ब्लॉग: गायब होती अरावली की पहाड़ियां और खनन माफिया पर नकेल कसने की चुनौती, आसान नहीं है राह

By पंकज चतुर्वेदी | Published: July 26, 2022 11:07 AM2022-07-26T11:07:48+5:302022-07-26T11:10:08+5:30

पत्थरों की चोरी की शिकायत हरियाणा के सभी जिलों में है. खनन माफिया की नजर दक्षिण हरियाणा में अरावली पर्वत श्रृंखला पर है लेकिन सबसे अधिक ध्यान गुरुग्राम, फरीदाबाद एवं नूंह इलाके पर है.

Mining mafia in Aravalli hills and challenges of cracking them down, task is not easy | ब्लॉग: गायब होती अरावली की पहाड़ियां और खनन माफिया पर नकेल कसने की चुनौती, आसान नहीं है राह

अरावली की पहाड़ियां और खनन माफिया पर नकेल कसने की चुनौती

हरियाणा के नूंह जिले के तावडू थाना क्षेत्र के गांव पचगांव में अवैध खनन की सूचना मिलने पर कारर्रवाई करने गए डीएसपी सुरेंद्र विश्नोई को 19 जुलाई को जिस तरह पत्थर के अवैध खनन से भरे ट्रक से कुचल कर मार डाला गया, उससे एक बार फिर खनन माफिया के निरंकुश इरादे उजागर हुए हैं. 

यह घटना अरावली पर्वतमाला से अवैध खनन की है, वही अरावली जिसका अस्तित्व है तो गुजरात से दिल्ली तक कोई 690 किलोमीटर का इलाका पाकिस्तान की तरफ से आने वाली रेत की आंधी से निरापद है और रेगिस्तान होने से बचा है. वही अरावली है जहां के वन्यक्षेत्र में कथित अतिक्रमण के कारण पिछले साल लगभग इन्हीं दिनों सवा लाख लोगों की आबादी वाले खोरी गांव को उजाड़ा गया था. 

यह वही अरावली है जिसके बारे में सुप्रीम कोर्ट ने अक्तूबर 2018 में जब सरकार से पूछा कि राजस्थान की कुल 128 पहाड़ियों में से 31 को क्या हनुमानजी उठाकर ले गए? तब सभी जागरूक लोग चौंके कि इतनी सारी पाबंदी के बाद भी अरावली पर चल रहे अवैध खनन से किस तरह भारत पर खतरा है.

निर्माण कार्य से जुड़ी प्राकृतिक संपदा का गैरकानूनी खनन खासकर पहाड़ से पत्थर और नदी से बालू, अब हर राज्य की राजनीति का हिस्सा बन गया है, पंजाब हो या मध्यप्रदेश या बिहार या फिर तमिलनाडु, रेत खनन के आरोप-प्रत्यारोप से कोई भी दल अछूता नहीं है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य में अवैध खनन पर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. जबकि वास्तविकता यह है कि किसी भी राज्य में सरकारी या निजी निर्माण कार्य पर कोई रोक है नहीं, सरकारी निर्माण कार्य की तय समय-सीमा भी है–फिर बगैर रेत-पत्थर के कोई निर्माण कार्य जारी रह नहीं सकता.  

यह किसी से छुपा नहीं था कि यहां पिछले कुछ सालों के दौरान वैध एवं अवैध खनन की वजह से सोहना से आगे तीन पहाड़ियां गायब हो चुकी हैं. होडल के नजदीक, नारनौल में नांगल दरगु के नजदीक, महेंद्रगढ़ में ख्वासपुर के नजदीक की पहाड़ी गायब हो चुकी है.

इनके अलावा भी कई इलाकों की पहाड़ी गायब हो चुकी है. रात के अंधेरे में खनन कार्य किए जाते हैं. सबसे अधिक अवैध रूप से खनन की शिकायत नूंह जिले से सामने आती है. 

पत्थरों की चोरी की शिकायत सभी जिलों में है. वैसे तो भूमाफिया की नजर दक्षिण हरियाणा की पूरी अरावली पर्वत श्रृंखला पर है लेकिन सबसे अधिक नजर गुरुग्राम, फरीदाबाद एवं नूंह इलाके पर है. अधिकतर भूभाग भूमाफिया वर्षों पहले ही खरीद चुके हैं.

जिस गांव में डीएसपी विश्नोई शहीद हुए, असल में वह गांव भी अवैध है. अवैध खनन की पहाड़ी तक जाने का रास्ता इस गांव के बीच से एक संकरी पगडंडी से ही जाता है, इस गांव के हर घर में डंपर खड़े हैं. 

यहां के रास्तों में जगह-जगह अवरोध हैं, गांव से कोई पुलिस या अनजान गाड़ी गुजरे तो पहले गांव से खबर कर दी जाती है जो अवैध खनन कर रहे होते हैं. यही नहीं, पहाड़ी पर भी कई लोग इस बात की निगरानी करते हैं और सूचना देते हैं कि पुलिस की गाड़ी आ रही है.

अब इतना सब आखिर हो क्यों न! भले ही अरावली गैर खनन क्षेत्र घोषित हो लेकिन यहां क्रशर धड़ल्ले से चल रहे हैं और क्रशर के लिए कच्छा माल तो इन अवैध खनन से ही मिलता है. हरियाणा-राजस्थान सीमा जमालपुर की बीवन पहाड़ी पर ही 20 क्रशर हैं, जिनके मालिक सभी रसूखदार लोग हैं. सोहना के रेवासन जोन में आज भी 15 क्रशर चालू हैं. 

तावडू में भी पत्थर तोड़ने का काम चल रहा है. हालांकि इन सभी क्रशर के मालिक कहते हैं कि उनको कच्चा माल राजस्थान से मिलता है, जबकि हकीकत तो यह है कि पत्थर उन्हीं पहाड़ों का है जिन पर पाबंदी है. हरियाणा के नूंह जिले की पुलिस डायरी बताती है कि वर्ष 2006 से अभी तक 86 बार खनन माफिया ने पुलिस पर हमले किए. यह बानगी है कि खनन माफिया पुलिस से टकराने में डरता नहीं है.

Web Title: Mining mafia in Aravalli hills and challenges of cracking them down, task is not easy

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