प्रतिभाताई पाटिल का ब्लॉग: मेरा मायका खानदेश, ससुराल विदर्भ; बाबूजी ने दोनों रिश्ते निभाए

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: July 2, 2022 09:49 AM2022-07-02T09:49:30+5:302022-07-02T09:54:14+5:30

जब इंदिरा गांधी संकट में थीं, तब विदर्भ में बाबूजी उनके साथ डटकर खड़े थे। इंदिराजी के लिए उन्होंने पूरा विदर्भ छान डाला। 'लोकमत' के माध्यम से उन्होंने इंदिराजी तथा कांग्रेस के विचारों को घर-घर तक पहुंचाया। इससे महाराष्ट्र में नए राजनीतिक इतिहास का निर्माण हुआ। इसका पूरा श्रेय बाबूजी को है।

My maternal uncle Khandesh in-laws' house Vidarbha Babuji Jawaharlal Darda performed both relations | प्रतिभाताई पाटिल का ब्लॉग: मेरा मायका खानदेश, ससुराल विदर्भ; बाबूजी ने दोनों रिश्ते निभाए

प्रतिभाताई पाटिल का ब्लॉग: मेरा मायका खानदेश, ससुराल विदर्भ; बाबूजी ने दोनों रिश्ते निभाए

Highlightsजवाहरलाल दर्डा ने यह दिखा दिया कि राजनीति में कितना निर्लिप्त रहा जा सकता है।राजनीतिक विरोध को उन्होंने द्वेष में रूपांतरित नहीं होने दिया।

जवाहरलाल दर्डा (बाबूजी) तथा हमारे बीच घनिष्ठ पारिवारिक संबंध थे। अपने सामाजिक तथा राजनीतिक जीवन में मुझे उनका अमूल्य योगदान मिला। जब इंदिरा कांग्रेस संकट में थी, तब हमने पूरी निष्ठा के साथ पार्टी का काम किया। जब हम विपक्षी दल के रूप में एक साथ काम कर रहे थे, तब हमारे विधानसभा में उस वक्त के विपक्षी दल के नेता कांग्रेस का साथ छोड़कर चले गए थे। उस समय बाबूजी ने विधानसभा में विपक्ष का नेता बनने का मुझसे आग्रह किया था। उनके अनुरोध पर मुझे यह जिम्मेदारी स्वीकार करनी पड़ी और मैंने पूरी निष्ठापूर्वक इस जिम्मेदारी का निर्वहन किया। 

अपनी पार्टी के प्रति बाबूजी की निष्ठा अतुलनीय थी। उस वक्त महाराष्ट्र में इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली इंदिरा कांग्रेस की स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। हम कुछ लोग निष्ठापूर्वक पार्टी का काम कर रहे थे। दूसरी कुछ पार्टियां कांग्रेस नेताओं को प्रलोभन देकर पार्टी को कमजोर करने का प्रयास कर रही थीं। बाबूजी को भी पार्टी छोड़ने के लिए खूब प्रलोभन दिए गए परंतु वह पार्टी के प्रति वफादार बने रहे। उन्हें पार्टी में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था।
राजनीति के प्रवाह में बहने वाले अनेक नेता तथा कार्यकर्ता होते हैं, लेकिन सिद्धांतों तथा मूल्यों के प्रति अडिग रहने वाले मुट्ठी भर नेता ही धारा के विरुद्ध तैरकर किनारे पर पहुंच पाते हैं। 

ऐसे नेताओं में मैं बाबूजी का उल्लेख बड़े आदर के साथ करूंगी। जब इंदिरा गांधी संकट में थीं, तब विदर्भ में बाबूजी उनके साथ डटकर खड़े थे। इंदिराजी के लिए उन्होंने पूरा विदर्भ छान डाला। 'लोकमत' के माध्यम से उन्होंने इंदिराजी तथा कांग्रेस के विचारों को घर-घर तक पहुंचाया। इससे महाराष्ट्र में नए राजनीतिक इतिहास का निर्माण हुआ। इसका पूरा श्रेय बाबूजी को है। जवाहरलाल दर्डा ने यह दिखा दिया कि राजनीति में कितना निर्लिप्त रहा जा सकता है। राजनीतिक विरोध को उन्होंने द्वेष में रूपांतरित नहीं होने दिया। इसी कारण उनका मित्र परिवार विशाल था। उनमें शत्रुत्व को मित्रता में बदल देने का बेजोड़ हुनर था। 

बाबूजी तथा मेरे स्नेह का बंधन मेरी ससुराल तथा मायके दोनों ओर से था। मेरा मायका खानदेश का है। जलगांव से उन्होंने सन् 1977 में 'लोकमत' का प्रकाशन शुरू किया। मेरी ससुराल विदर्भ में अमरावती की है। बाबूजी की राजनीतिक, सामाजिक तथा पत्रकारिता की यात्रा मेरी ससुराल विदर्भ से ही आरंभ हुई। मेरा तथा उनका भाई-बहन का स्नेहिल बंधन था। उनके असामयिक निधन का दुख मुझे हमेशा रहेगा। जब बाबूजी ने देहत्याग की, तब ऐसा लगा कि हमने अपना आधार खो दिया है। उनकी पवित्र स्मृति को अभिवादन तथा उन्हें भावपूर्ण आदरांजलि।

Web Title: My maternal uncle Khandesh in-laws' house Vidarbha Babuji Jawaharlal Darda performed both relations

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