र मुकाम बना लिया था। जब तक रामविलास शर्मा जीवित थे, हिंदी की आलोचना इन्‍हीं दो ध्रुवों के बीच घूमती रही। रामविलास के देहांत पर नामवर जी ने ‘आलोचना’ पत्रिका में ‘इतिहास की शव साधना’ शीर्षक से एक लेख लिखकर रामविलास का जो साहित्यिक पिंडदान किया, कि उसके बाद नामवर का आशीष लेने के लिए हिंदी की दुनिया में सैकड़ों कंधे झुक गए।

अपने आखिरी बरसों में नामवर की आलोचना इस बात के लिए की जाती रही कि वे किसी के कंधे पर अपना हाथ रख देते और वह हिंदी का मान्‍य कवि हो जाता। यह बात अलग है कि ऐसे तमाम कवि जिन्‍होंने नामवर के हाथ को पकड़ा, उनमें से कई आज कविता करना छोड़ चुके हैं और कई बेहद घटिया कविताएं लिख रहे हैं।

पिछले कोई दस वर्षों के दौरान नामवर जी का कभी-कभार किसी कार्यक्रम में दिख जाना एक परिघटना की तरह हो चला था। पिछले बीस वर्षों के दौरान अकसर ही उनके किसी बयान पर लोगों को कहते सुना जा सकता था- अरे, ये नामवर को क्‍या हो गया है। असद ज़ैदी ने इस प्रतिक्रिया पर कई बार चुटकी लेते हुए कहा है- नामवर को कुछ नहीं हुआ है, वे ऐसे ही थे।

नामवर सिंह ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में उच्च शिक्षा हासिल की थी।
नामवर चाहे जैसे रहे हों, लेकिन उनकी मेधा और स्‍मृति का जोड़ फिलहाल हिंदी जगत में विरल है। राजेंद्र यादव यदि हिंदी जगत के आयोजनों के रॉकस्‍टार रहे तो नामवर शो स्‍टॉपर हुआ करते थे। सबके बोल लेने के बाद नामवर मंच पर आते और बाएं कल्‍ले में पान दबाए पांच मिनट में सब लीप-पोत कर चल फिर देते थे।

हिंदी जगत में नामवर कुछ ऐसे पुराने दुर्लभ लोगों में थे जो मुंह के एक कोने में पान दबाए हुए पूरी सहजता के साथ चाय पी सकते थे। यह कला पुराने लोगों के साथ खत्‍म होती गई है।

पिछले दिनों कृष्‍णा सोबती और अब नामवर के चले जाने के बाद हिंदी जगत के सिर पर कोई संरक्षक या गार्जियन जैसा लिहाज नहीं रह गया है। नामवर के जीते जी हिंदी और हिंदी की दुनिया जितनी भ्रष्‍ट, प्रतिभाहीन और अवसरवादी हुई, अब इन प्रवृत्तियों के लिए रास्‍ता और आसान हो गया है।

आगे शायद इस पर शोध हो कि अपने जीते जी नामवर ने अपनी आंखों के सामने हिंदी की दुनिया को इतना सस्‍ता और लोकरंजक क्‍यों बनने दिया, जबकि उसे थामने की उनमें कुव्‍वत थी और उनका इकबाल भी पर्याप्‍त दुरुस्‍त था।

हिन्दी के इस शीर्ष पुरुष को हार्दिक नमन।

टॅग्स :नामवर सिंहकला एवं संस्कृति
Open in App

संबंधित खबरें

विश्वलूव्र, मोनालिसा की चोरी और कला की वापसी के रूपक

भारतJammu-Kashmir: कश्मीर में अब तक का सबसे लंबा हस्तलिखित हदीस

विश्वकला में बैंक्सी का लोक सरोकार और कैटेलान का केला

भारतनाट्यशास्त्र के बहाने कलाओं की अंतर्दृष्टि की वैश्विक स्वीकार्यता

बॉलीवुड चुस्कीब्लॉग: स्मरण एक विलक्षण संगीत सम्राट का 

भारत अधिक खबरें

भारतकथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा जयपुर में बने जीवनसाथी, देखें वीडियो

भारत2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2025 तक नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं?, उद्धव ठाकरे ने कहा-प्रचंड बहुमत होने के बावजूद क्यों डर रही है सरकार?

भारतजीवन रक्षक प्रणाली पर ‘इंडिया’ गठबंधन?, उमर अब्दुल्ला बोले-‘आईसीयू’ में जाने का खतरा, भाजपा की 24 घंटे चलने वाली चुनावी मशीन से मुकाबला करने में फेल

भारतजमीनी कार्यकर्ताओं को सम्मानित, सीएम नीतीश कुमार ने सदस्यता अभियान की शुरुआत की

भारतसिरसा जिलाः गांवों और शहरों में पर्याप्त एवं सुरक्षित पेयजल, जानिए खासियत