#MeToo अभियानः मुखर होने लगीं पीड़ित महिलाएं, अभी तो नेताओं-प्रोफेसरों के नाम खुलने शुरू नहीं हुए 

By वेद प्रताप वैदिक | Published: October 11, 2018 05:42 AM2018-10-11T05:42:22+5:302018-10-11T05:42:22+5:30

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की करतूतों को लेकर यह अभियान शुरू हुआ लेकिन अब यह सारे देशों, सारे शहरों और गांवों में फैलेगा।

metoo campaign india: victim women are raising her voice | #MeToo अभियानः मुखर होने लगीं पीड़ित महिलाएं, अभी तो नेताओं-प्रोफेसरों के नाम खुलने शुरू नहीं हुए 

#MeToo अभियानः मुखर होने लगीं पीड़ित महिलाएं, अभी तो नेताओं-प्रोफेसरों के नाम खुलने शुरू नहीं हुए 

वेदप्रताप वैदिक

अमेरिका में चले मी टू (मैं भी) अभियान की तरह महिलाओं का अभियान अब भारत में भी चल पड़ा है। अब कई महिलाएं खुलकर बता रही हैं कि किस अभिनेता या किस संपादक या किस अफसर ने कब उनके साथ बलात्कार करने, अश्लील हरकतें करने, डरा-धमकाकर व्यभिचार करने की कोशिशें की हैं। अभी तो नेताओं और प्रोफेसरों के नाम खुलने शुरू नहीं हुए हैं। यदि वे नाम भी सामने आने लगे तो हमारे अखबारों और टीवी चैनलों की पौ-बारह हो जाएगी। जहां-जहां सत्ता है, वहां-वहां दुराचार की उत्कट संभावना है। 

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की करतूतों को लेकर यह अभियान शुरू हुआ लेकिन अब यह सारे देशों, सारे शहरों और गांवों में फैलेगा। यह अच्छा ही है। इससे अब नारी-जाति को अपेक्षाकृत अधिक सुरक्षा मिलेगी लेकिन यहां खतरा यह भी है कि इस अभियान का इस्तेमाल किसी आदमी से बदला निकालने और ब्लैकमेल करने के लिए भी किया जा सकता है। 

संतोष का विषय है कि ऐसी संभावनाओं का मुकाबला करने के लिए दफ्तरों और जिलों में निगरानी कमेटियां बनाई जा रही हैं, जिनकी मुखिया महिलाएं ही होंगी। मैं यह भी मानता हूं कि सिर्फ सजा के डर से बलात्कार या व्यभिचार नहीं रु क सकता। कड़ी सजा तो होनी ही चाहिए लेकिन सजा से बड़ा संस्कार है।

अब से पचास साल पहले सोवियत रूस के खुले स्वेच्छाचार और कोलंबिया युनिवर्सिटी में न्यूयार्क के शिथिल आचरण के माहौल में मेरे जैसे छात्र के सामने कई फिसलपट्टियां आईं लेकिन मैं क्यों बेदाग रहा ? क्या किसी कानून के डर से? नहीं। अपने सुदृढ़ आर्यसमाजी संस्कारों के कारण ! 

इसी तरह संपादक रहते हुए मैं सदैव अपने कमरों के दरवाजे और खिड़कियां खुली रखता था। शीशे के दरवाजे और खिड़कियां, ताकि पूरा हॉल मुङो देखता रहे और हॉल को मैं देखता रहूं। यदि हमारे नौजवानों को हम पारदर्शी जीवन का संस्कार दे सकें तो हमारे इस जगत्गुरु  भारत की प्रतिष्ठा बची रहेगी।

Web Title: metoo campaign india: victim women are raising her voice

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